वित्त विधेयक पर उबाल
केन्या में हाल ही में पारित हुआ विवादास्पद वित्त विधेयक असंतोष और हिंसा का कारण बन गया है। इस विधेयक का उद्देश्य विभिन्न दैनिक उपभोग की वस्तुओं और सेवाओं पर कर बढ़ाकर या लागू करके $2.7 बिलियन की अतिरिक्त घरेलू आय उत्पन्न करना है। सरकार का यह तर्क है कि इन उपायों की आवश्यकता राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज का भुगतान करने, बजट घाटे को कम करने और सरकारी संचालन को बनाए रखने हेतु हैं। परंतु, प्रदर्शनकारी इन बदलावों को अव्यवहारिक और असहनीय मान रहे हैं, खासकर वर्तमान में पहले से ही ऊँचे जीवनयापन की लागत को देखते हुए।
युवाओं का विरोध प्रदर्शन
इस विवादित विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन 18 जून को सोशल मीडिया पर संगठित होकर शुरू हुए और यह पूरे देश में फैल गए। युवा केन्यावासियों ने इस विधेयक के खिलाफ मोर्चा संभाला और सड़कों पर उतर आए। मंगलवार को यह विरोध हिंसक रूप धारण कर गया जब प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं। इसमें कई लोगों की मौत हो गई और बहुत से घायल हो गए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को भी तैनात करना पड़ा। यह दशक में केन्या की सरकार पर सबसे गंभीर आक्रमणों में से एक माना जा रहा है।
राष्ट्रपति पर उठ रहे सवाल
राष्ट्रपति विलियम रूटो, जिन्होंने आम जनता का पक्षधर बनकर चुनाव जीता था, अब इन नई नीतियों के कारण कड़ी आलोचना का सामना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि राष्ट्रपति अपने मूल सिद्धांतों से भटक गए हैं और साधारण केन्यावासियों की परेशानियों से कट गए हैं। इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने की उनकी संभावना ने प्रदर्शनकारियों के आक्रोश को और बढ़ा दिया है। यहाँ तक कि धार्मिक नेता भी उनसे पुनर्विचार करने का अनुरोध कर रहे हैं।
जनता की मांग
प्रदर्शनकारी यह मांग कर रहे हैं कि सरकार इस विधेयक को वापस ले और आर्थिक सुधारों के अन्य विकल्पों पर विचार करें। वे यह भी चाहते हैं कि सरकार गरीबी और ऊँचे जीवनयापन की लागत के खिलाफ अधिक प्रभावी कदम उठाए। नेताओं द्वारा दावा किया जा रहा है कि उन्होंने जनता की भलाई के लिए निर्णय लिए हैं, लेकिन जनता का विश्वास और समर्थन तेजी से कम हो रहा है।
सारांश
वित्त विधेयक और इसके खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों ने केन्या की राजनीतिक और सामाजिक संरचना को झटके दिए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि राष्ट्रपति रूटो इस संकट से कैसे निपटते हैं और क्या वह अपने किए वादों को पूरा करने में समर्थ होते हैं। अब समय ही बताएगा कि यह विधेयक कितना सफल या असफल साबित होता है और इससे किस तरह के बदलाव आते हैं।
dhawal agarwal
जून 27, 2024 AT 17:54Shalini Dabhade
जून 28, 2024 AT 02:52Jothi Rajasekar
जून 29, 2024 AT 15:20Irigi Arun kumar
जून 30, 2024 AT 08:51Jeyaprakash Gopalswamy
जून 30, 2024 AT 16:22ajinkya Ingulkar
जुलाई 2, 2024 AT 14:46nidhi heda
जुलाई 4, 2024 AT 04:57DINESH BAJAJ
जुलाई 5, 2024 AT 14:03Rohit Raina
जुलाई 7, 2024 AT 12:10Prasad Dhumane
जुलाई 9, 2024 AT 03:12rajesh gorai
जुलाई 9, 2024 AT 07:53Rampravesh Singh
जुलाई 10, 2024 AT 20:09Akul Saini
जुलाई 11, 2024 AT 04:45Arvind Singh Chauhan
जुलाई 11, 2024 AT 18:34AAMITESH BANERJEE
जुलाई 12, 2024 AT 05:34Akshat Umrao
जुलाई 13, 2024 AT 09:36Sonu Kumar
जुलाई 15, 2024 AT 08:57sunil kumar
जुलाई 15, 2024 AT 19:55Mahesh Goud
जुलाई 15, 2024 AT 21:08Ravi Roopchandsingh
जुलाई 17, 2024 AT 12:07