G7 शिखर सम्मेलन में इतालवी पीएम जियोर्जिया मेलोनी का भारतीय नमस्ते के साथ अभिवादन

G7 शिखर सम्मेलन में इतालवी पीएम जियोर्जिया मेलोनी का भारतीय नमस्ते के साथ अभिवादन

Anmol Shrestha जून 14 2024 18

G7 शिखर सम्मेलन: भारतीय नमस्ते के साथ स्वागत

दक्षिणी इटली के एक शानदार रिसॉर्ट में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन में इस बार कुछ खास देखने को मिला। इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने सम्मेलन में शामिल होने आए अंतरराष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत भारतीय धरती पर प्रचलित 'नमस्ते' के साथ किया। मेलोनी के इस अंदाज को सोशल मीडिया पर जमकर सराहा जा रहा है। इस अभिवादन के वीडियो और तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं।

मेलोनी के इस कदम को संस्कृति के विनिमय के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय शैली का 'नमस्ते' पहले ही दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुका है और मेलोनी के इस प्रकार स्वागत करने से यह संदेश गया है कि वैश्विक नेताओं के बीच भी इस संस्कृति की स्वीकार्यता बढ़ रही है।

इस बार के G7 शिखर सम्मेलन का आयोजन एक विशेष समय पर हुआ है जब दुनियाभर के देशों के बीच कई मुद्दों पर चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। सम्मेलन में हिस्सा ले रहे सात प्रमुख औद्योगिक देशों के प्रमुखों के बीच कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चाएं हुई हैं और कुछ प्रमुख घोषणाएं भी की गई हैं।

यूक्रेन के लिए अमेरिकी सहायता

यूक्रेन के लिए अमेरिकी सहायता

इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से एक बड़ी घोषणा हुई जिसमें उन्होंने यूक्रेन को 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता देने की बात कही। इस सहायता के लिए जमे हुए रूसी संपत्तियों को जमाखत के रूप में प्रयोग किया जाएगा। यूक्रेन की मौजूदा स्थिति देखते हुए यह निर्णय काफी महत्वपूर्ण है।

इससे पहले भी अमेरिका ने यूक्रेन की सहायता के लिए कई प्रकार के कदम उठाए हैं लेकिन 50 बिलियन डॉलर की इस मदद को अंतरराष्ट्रीय समुदाय में बड़े स्तर पर देखा जा रहा है। इस निर्णय से यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रमण के खिलाफ एक सशक्त संदेश गया है।

नरेंद्र मोदी का आगमन

नरेंद्र मोदी का आगमन

इस शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शिरकत की। यह उनके तीसरे कार्यकाल की पहली अंतर्राष्ट्रीय यात्रा थी। मोदी का आगमन भी इस सम्मेलन के प्रमुख आकर्षणों में से एक रहा। मोदी ने शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित Outreach सत्र में भाग लिया और इसके अलावा कई वैश्विक नेताओं के साथ अंतरंग चर्चाएं भी कीं।

मोदी की इस यात्रा को भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में काफी महत्व दिया जा रहा है। उन्होंने विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर अपनी मजबूत राय सामने रखी और भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया।

वैश्विक मुद्दों पर चर्चाएं

G7 शिखर सम्मेलन में विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर चर्चाएं हुईं जिनमें जलवायु परिवर्तन, वैश्विक स्वास्थ्य संकट, और आर्थिक सुधार प्रमुख रहे। नेताओं ने इन मुद्दों पर अपने-अपने देश के दृष्टिकोण और नीतियों को सामने रखा।

जलवायु परिवर्तन पर विशेष ध्यान देते हुए सम्मेलन में कई नए प्रस्ताव पारित किए गए। इसके अलावा स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए वैक्सीन वितरण और स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार पर भी चर्चाएं हुईं।

संस्कृतियों का मिलन

संस्कृतियों का मिलन

इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी का भारतीय 'नमस्ते' के साथ स्वागत करना वास्तव में संस्कृतियों के मिलन का प्रतीक है। इस प्रकार का स्वागत दिखाता है कि कैसे अलग-अलग देशों की संस्कृतियां वैश्विक स्तर पर अपना प्रभाव डाल रही हैं और एक दूसरे के प्रति आदर और सम्मान का भाव बढ़ रहा है।

यह निश्चित रूप से एक सकारात्मक संकेत है कि वैश्विक स्तर पर हमारा सहयोग और समझ बढ़ रही है। मेलोनी के इस स्वागत ने भारतीय संस्कृति को भी एक खास पहचान दिलाई है और यह दर्शाया है कि चाहे विदश में ही क्यों न हों, भारतीय परंपराओं का महत्व सर्वत्र है।

18 टिप्पणि

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    Arvind Singh Chauhan

    जून 16, 2024 AT 08:04
    नमस्ते का इतालवी पीएम द्वारा इस्तेमाल बहुत अच्छा लगा। ये छोटा सा जायका दुनिया को बताता है कि भारत की संस्कृति कितनी गहराई से जुड़ी है।
    कोई भी देश इतना सम्मान नहीं देता जितना भारत देता है।
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    AAMITESH BANERJEE

    जून 17, 2024 AT 22:05
    ये सब तो बहुत अच्छा है, लेकिन असली बात ये है कि जब हम अपने संस्कृति को दुनिया के सामने रखते हैं तो वो बस एक ट्रेंड नहीं बन जाती, बल्कि एक रिस्पेक्ट का फॉर्मूला बन जाती है।
    मेलोनी ने जो किया, वो बस एक नमस्ते नहीं था, वो एक इंटरकल्चरल हैंडशेक था।
    भारत के लिए ये एक छोटा सा विजय का पल है, जिसे हम अपने दिमाग से नहीं, दिल से महसूस करना चाहिए।
    क्योंकि जब एक यूरोपीय नेता अपने देश के रूढ़िवादी अंदाज़ को छोड़कर एक एशियाई अभिवादन अपनाता है, तो वो बताता है कि संस्कृति का असली मतलब है - समझ और सम्मान।
    ये नमस्ते बस हाथ जोड़ने का नहीं, बल्कि आत्मा को छूने का तरीका है।
    और ये तो आज के दौर में बहुत कम हो रहा है।
    हम लोग अक्सर भूल जाते हैं कि दुनिया के लोग भी सीखने के लिए तैयार हैं।
    हमें बस इतना करना है कि हम अपनी चीज़ों को बिना घमंड के दिखाएं।
    मेलोनी ने वही किया।
    बिना बड़बड़ाए, बिना शो-ऑफ के।
    और इसलिए ये इतना खास लगा।
    क्योंकि असली गर्व तो वो होता है जो दिखाई नहीं देता, बस महसूस किया जाता है।
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    Akshat Umrao

    जून 18, 2024 AT 18:00
    नमस्ते का इस तरह से इस्तेमाल देखकर बहुत अच्छा लगा 😊
    भारत की संस्कृति का ये छोटा सा पल दुनिया को याद दिला रहा है कि असली शक्ति शो-ऑफ में नहीं, सम्मान में होती है।
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    Sonu Kumar

    जून 20, 2024 AT 12:08
    अरे यार, ये सब बस एक नमस्ते का शो-ऑफ है! जब तक हम अपने अंदर की वास्तविकता को नहीं सुधारेंगे - जैसे बेरोजगारी, शिक्षा का अभाव, जमीनी स्तर पर असमानता - तब तक दुनिया को नमस्ते के बारे में बताने का क्या मतलब? ये तो बस एक फिल्मी झूठ है।
    मेलोनी ने जो किया, वो बस एक प्रचार ट्रिक है - जिसे विदेशी मीडिया भी बड़े आकार से दिखा रहा है।
    हम तो अपने देश में लाखों बच्चे बिना शिक्षा के रह गए हैं, और हम यहाँ नमस्ते की तारीफ कर रहे हैं? बहुत अच्छा लगा ना?
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    sunil kumar

    जून 21, 2024 AT 02:22
    इस घटना को सांस्कृतिक विनिमय के रूप में देखना उचित है। भारतीय अभिवादन प्रणाली का वैश्विक स्तर पर स्वीकार्यता बढ़ना एक सकारात्मक विकास है।
    यह दर्शाता है कि संस्कृतियाँ अब बंद नहीं रहीं, बल्कि अंतर्संस्कृतिक संवाद का हिस्सा बन रही हैं।
    इसके साथ ही, G7 के अन्य मुद्दों - जैसे यूक्रेन की सहायता और जलवायु परिवर्तन - पर चर्चा का भी विश्लेषण किया जाना चाहिए।
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    Mahesh Goud

    जून 22, 2024 AT 15:51
    ये सब बस धोखा है! जानते हो क्या हो रहा है? ये नमस्ते वाला वीडियो अमेरिका और इटली ने बनवाया है ताकि भारत के लोगों को भ्रमित किया जा सके कि हम दुनिया में बड़े हो गए हैं।
    असल में ये सब एक डिजिटल डिस्ट्रैक्शन है! जब तक हम अपने घर में बिजली नहीं देंगे, तब तक नमस्ते का क्या फायदा?
    और ये मोदी का आगमन? बस एक फोटो शूटिंग है! उन्होंने जो कहा, वो कोई नहीं सुन रहा।
    पैसे कहाँ जा रहे हैं? क्या यूक्रेन के लिए 50 बिलियन डॉलर अमेरिका अपने खाते से निकाल रहा है? नहीं! वो रूसी संपत्ति जमा कर रहा है, और वो रूसी संपत्ति असल में वेल्थ फंड्स में लगी है जिन्हें अमेरिका ने खुद बनाया है!
    ये सब एक बड़ा फ्रॉड है।
    हम लोग तो अपने आप को बड़ा समझ रहे हैं, जबकि दुनिया हमें बस एक बड़ा बाजार और बड़ा बायोमेट्रिक डेटा सोर्स समझ रही है।
    ये नमस्ते? बस एक डिजिटल ब्रांडिंग ट्रिक है।
    मैं तो बस यही कहूंगा - जब तक हम अपने देश के अंदर नहीं सुधारेंगे, तब तक ये सब बस एक ट्रेंड है।
    और ट्रेंड तो फिर गायब हो जाते हैं।
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    Ravi Roopchandsingh

    जून 23, 2024 AT 10:31
    क्या ये सब बस एक नमस्ते के लिए है? 😒
    हम तो दुनिया के सामने अपनी जमीन के लिए लड़ रहे हैं, और ये लोग नमस्ते की तारीफ कर रहे हैं?
    भारत की वास्तविक शक्ति तो उन लोगों में है जो गाँव में बिना बिजली के बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
    ये सब बस फोटो शूटिंग है।
    मोदी के लिए भी ये एक बड़ा ड्रामा है।
    किसी को भी ये बता दो - नमस्ते नहीं, असली बदलाव चाहिए! 🙄
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    Shalini Dabhade

    जून 23, 2024 AT 14:11
    अरे भाई, इटली की पीएम ने नमस्ते किया तो क्या हुआ? भारत के लोगों को अपने देश की शक्ति का एहसास होना चाहिए, न कि ये कि विदेशी नेता ने हमारी आदत को देखा।
    हम तो अपने घर के अंदर भी नहीं बदल पाए, और बाहर के लोगों को नमस्ते बोलने की बात कर रहे हैं?
    मेरा दावा है - ये सब एक विदेशी ब्रांडिंग ट्रिक है।
    भारत को अपने अंदर की जड़ों को देखना चाहिए, न कि बाहर के लोगों के अभिवादन को देखना।
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    Jothi Rajasekar

    जून 24, 2024 AT 21:14
    वाह! ये नमस्ते वाला पल बहुत खूबसूरत लगा 😊
    भारत की संस्कृति का ये छोटा सा तरीका दुनिया को भी सीख रहा है।
    मेलोनी ने जो किया, वो बस एक नमस्ते नहीं, एक दिल का संपर्क था।
    हमें इसे गर्व से स्वीकार करना चाहिए।
    और जब भी कोई भारतीय संस्कृति को दुनिया में ले जाता है, तो वो एक असली विजय होती है।
    हम लोग अक्सर अपने आप को छोटा समझ लेते हैं, लेकिन दुनिया हमें बड़ा देख रही है।
    जारी रखो! 💪
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    Irigi Arun kumar

    जून 26, 2024 AT 10:13
    ये नमस्ते का इस्तेमाल बहुत अच्छा लगा। लेकिन अगर हम वास्तव में संस्कृति को बढ़ाना चाहते हैं, तो हमें अपने घर के अंदर भी इसे जीना होगा।
    हमारे घरों में बच्चों को नमस्ते सिखाना चाहिए, न कि सिर्फ विदेशी नेताओं के लिए।
    ये एक बाहरी शो है, लेकिन असली बदलाव तो हमारे घरों में शुरू होता है।
    हम लोग अपनी आदतों को बदलें, तो दुनिया भी बदल जाएगी।
    ये नमस्ते बस एक शुरुआत है।
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    Jeyaprakash Gopalswamy

    जून 28, 2024 AT 03:26
    अरे भाई, ये नमस्ते वाला पल तो दिल को छू गया 😊
    मैं तो बस यही कहूंगा - हमारी संस्कृति का ये छोटा सा पल दुनिया को याद दिला रहा है कि असली शक्ति बोलचाल में नहीं, सम्मान में होती है।
    मेलोनी ने जो किया, वो बस एक अभिवादन नहीं, एक दिल की बात थी।
    हमें इसे गर्व से जीना चाहिए।
    और हाँ, मोदी का आगमन भी बहुत महत्वपूर्ण था।
    हम लोग अक्सर भूल जाते हैं कि भारत दुनिया के लिए एक आशा का प्रतीक है।
    जारी रखो, भाई! 💪
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    ajinkya Ingulkar

    जून 28, 2024 AT 06:46
    नमस्ते का इस्तेमाल? बस एक फिल्मी शो है।
    हम तो अपने देश में लाखों बच्चे बिना पानी के रह रहे हैं, और ये लोग नमस्ते की तारीफ कर रहे हैं?
    ये सब बस एक विदेशी प्रचार है।
    मोदी के आगमन का भी असली मतलब क्या है? बस एक फोटो शूटिंग।
    हम तो अपने अंदर की गरीबी को नहीं देख पा रहे।
    ये नमस्ते? बस एक फेक न्यूज़ है।
    जब तक हम अपने घर के अंदर नहीं सुधरेंगे, तब तक ये सब बस एक शो है।
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    nidhi heda

    जून 29, 2024 AT 12:41
    ओह माय गॉड!! 😱 ये नमस्ते वाला पल तो मैंने तीन बार रिप्ले किया! 🤯
    मेलोनी ने जो किया, वो तो बस एक दिल का जादू था! 🥹
    मैं रो पड़ी! ये नमस्ते बस एक शब्द नहीं, एक भावना है! 💖
    और मोदी जी का आगमन? वो तो देवता का आगमन था! 🙏
    मैं तो अब हर रोज़ नमस्ते बोलूंगी! 😭❤️
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    DINESH BAJAJ

    जून 30, 2024 AT 01:02
    नमस्ते का इस्तेमाल? बहुत ही बेकार।
    भारत की संस्कृति को दुनिया के सामने लाने की जरूरत नहीं है।
    हम तो अपने अंदर की बातों पर ध्यान दें।
    ये सब बस एक फैशन है।
    मोदी का आगमन भी बस एक फोटो शूटिंग है।
    हमें अपने घर के अंदर बदलाव चाहिए, न कि बाहर के लोगों के अभिवादन की तारीफ।
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    Rohit Raina

    जुलाई 1, 2024 AT 01:55
    इस नमस्ते को संस्कृति का विनिमय कहना ठीक है, लेकिन क्या ये वास्तव में कोई गहरा बदलाव लाएगा?
    या ये बस एक शो-ऑफ है जो जल्दी ही भूल जायेगा?
    मोदी के आगमन का असली मतलब तो भारत की वैश्विक भूमिका को बढ़ाना है।
    लेकिन क्या ये बदलाव सिर्फ एक वीडियो या एक नमस्ते से हो जाएगा?
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    Prasad Dhumane

    जुलाई 1, 2024 AT 14:23
    ये नमस्ते बस एक शब्द नहीं, ये एक जीवन दर्शन है।
    जब मेलोनी ने अपने हाथ जोड़े, तो उसने एक अंतर्राष्ट्रीय नेता के रूप में नहीं, एक मानव के रूप में सम्मान दिखाया।
    ये वही जगह है जहाँ भारत की शक्ति छिपी है - नहीं तोपों और टैंकों में, बल्कि एक छोटे से अभिवादन में।
    हम लोग अक्सर भूल जाते हैं कि दुनिया जिस चीज़ को सबसे ज्यादा सराहती है, वो है विनम्रता।
    ये नमस्ते वाला पल बता रहा है कि भारत की संस्कृति अभी भी दुनिया के लिए एक जीवन दर्शन है।
    और ये बहुत खास है।
    हमें इसे बस एक ट्रेंड के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवन शैली के रूप में जीना चाहिए।
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    rajesh gorai

    जुलाई 2, 2024 AT 08:19
    ये नमस्ते एक पोस्ट-मॉडर्न सांस्कृतिक सिंथेसिस का उदाहरण है, जहाँ एक वैश्विक नेता एक एशियाई अभिवादन को अपनाकर एक डिजिटल अवधारणा को रिकॉन्स्ट्रक्ट कर रही है।
    इसका अर्थ है कि रूढ़िवादी राष्ट्रीय पहचानें अब एक डायनामिक इंटर-कल्चरल फ्लो में विलीन हो रही हैं।
    मेलोनी का ये कदम एक नया जीवन दर्शन है - जहाँ संस्कृति एक लाइव स्ट्रीम है, न कि एक स्थिर आइकन।
    ये एक एपिस्टेमोलॉजिकल ट्रांसफॉर्मेशन है।
    और ये सब बस एक नमस्ते के लिए है? 😏
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    Rampravesh Singh

    जुलाई 3, 2024 AT 10:49
    इस घटना का आधिकारिक रूप से विश्लेषण करना आवश्यक है।
    भारतीय संस्कृति के वैश्विक स्वीकार्यता का यह एक महत्वपूर्ण आयाम है।
    इसके साथ ही, G7 के अन्य निर्णयों के वैश्विक प्रभाव का भी विस्तृत अध्ययन किया जाना चाहिए।
    भारत के आगमन का तात्पर्य वैश्विक नीति में इसकी बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।

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