केन्या का विवादित वित्त विधेयक: सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें, हिंसा भड़की

केन्या का विवादित वित्त विधेयक: सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें, हिंसा भड़की

Anmol Shrestha जून 26 2024 20

वित्त विधेयक पर उबाल

केन्या में हाल ही में पारित हुआ विवादास्पद वित्त विधेयक असंतोष और हिंसा का कारण बन गया है। इस विधेयक का उद्देश्य विभिन्न दैनिक उपभोग की वस्तुओं और सेवाओं पर कर बढ़ाकर या लागू करके $2.7 बिलियन की अतिरिक्त घरेलू आय उत्पन्न करना है। सरकार का यह तर्क है कि इन उपायों की आवश्यकता राष्ट्रीय ऋण पर ब्याज का भुगतान करने, बजट घाटे को कम करने और सरकारी संचालन को बनाए रखने हेतु हैं। परंतु, प्रदर्शनकारी इन बदलावों को अव्यवहारिक और असहनीय मान रहे हैं, खासकर वर्तमान में पहले से ही ऊँचे जीवनयापन की लागत को देखते हुए।

युवाओं का विरोध प्रदर्शन

युवाओं का विरोध प्रदर्शन

इस विवादित विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन 18 जून को सोशल मीडिया पर संगठित होकर शुरू हुए और यह पूरे देश में फैल गए। युवा केन्यावासियों ने इस विधेयक के खिलाफ मोर्चा संभाला और सड़कों पर उतर आए। मंगलवार को यह विरोध हिंसक रूप धारण कर गया जब प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं। इसमें कई लोगों की मौत हो गई और बहुत से घायल हो गए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को भी तैनात करना पड़ा। यह दशक में केन्या की सरकार पर सबसे गंभीर आक्रमणों में से एक माना जा रहा है।

राष्ट्रपति पर उठ रहे सवाल

राष्ट्रपति पर उठ रहे सवाल

राष्ट्रपति विलियम रूटो, जिन्होंने आम जनता का पक्षधर बनकर चुनाव जीता था, अब इन नई नीतियों के कारण कड़ी आलोचना का सामना कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि राष्ट्रपति अपने मूल सिद्धांतों से भटक गए हैं और साधारण केन्यावासियों की परेशानियों से कट गए हैं। इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने की उनकी संभावना ने प्रदर्शनकारियों के आक्रोश को और बढ़ा दिया है। यहाँ तक कि धार्मिक नेता भी उनसे पुनर्विचार करने का अनुरोध कर रहे हैं।

जनता की मांग

प्रदर्शनकारी यह मांग कर रहे हैं कि सरकार इस विधेयक को वापस ले और आर्थिक सुधारों के अन्य विकल्पों पर विचार करें। वे यह भी चाहते हैं कि सरकार गरीबी और ऊँचे जीवनयापन की लागत के खिलाफ अधिक प्रभावी कदम उठाए। नेताओं द्वारा दावा किया जा रहा है कि उन्होंने जनता की भलाई के लिए निर्णय लिए हैं, लेकिन जनता का विश्वास और समर्थन तेजी से कम हो रहा है।

सारांश

वित्त विधेयक और इसके खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों ने केन्या की राजनीतिक और सामाजिक संरचना को झटके दिए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि राष्ट्रपति रूटो इस संकट से कैसे निपटते हैं और क्या वह अपने किए वादों को पूरा करने में समर्थ होते हैं। अब समय ही बताएगा कि यह विधेयक कितना सफल या असफल साबित होता है और इससे किस तरह के बदलाव आते हैं।

20 टिप्पणि

  • Image placeholder

    dhawal agarwal

    जून 27, 2024 AT 17:54
    इस विधेयक के पीछे का तर्क समझ आता है, लेकिन जनता की जेब से पैसे निकालने के बजाय सरकार को अपने खर्चों को सुधारना चाहिए। अगर बुरे अधिकारी और अनावश्यक विभागों को काट दिया जाए, तो कर बढ़ाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
  • Image placeholder

    Shalini Dabhade

    जून 28, 2024 AT 02:52
    yeh sab protest bs ek jhootha drama hai.. sabko kuch nahi pata lekin sab bol rha hai.. kenyans ko apni galtiyan samajhni chahiye na ki har baar bahar nikalna..
  • Image placeholder

    Jothi Rajasekar

    जून 29, 2024 AT 15:20
    bhool jao na ye sab kuch.. zindagi jee lo.. yeh sab tax ka sawal hai lekin hum bhi apne ghar par ek chhoti si behtar koshish kar sakte hain.. ek naye soch ke saath.. sab kuch badal jayega..
  • Image placeholder

    Irigi Arun kumar

    जून 30, 2024 AT 08:51
    हमें यह समझना चाहिए कि एक देश का बजट एक जीवित जीव है, जिसे नियमित रूप से पोषित किया जाना चाहिए, और जब यह निर्जीव होने लगता है तो उसे बचाने के लिए कुछ दर्दनाक निर्णय लेने पड़ते हैं। यह विधेयक एक ऐसा ही निर्णय है जिसे जनता को अपनाना चाहिए, क्योंकि बिना इसके भविष्य में हमारे बच्चे बिना किसी सुविधा के रहेंगे।
  • Image placeholder

    Jeyaprakash Gopalswamy

    जून 30, 2024 AT 16:22
    मैं जानता हूँ ये सब बहुत बुरा लग रहा है, लेकिन ये जो हो रहा है वो किसी ने नहीं चाहा। अगर हम सब मिलकर सरकार को सही रास्ता दिखाएं, तो ये भी ठीक हो जाएगा। बस थोड़ा धैर्य रखें।
  • Image placeholder

    ajinkya Ingulkar

    जुलाई 2, 2024 AT 14:46
    सरकार को अपने खुद के घर का खर्च तो समझाओ, फिर जनता के घर का खर्च क्यों बढ़ा रहे हो? राष्ट्रपति के घर में भी तो बिजली चलती है, लेकिन उनके घर की बिजली का बिल कौन भर रहा है? ये सब एक बड़ा धोखा है।
  • Image placeholder

    nidhi heda

    जुलाई 4, 2024 AT 04:57
    OMG this is so dramatic!! I can't believe people are dying over taxes!! This is like a Netflix series but real life!! 😭🔥
  • Image placeholder

    DINESH BAJAJ

    जुलाई 5, 2024 AT 14:03
    ये सब protest बस लालची युवाओं का एक शो है। अगर वो थोड़ा सीखते तो जानते कि देश चलाना कितना मुश्किल होता है। बस बातें करने में माहिर हैं, काम करने में नहीं।
  • Image placeholder

    Rohit Raina

    जुलाई 7, 2024 AT 12:10
    विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन करना ठीक है, लेकिन अगर उनका एक वैकल्पिक योजना होती तो ज्यादा प्रभावी होता। बस विरोध नहीं, बल्कि समाधान भी चाहिए।
  • Image placeholder

    Prasad Dhumane

    जुलाई 9, 2024 AT 03:12
    इस विधेयक के पीछे एक बड़ी बात है - ये बस कर नहीं, ये एक नए आर्थिक न्याय का दौर शुरू करने का प्रयास है। लेकिन इसकी निर्माण शैली बहुत गलत है। जनता को शामिल किया जाना चाहिए, न कि उनके ऊपर ठोका जाना।
  • Image placeholder

    rajesh gorai

    जुलाई 9, 2024 AT 07:53
    The fiscal policy here is exhibiting a classic Keynesian paradox - aggregate demand suppression via taxation without structural fiscal realignment. The state is attempting to monetize social discontent, which is a non-stochastic equilibrium failure. We need a Pareto-optimal redistribution mechanism, not this populist tax grab.
  • Image placeholder

    Rampravesh Singh

    जुलाई 10, 2024 AT 20:09
    Respected authorities must act with utmost responsibility. The integrity of governance lies in transparency, accountability, and the moral courage to make difficult decisions for the greater good. The people must be educated, not provoked.
  • Image placeholder

    Akul Saini

    जुलाई 11, 2024 AT 04:45
    The underlying issue isn't the tax itself - it's the lack of trust in institutions. When people don't believe their taxes are being used efficiently, any increase feels like theft. The real problem is institutional decay, not fiscal policy.
  • Image placeholder

    Arvind Singh Chauhan

    जुलाई 11, 2024 AT 18:34
    क्या आपने कभी सोचा है कि ये सारे प्रदर्शनकारी अपने घरों में बिजली बचाते हैं? या फिर वो भी उसी तरह घर का बिल बढ़ाने को तैयार हैं जैसे सरकार कर बढ़ा रही है? ये सब बहुत आसानी से बोल देते हैं, लेकिन जब बात अपने घर की आए तो चुप।
  • Image placeholder

    AAMITESH BANERJEE

    जुलाई 12, 2024 AT 05:34
    मुझे लगता है कि अगर सरकार अपने अंदर के अनावश्यक खर्चों को कम कर दे, जैसे कि अधिकारियों के लिए बहुत सारे कार और अतिरिक्त कर्मचारी, तो ये सब कर बढ़ाने की बात ही नहीं आती। लोग तो तैयार हैं अगर वो पैसा सही जगह जा रहा हो।
  • Image placeholder

    Akshat Umrao

    जुलाई 13, 2024 AT 09:36
    मुझे लगता है कि ये जो हो रहा है, वो सिर्फ एक विधेयक के बारे में नहीं है। ये तो ये है कि लोग अब अपने नेताओं पर भरोसा करना बंद कर रहे हैं। और इसका असली इलाज तो ईमानदारी है। ❤️
  • Image placeholder

    Sonu Kumar

    जुलाई 15, 2024 AT 08:57
    यह विधेयक... इसके पीछे कोई गहरा राजनीतिक षड्यंत्र है... जानते हैं न? विश्वव्यापी बैंकिंग समूह... जिन्होंने राष्ट्रपति को दबाव डाला है... ये सब एक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नियंत्रण की योजना है... आप लोग जाग जाएं...
  • Image placeholder

    sunil kumar

    जुलाई 15, 2024 AT 19:55
    मैंने इस विधेयक का विस्तृत विश्लेषण किया है। यह लघु और मध्यम व्यवसायों के लिए विनाशकारी हो सकता है। लेकिन यदि इसके साथ एक नियमित निगरानी और निष्पक्ष लागूकरण की व्यवस्था हो, तो यह लंबे समय तक चल सकता है।
  • Image placeholder

    Mahesh Goud

    जुलाई 15, 2024 AT 21:08
    क्या तुम्हें पता है कि ये सब कर बढ़ाने का नाम एक छल है? असल में राष्ट्रपति के बेटे की कंपनी के लिए एक नया टैक्स लूट बनाया गया है! ये सब लोग बस उसकी निकासी के लिए बनाए गए हैं! अगर तुम नहीं जागे तो अगले साल तुम्हारे घर का बिजली बिल दोगुना हो जाएगा!
  • Image placeholder

    Ravi Roopchandsingh

    जुलाई 17, 2024 AT 12:07
    ये सब बहुत बुरा है... लेकिन अगर हम अपने आप को बचाना चाहते हैं तो हमें अपने घरों में अपनी बात बनानी होगी... और अगर जरूरत पड़े तो बैंकों को लूटना होगा... 😡💣

एक टिप्पणी लिखें