Hexaware Technologies IPO Allotment: QIB की जबरदस्त मांग, रिटेल निवेशक पीछे, Status ऐसे करें चेक

Hexaware Technologies IPO Allotment: QIB की जबरदस्त मांग, रिटेल निवेशक पीछे, Status ऐसे करें चेक

Anmol Shrestha मई 31 2025 8

Hexaware Technologies IPO: निवेशकों में उछाल, रिटेल से दूरी

Hexaware Technologies ने 2025 के सबसे चर्चित IPO में से एक पेश किया, जिसमें निवेशकों का ध्यान तो जमकर खींचा, लेकिन इक्विटी मार्केट में सभी की रुचि बराबर नहीं दिखी। 674 से 708 रुपए प्रति शेयर के प्राइस बैंड पर ये इश्यू 12 से 14 फरवरी तक खुला था। कंपनी ने इस दौर में करीब 8,750 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा था।

इस IPO की खास बात रही Qualified Institutional Buyers (QIBs) की जबरदस्त भागीदारी। QIB श्रेणी में 9.09 गुना अधिक सब्सक्रिप्शन देखने को मिला, जो अपने-आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है। वहीं Non-Institutional Investors (NII) ने भी हल्की-फुल्की दिलचस्पी दिखाई, जहाँ केवल 0.20 गुना सब्सक्रिप्शन हुआ। दूसरी तरफ रिटेल निवेशकों की सहभागिता सबसे निचले स्तर पर रही—महज 0.11 गुना। इसका सीधा मतलब है कि आम निवेशकों की तरफ़ से Hexaware के IPO में उम्मीद के मुताबिक उत्साह नहीं दिखा। इसके बावजूद, कुल मिलाकर इश्यू को 2.66 गुना ओवरसब्सक्रिप्शन मिला।

Allotment स्टेटस कैसे चेक करें और आगे की प्रक्रिया

इस IPO का allotment status 17 फरवरी 2025 को तय हुआ। जिन लोगों को शेयर नहीं मिले हैं, उनके लिए रिफंड का प्रोसेस 18 फरवरी से चालू कर दिया गया है। अब सभी की नजर 19 फरवरी को होने वाली Hexaware Technologies की लिस्टिंग पर है – जिसमें प्रीमियम या डिस्काउंट दोनों की संभावना है, क्योंकि मार्केट सेंटिमेंट इसमें अहम रोल निभाएगा।

  • Kfin Technologies (रजिस्ट्रार) वेबसाइट: यहां अपनी IPO डिटेल्स जैसे PAN नंबर, एप्लीकेशन नंबर या डिमैट अकाउंट डालकर स्टेटस सीधे पा सकते हैं।
  • BSE और NSE प्लेटफॉर्म: इन एक्सचेंजों पर भी अपनी जानकारी डालकर अलॉटमेंट का अपडेट तुरंत मिल जाता है।

IPO में मिनिमम लॉट 21 शेयर का था, मतलब एक लॉट के लिए कम-से-कम 14,154 रुपए निवेश करने पड़ते। खास बात ये भी है कि Hexaware Technologies को Carlyle जैसी दिग्गज इन्वेस्टमेंट फर्म का सपोर्ट मिला है, जिसने इस इश्यू को संस्थागत स्तर पर मजबूती दी।

बाकी, अगर आप लकी रहे तो आपके डिमैट अकाउंट में शेयर आ जाएंगे। नहीं मिले तो आपके पैसे रिफंड प्रोसेस के जरिए वापिस आ जाएंगे। कंपनी के लिस्टिंग के बाद का परफॉर्मेंस—मार्केट की चाल, IT सेक्टर का ट्रेंड और ग्लोबल फंड्स का मूड—इन सब चीजों पर निर्भर करेगा।

8 टिप्पणि

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    Preeti Bathla

    जून 2, 2025 AT 01:19
    ये QIBs का जमकर भाग लेना तो समझ में आता है... पर रिटेल निवेशकों को डर क्यों लग रहा है? क्या अब हर IPO में लॉटरी जीतने की उम्मीद नहीं कर सकते? 😩
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    Aayush ladha

    जून 2, 2025 AT 20:40
    अगर ये कंपनी अमेरिका में होती तो सब उसके लिए लड़ रहे होते। लेकिन भारतीय कंपनी है तो रिटेल वाले डर गए। असली देशभक्ति तो IPO में निवेश करके दिखाई जाती है।
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    Rahul Rock

    जून 3, 2025 AT 08:40
    इस IPO का एक बड़ा पाठ ये है कि बाजार अब दो तरह के लोगों से बन रहा है - जो डेटा देखते हैं और जो डरते हैं। QIBs ने डेटा देखा, रिटेल ने अफवाह सुनी। अगर हम लोग इस अंतर को समझ जाएं तो अगली बार अलग फैसला लेंगे।
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    Annapurna Bhongir

    जून 3, 2025 AT 15:44
    रिफंड आएगा तो खुश हो जाना चाहिए ना बेकार का रूप लेकर इंतजार मत करो
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    PRATIKHYA SWAIN

    जून 4, 2025 AT 07:28
    लिस्टिंग पर देखते हैं। अच्छा होगा।
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    MAYANK PRAKASH

    जून 6, 2025 AT 03:45
    मैंने भी अप्लाई किया था पर नहीं मिला। पर निराश नहीं हुआ। क्योंकि मैं जानता हूँ कि ये एक शुरुआत है। अगली बार और ज्यादा डीटेल में रिसर्च करूंगा। अगर आप भी नहीं मिला तो चिंता मत करो, ये बस एक बार है।
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    Akash Mackwan

    जून 8, 2025 AT 01:37
    ये सब बकवास है। कंपनी ने निवेशकों को धोखा दिया। Carlyle का नाम लेकर लोगों को भागा दिया। असली निवेश तो वो करते हैं जो अपने पैसे खुद लगाते हैं, न कि बड़े फंड्स के नाम से घुल मिल जाते हैं। इस IPO में सिर्फ एक चीज साफ है - आम आदमी का विश्वास टूट गया।
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    Amar Sirohi

    जून 9, 2025 AT 18:11
    सोचो थोड़ा। इस IPO का वास्तविक मतलब क्या है? ये सिर्फ एक ट्रांजैक्शन नहीं, ये एक सामाजिक संकेत है। जब एक देश के रिटेल निवेशक एक इतनी ताकतवर कंपनी में नहीं उतरते, तो इसका मतलब है कि उनके भीतर एक गहरा अविश्वास बैठ गया है - न केवल इस कंपनी के प्रति, बल्कि पूरे सिस्टम के प्रति। जब एक इंसान अपने पैसे को लेकर डरता है, तो वो अपने भविष्य को नहीं बचा रहा, बल्कि अपने भरोसे को बचा रहा है। और ये डर, जब लाखों लोगों में फैल जाए, तो ये एक सामाजिक बीमारी बन जाती है। अगर हम इसे नहीं सुधारेंगे, तो अगली बार कोई भी IPO, चाहे उसका नाम क्या हो, बस एक अल्ट्रा-कॉम्प्लेक्स लॉटरी बन जाएगा।

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