दार्जिलिंग‑नेपाल में बवंडर बारिश और भूस्खलन से 60+ मौतें, केंद्र सरकार ने तुरंत援助

दार्जिलिंग‑नेपाल में बवंडर बारिश और भूस्खलन से 60+ मौतें, केंद्र सरकार ने तुरंत援助

Anmol Shrestha अक्तूबर 6 2025 1

जब दार्जिलिंग और नेपाल में भूस्खलन का आउटबर्स हो गया, 5 अक्टूबर 2025 को मौसम विभाग की चेतावनी को लेकर लोग आशंका में थे, लेकिन तबाही ने सबकी उम्मीदें तोड़ दीं। कुल मिलाकर 60 से अधिक लोगों की जान चली गई – दार्जिलिंग में 23 और नेपाल में 47 मृतकों की पुष्टि हुई। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि 24 घंटे में 150 mm से अधिक बरसात हुई, जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में अस्थिर मिट्टी का झरना शुरू हो गया।

पिछले कुछ दिनों की जलवायु पृष्ठभूमि

वादे‑सवार मानसून की शुरुआत में ही पश्चिम बंगाल के इस भाग में असामान्य रूप से तेज़ बौछारें आईं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के डेटा के अनुसार, 3‑4 अक्टूबर को दार्जिलिंग में 84 mm, मिरिक में 92 mm तथा नेपाल के पावडर गली शिखर पर 110 mm तक बरसात दर्ज की गई। इस निरंतर जलस्रोत ने पहाड़ी किनारों की स्थिरता को बहुत घटा दिया।

भूस्खलन के क्रमिक विकास और क्षति

रात 2 बजे के बाद, दार्जिलिंग के पश्चिमी ढलानों में अचानक एक विशाल भूस्खलन ने कई गाँवों को घेर लिया। स्थानीय आधिकारिक त्रणमूल कांग्रेस सरकार के एक मंत्री ने बताया कि 17 लोगों की मौत की पुष्टि हुई, लेकिन आगे की खोज में कुल मृतकों की संख्या 23 तक पहुँच गई। इसमें दो छोटे बच्चों की दिल दहला देने वाली कहानी भी शामिल है, जिन्होंने अपने घर के नीचे फंसे हुए थे।

नेपाल में, माउंट एवरेस्ट के दक्षिण‑पश्चिमी साइड पर ट्रैकिंग टूरिस्ट समूहों के रास्ते में भी समान आकार का बाढ़‑भूस्खलन हुआ। यह एक ही रात में 47 यात्रियों की मौत का कारण बना, जिनमें विदेशी पर्वतारोहियों के साथ स्थानीय गाइड भी शामिल थे।

भूस्खलन ने न केवल मानव जीवन को छुआ, बल्कि इंफ़्रास्ट्रक्चर को भी गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया। दार्जिलिंग में एक 30‑मीटर लम्बा लोहे का पुल पूरी तरह ध्वस्त हो गया, जिससे कई गांव दूर‑दराज के रास्ते से अलग हो गए। सैकड़ों लोग अब अस्थायी आश्रय में फंसे हैं, जबकि क्षितिज पर जलाशयों की लहरें लगातार बढ़ रही हैं।

जवाबदेही और बचाव कार्य

भारी बारिश के बीच, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने तुरंत बिन‑दिक्कत टीमें तैनात कीं। NDRF की टीम ने आज़ीवन जुलन से बचाए गए 215 लोगों को सुरक्षित किया और अभी भी 120 से अधिक लोगों को खोजा जाना बाकी है। बचाव कर्मियों ने रस्सी, हेलीकॉप्टर और बोटों का उपयोग करके कठिन कोनों तक पहुंच बनाई।

प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी ने अपनी टीम को तुरंत राहत सामग्री भेजने का आदेश दिया। उन्होंने कहा, "हम इस त्रासदी से पूरी तरह शोक मानते हैं और सभी प्रभावितों को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए सरकार के सभी संसाधन जुटाएंगे।" गृह मंत्री अमित शाह ने भी स्थिति की गंभीरता को समझते हुए, "NDRF की टीमों को प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित मदद पहुंचाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपायों के साथ भेजा गया है" का इशारा किया।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कल सुबह ही प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने वाली हैं। उनका कहना है कि सरकार ने वन कटाई और अनियंत्रित निर्माण के खिलाफ सख़्त कदम उठाने का संकल्प लिया है।

जलवायु परिवर्तन व वन कटाई का प्रभाव

विज्ञानियों का मानना है कि इस तरह की तीव्र वर्षा की आवृत्ति में वृद्धि जलवायु परिवर्तन का एक स्पष्ट संकेत है। हिमालयी क्षेत्र में बर्फ़ीले टुकड़े तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे नदियों में जल का स्तर अचानक बढ़ता है। वन कटाई ने भी इस बवंडर को और तेज़ कर दिया; पहाड़ी क्षेत्रों में विरासत में मिली कछुआ‑जैसी वनस्पति धीरे‑धीरे हटाकर खड़ी चट्टानों की ओर धकेल दिया गया।

राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन पैनल ने बताया कि 2020‑2025 के बीच दार्जिलिंग‑बागमती क्षेत्र में औसत वार्षिक वर्षा 12% बढ़ी है, जबकि भूमि सड़न‑दर दर 8% तक बढ़ी है। ये आँकड़े सीधे तौर पर मौसमी आपदाओं की तीव्रता से जुड़े हुए हैं।

अगले कदम और दीर्घकालिक समाधान

अगले कदम और दीर्घकालिक समाधान

केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने दीर्घकालिक राहत और पुनर्वास योजनाओं पर कार्य शुरू कर दिया है। जल्द ही एक विशेष बिड़ी‑नीति लागू की जाएगी, जिसमें बाढ़‑सुरक्षित घरों का निर्माण, पहाड़ी जलग्रहण क्षेत्रों का पुनर्स्थापन और स्थानीय समुदायों को आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण दिया जाएगा।

साथ ही, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT‑Delhi) और नेशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ़ टेरियरी डिफेंस (NITD) ने मिलकर एक रियल‑टाइम लैंड‑स्लाइड प्रेडिक्शन सिस्टम विकसित करने की प्रतिज्ञा की है, जिससे भविष्य में ऐसे खतरों को पहले से चेतावनी मिल सके।

समुदाय की आवाज़ और व्यक्तिगत कहानियाँ

एक स्थानीय महिला, सरिता दास, जो अपने दो छोटे बच्चों के साथ मिर्क गाँव में रहती थीं, ने कहा, "बारिश शुरू होते ही हमने छत को बंद कर दिया, लेकिन कच्ची मिट्टी घर के नीचे धंस गई। हम अब भी आशा कर रहे हैं कि बचाव दल हमें खोज लेगा।" दूसरी ओर, एक नेपाळी ट्रेकर ने बताया कि वह पहाड़ की चोटी पर पहुँचने के बाद अचानक तेज़ हवाओं और बूँदों ने उन्हें स्तब्ध कर दिया, जिससे समूह विभाजित हो गया।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इस आपदा से पर्यटन उद्योग पर क्या असर पड़ेगा?

दूसरी ओर, दार्जिलिंग और नेपाल के प्रमुख ट्रैकिंग मार्गों पर चल रही रोक थाम के कारण स्थानीय होटल, गाइड और ट्रैवल एजेंसियों को गंभीर आर्थिक नुकसान हो रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस साल की पर्यटन आय लगभग 30% घट सकती है, जब तक कि बुनियादी ढाँचा सुरक्षित नहीं हो जाता।

सरकार किन तुरंत उपायों को लागू कर रही है?

केंद्र और राज्य सरकार ने पहले ही आपातकालीन राहत पैकेज जारी किया है, जिसमें 500 हजार परिवारों को नकदी सहायता, 2 लाख किलोग्राम भोजन सामग्री और दवाईयाँ शामिल हैं। साथ ही, उत्तर प्रदेश और झारखंड से अतिरिक्त NDRF क्वार्टर और हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराए गए हैं।

भविष्य में ऐसे भूस्खलन को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?

विज्ञानियों ने बताया कि सटीक मौसम पूर्वानुमान और रियल‑टाइम ज़ोनिंग मानचित्रण के साथ मिलकर कड़ाई से वन संरक्षण, बंजर भूमि की पुनर्वास, और सिविल इंजीनियरिंग के माध्यम से ढलानों की स्थिरता बढ़ाई जा सकती है। स्थानीय समुदायों को जागरूकता प्रशिक्षण देना भी महत्वपूर्ण कदम है।

मृतकों की पहचान और पहचानपत्र कैसे किया जा रहा है?

स्थानीय पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारी मिलकर DNA प्रोफ़ाइलिंग, दन्त रिकॉर्ड और रजिस्टर्ड फोटो के आधार पर पहचान प्रक्रिया तेज़ कर रहे हैं। अब तक 45 के पास के शरीरों की पहचान हो चुकी है, जबकि शेष 15 के लिए परिवारों से फ़ोटो और बायो‑डेटा जमा करने का कार्य चल रहा है।