G7 शिखर सम्मेलन: भारतीय नमस्ते के साथ स्वागत
दक्षिणी इटली के एक शानदार रिसॉर्ट में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन में इस बार कुछ खास देखने को मिला। इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने सम्मेलन में शामिल होने आए अंतरराष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत भारतीय धरती पर प्रचलित 'नमस्ते' के साथ किया। मेलोनी के इस अंदाज को सोशल मीडिया पर जमकर सराहा जा रहा है। इस अभिवादन के वीडियो और तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं।
मेलोनी के इस कदम को संस्कृति के विनिमय के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय शैली का 'नमस्ते' पहले ही दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुका है और मेलोनी के इस प्रकार स्वागत करने से यह संदेश गया है कि वैश्विक नेताओं के बीच भी इस संस्कृति की स्वीकार्यता बढ़ रही है।
इस बार के G7 शिखर सम्मेलन का आयोजन एक विशेष समय पर हुआ है जब दुनियाभर के देशों के बीच कई मुद्दों पर चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। सम्मेलन में हिस्सा ले रहे सात प्रमुख औद्योगिक देशों के प्रमुखों के बीच कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चाएं हुई हैं और कुछ प्रमुख घोषणाएं भी की गई हैं।
यूक्रेन के लिए अमेरिकी सहायता
इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से एक बड़ी घोषणा हुई जिसमें उन्होंने यूक्रेन को 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता देने की बात कही। इस सहायता के लिए जमे हुए रूसी संपत्तियों को जमाखत के रूप में प्रयोग किया जाएगा। यूक्रेन की मौजूदा स्थिति देखते हुए यह निर्णय काफी महत्वपूर्ण है।
इससे पहले भी अमेरिका ने यूक्रेन की सहायता के लिए कई प्रकार के कदम उठाए हैं लेकिन 50 बिलियन डॉलर की इस मदद को अंतरराष्ट्रीय समुदाय में बड़े स्तर पर देखा जा रहा है। इस निर्णय से यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रमण के खिलाफ एक सशक्त संदेश गया है।
नरेंद्र मोदी का आगमन
इस शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की। यह उनके तीसरे कार्यकाल की पहली अंतर्राष्ट्रीय यात्रा थी। मोदी का आगमन भी इस सम्मेलन के प्रमुख आकर्षणों में से एक रहा। मोदी ने शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित Outreach सत्र में भाग लिया और इसके अलावा कई वैश्विक नेताओं के साथ अंतरंग चर्चाएं भी कीं।
मोदी की इस यात्रा को भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में काफी महत्व दिया जा रहा है। उन्होंने विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर अपनी मजबूत राय सामने रखी और भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया।
वैश्विक मुद्दों पर चर्चाएं
G7 शिखर सम्मेलन में विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर चर्चाएं हुईं जिनमें जलवायु परिवर्तन, वैश्विक स्वास्थ्य संकट, और आर्थिक सुधार प्रमुख रहे। नेताओं ने इन मुद्दों पर अपने-अपने देश के दृष्टिकोण और नीतियों को सामने रखा।
जलवायु परिवर्तन पर विशेष ध्यान देते हुए सम्मेलन में कई नए प्रस्ताव पारित किए गए। इसके अलावा स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए वैक्सीन वितरण और स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार पर भी चर्चाएं हुईं।
संस्कृतियों का मिलन
इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी का भारतीय 'नमस्ते' के साथ स्वागत करना वास्तव में संस्कृतियों के मिलन का प्रतीक है। इस प्रकार का स्वागत दिखाता है कि कैसे अलग-अलग देशों की संस्कृतियां वैश्विक स्तर पर अपना प्रभाव डाल रही हैं और एक दूसरे के प्रति आदर और सम्मान का भाव बढ़ रहा है।
यह निश्चित रूप से एक सकारात्मक संकेत है कि वैश्विक स्तर पर हमारा सहयोग और समझ बढ़ रही है। मेलोनी के इस स्वागत ने भारतीय संस्कृति को भी एक खास पहचान दिलाई है और यह दर्शाया है कि चाहे विदश में ही क्यों न हों, भारतीय परंपराओं का महत्व सर्वत्र है।
Arvind Singh Chauhan
जून 16, 2024 AT 07:04कोई भी देश इतना सम्मान नहीं देता जितना भारत देता है।
AAMITESH BANERJEE
जून 17, 2024 AT 21:05मेलोनी ने जो किया, वो बस एक नमस्ते नहीं था, वो एक इंटरकल्चरल हैंडशेक था।
भारत के लिए ये एक छोटा सा विजय का पल है, जिसे हम अपने दिमाग से नहीं, दिल से महसूस करना चाहिए।
क्योंकि जब एक यूरोपीय नेता अपने देश के रूढ़िवादी अंदाज़ को छोड़कर एक एशियाई अभिवादन अपनाता है, तो वो बताता है कि संस्कृति का असली मतलब है - समझ और सम्मान।
ये नमस्ते बस हाथ जोड़ने का नहीं, बल्कि आत्मा को छूने का तरीका है।
और ये तो आज के दौर में बहुत कम हो रहा है।
हम लोग अक्सर भूल जाते हैं कि दुनिया के लोग भी सीखने के लिए तैयार हैं।
हमें बस इतना करना है कि हम अपनी चीज़ों को बिना घमंड के दिखाएं।
मेलोनी ने वही किया।
बिना बड़बड़ाए, बिना शो-ऑफ के।
और इसलिए ये इतना खास लगा।
क्योंकि असली गर्व तो वो होता है जो दिखाई नहीं देता, बस महसूस किया जाता है।
Akshat Umrao
जून 18, 2024 AT 17:00भारत की संस्कृति का ये छोटा सा पल दुनिया को याद दिला रहा है कि असली शक्ति शो-ऑफ में नहीं, सम्मान में होती है।
Sonu Kumar
जून 20, 2024 AT 11:08मेलोनी ने जो किया, वो बस एक प्रचार ट्रिक है - जिसे विदेशी मीडिया भी बड़े आकार से दिखा रहा है।
हम तो अपने देश में लाखों बच्चे बिना शिक्षा के रह गए हैं, और हम यहाँ नमस्ते की तारीफ कर रहे हैं? बहुत अच्छा लगा ना?
sunil kumar
जून 21, 2024 AT 01:22यह दर्शाता है कि संस्कृतियाँ अब बंद नहीं रहीं, बल्कि अंतर्संस्कृतिक संवाद का हिस्सा बन रही हैं।
इसके साथ ही, G7 के अन्य मुद्दों - जैसे यूक्रेन की सहायता और जलवायु परिवर्तन - पर चर्चा का भी विश्लेषण किया जाना चाहिए।
Mahesh Goud
जून 22, 2024 AT 14:51असल में ये सब एक डिजिटल डिस्ट्रैक्शन है! जब तक हम अपने घर में बिजली नहीं देंगे, तब तक नमस्ते का क्या फायदा?
और ये मोदी का आगमन? बस एक फोटो शूटिंग है! उन्होंने जो कहा, वो कोई नहीं सुन रहा।
पैसे कहाँ जा रहे हैं? क्या यूक्रेन के लिए 50 बिलियन डॉलर अमेरिका अपने खाते से निकाल रहा है? नहीं! वो रूसी संपत्ति जमा कर रहा है, और वो रूसी संपत्ति असल में वेल्थ फंड्स में लगी है जिन्हें अमेरिका ने खुद बनाया है!
ये सब एक बड़ा फ्रॉड है।
हम लोग तो अपने आप को बड़ा समझ रहे हैं, जबकि दुनिया हमें बस एक बड़ा बाजार और बड़ा बायोमेट्रिक डेटा सोर्स समझ रही है।
ये नमस्ते? बस एक डिजिटल ब्रांडिंग ट्रिक है।
मैं तो बस यही कहूंगा - जब तक हम अपने देश के अंदर नहीं सुधारेंगे, तब तक ये सब बस एक ट्रेंड है।
और ट्रेंड तो फिर गायब हो जाते हैं।
Ravi Roopchandsingh
जून 23, 2024 AT 09:31हम तो दुनिया के सामने अपनी जमीन के लिए लड़ रहे हैं, और ये लोग नमस्ते की तारीफ कर रहे हैं?
भारत की वास्तविक शक्ति तो उन लोगों में है जो गाँव में बिना बिजली के बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
ये सब बस फोटो शूटिंग है।
मोदी के लिए भी ये एक बड़ा ड्रामा है।
किसी को भी ये बता दो - नमस्ते नहीं, असली बदलाव चाहिए! 🙄
Shalini Dabhade
जून 23, 2024 AT 13:11हम तो अपने घर के अंदर भी नहीं बदल पाए, और बाहर के लोगों को नमस्ते बोलने की बात कर रहे हैं?
मेरा दावा है - ये सब एक विदेशी ब्रांडिंग ट्रिक है।
भारत को अपने अंदर की जड़ों को देखना चाहिए, न कि बाहर के लोगों के अभिवादन को देखना।
Jothi Rajasekar
जून 24, 2024 AT 20:14भारत की संस्कृति का ये छोटा सा तरीका दुनिया को भी सीख रहा है।
मेलोनी ने जो किया, वो बस एक नमस्ते नहीं, एक दिल का संपर्क था।
हमें इसे गर्व से स्वीकार करना चाहिए।
और जब भी कोई भारतीय संस्कृति को दुनिया में ले जाता है, तो वो एक असली विजय होती है।
हम लोग अक्सर अपने आप को छोटा समझ लेते हैं, लेकिन दुनिया हमें बड़ा देख रही है।
जारी रखो! 💪
Irigi Arun kumar
जून 26, 2024 AT 09:13हमारे घरों में बच्चों को नमस्ते सिखाना चाहिए, न कि सिर्फ विदेशी नेताओं के लिए।
ये एक बाहरी शो है, लेकिन असली बदलाव तो हमारे घरों में शुरू होता है।
हम लोग अपनी आदतों को बदलें, तो दुनिया भी बदल जाएगी।
ये नमस्ते बस एक शुरुआत है।
Jeyaprakash Gopalswamy
जून 28, 2024 AT 02:26मैं तो बस यही कहूंगा - हमारी संस्कृति का ये छोटा सा पल दुनिया को याद दिला रहा है कि असली शक्ति बोलचाल में नहीं, सम्मान में होती है।
मेलोनी ने जो किया, वो बस एक अभिवादन नहीं, एक दिल की बात थी।
हमें इसे गर्व से जीना चाहिए।
और हाँ, मोदी का आगमन भी बहुत महत्वपूर्ण था।
हम लोग अक्सर भूल जाते हैं कि भारत दुनिया के लिए एक आशा का प्रतीक है।
जारी रखो, भाई! 💪
ajinkya Ingulkar
जून 28, 2024 AT 05:46हम तो अपने देश में लाखों बच्चे बिना पानी के रह रहे हैं, और ये लोग नमस्ते की तारीफ कर रहे हैं?
ये सब बस एक विदेशी प्रचार है।
मोदी के आगमन का भी असली मतलब क्या है? बस एक फोटो शूटिंग।
हम तो अपने अंदर की गरीबी को नहीं देख पा रहे।
ये नमस्ते? बस एक फेक न्यूज़ है।
जब तक हम अपने घर के अंदर नहीं सुधरेंगे, तब तक ये सब बस एक शो है।
nidhi heda
जून 29, 2024 AT 11:41मेलोनी ने जो किया, वो तो बस एक दिल का जादू था! 🥹
मैं रो पड़ी! ये नमस्ते बस एक शब्द नहीं, एक भावना है! 💖
और मोदी जी का आगमन? वो तो देवता का आगमन था! 🙏
मैं तो अब हर रोज़ नमस्ते बोलूंगी! 😭❤️
DINESH BAJAJ
जून 30, 2024 AT 00:02भारत की संस्कृति को दुनिया के सामने लाने की जरूरत नहीं है।
हम तो अपने अंदर की बातों पर ध्यान दें।
ये सब बस एक फैशन है।
मोदी का आगमन भी बस एक फोटो शूटिंग है।
हमें अपने घर के अंदर बदलाव चाहिए, न कि बाहर के लोगों के अभिवादन की तारीफ।
Rohit Raina
जुलाई 1, 2024 AT 00:55या ये बस एक शो-ऑफ है जो जल्दी ही भूल जायेगा?
मोदी के आगमन का असली मतलब तो भारत की वैश्विक भूमिका को बढ़ाना है।
लेकिन क्या ये बदलाव सिर्फ एक वीडियो या एक नमस्ते से हो जाएगा?
Prasad Dhumane
जुलाई 1, 2024 AT 13:23जब मेलोनी ने अपने हाथ जोड़े, तो उसने एक अंतर्राष्ट्रीय नेता के रूप में नहीं, एक मानव के रूप में सम्मान दिखाया।
ये वही जगह है जहाँ भारत की शक्ति छिपी है - नहीं तोपों और टैंकों में, बल्कि एक छोटे से अभिवादन में।
हम लोग अक्सर भूल जाते हैं कि दुनिया जिस चीज़ को सबसे ज्यादा सराहती है, वो है विनम्रता।
ये नमस्ते वाला पल बता रहा है कि भारत की संस्कृति अभी भी दुनिया के लिए एक जीवन दर्शन है।
और ये बहुत खास है।
हमें इसे बस एक ट्रेंड के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवन शैली के रूप में जीना चाहिए।
rajesh gorai
जुलाई 2, 2024 AT 07:19इसका अर्थ है कि रूढ़िवादी राष्ट्रीय पहचानें अब एक डायनामिक इंटर-कल्चरल फ्लो में विलीन हो रही हैं।
मेलोनी का ये कदम एक नया जीवन दर्शन है - जहाँ संस्कृति एक लाइव स्ट्रीम है, न कि एक स्थिर आइकन।
ये एक एपिस्टेमोलॉजिकल ट्रांसफॉर्मेशन है।
और ये सब बस एक नमस्ते के लिए है? 😏
Rampravesh Singh
जुलाई 3, 2024 AT 09:49भारतीय संस्कृति के वैश्विक स्वीकार्यता का यह एक महत्वपूर्ण आयाम है।
इसके साथ ही, G7 के अन्य निर्णयों के वैश्विक प्रभाव का भी विस्तृत अध्ययन किया जाना चाहिए।
भारत के आगमन का तात्पर्य वैश्विक नीति में इसकी बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।