नवरात्रि का पाँचवाँ दिन: माँ स्कंदमाता की पूजा विधि, मंत्र और प्रसाद

नवरात्रि का पाँचवाँ दिन: माँ स्कंदमाता की पूजा विधि, मंत्र और प्रसाद

Anmol Shrestha सितंबर 23 2025 0

माँ स्कंदमाता की पूजा विधि – कदम दर कदम

नवरात्रि का पाँचवाँ दिन बहुत खास माना जाता है क्योंकि इस दिन हम माँ स्कंदमाता को सम्मानित करते हैं। अगर आप पहले से तैयार नहीं हैं, तो नीचे दी गई सूची आपके लिए आसान गाइड बन जाएगी।

  • सुबह का समय: सूरज निकलने से पहले उठें, शुद्ध जल से स्नान करें और सफ़ेद या पीले वस्त्र पहनें।
  • घर की सफ़ाई: पवित्र गंगा जल या गौमूत्र से घर के हर कोने को साफ़ करें।
  • पूजा मंच: साफ़ कपड़े पर एक चौकी रखकर वहाँ माँ की मूर्ति या फोटो रखें, फूलों से सजा दें।
  • मूर्ति स्नान: गंगा जल से मूर्ति को स्नान कराएँ, फिर अचनम (जल) से माहौल को शुद्ध करें।
  • दीपक‑अगरबत्ती: घी या तेल का दिया जलाएँ, साथ में अगरबत्ती जलाकर पवित्र माहौल बनाएं।
  • अर्पण: ताज़ा पीले और सफेद फूल, चूड़ियाँ, कपड़े, और फल रखें।
  • भोग: केले, क़ीर, हलवा, लड्डू, मालपुआ, नारियल, कसूरी मेथा, शहद व सूखे मेवे अर्पित करें।
  • जल दर्शन: तांबे, चांदी या मिट्टी की पिच्छा में थोड़ा पानी डालें, साथ में कुछ सिक्के रखें।
  • मंत्र जाप: नीचे दिए गए स्कंदमाता के मंत्र दोहराएँ।
  • धर्म ग्रन्थ: दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • आरती समाप्ति: माँ स्कंदमाता की आरती गा कर पूजा समाप्त करें और प्रसाद बाँटें।
स्कंदमाता के मंत्र, रंग और विशेष प्रसाद

स्कंदमाता के मंत्र, रंग और विशेष प्रसाद

इस दिन के मुख्य मंत्र और रंग आपके मन, घर और जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देंगे।

मुख्य मंत्र: "ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः" – यह सरल वाक्य माँ को समर्पित नमन है। इसे 108 बार जपने से मन की शांति और इच्छाओं की पूर्ति होती है।

लंबा मंत्र:

"सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया | शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी" – इस मंत्र में माँ की शान्ति, सफलता और स्वास्थ्य की कामना की गई है।

रंग:

  • पीला – ज्ञान, समृद्धि और माँ के प्रकाश का प्रतीक है।
  • सफ़ेद – पवित्रता, शुद्धि और शांति दर्शाता है।

इन दो रंगों के कपड़े, फूल और वस्त्र पहनने से आध्यात्मिक लाभ मिलता है।

विशेष प्रसाद (भोग):

  • केला – माँ की प्रिय फल, जो ऊर्जा और स्फूर्ति देता है।
  • क़ीर – दूध‑आधारित मीठा, जो माँ के अभिषेक में प्रयोग होता है।
  • हलवा, लड्डू, मालपुआ – मिठाईयों से भक्ति की तीव्रता बढ़ती है।
  • नारियल, कुंकुम, पान‑सुपारी, शहद, सूखे मेवे – इन सभी को अर्पित करने से माँ की कृपा तीव्र होती है।
  • ताज़ा पीले और सफेद फूल, विशेषकर कमल के फूल – ये माँ की शोभा को बढ़ाते हैं।

इन सब चीज़ों को मन से अर्पित करने से माँ स्कंदमाता के आशीर्वाद मिलते हैं। उनका प्रभाव न केवल व्यक्तिगत जीवन में बल्कि पेशेवर और पारिवारिक क्षेत्र में भी स्पष्ट दिखाई देता है।

पूजा के समय फास्टिंग के नियम भी सरल हैं: सुबह के रитуअल के बाद व्रत रखें, शुद्ध विचार रखें, और व्रत के दौरान केवल नियत सामग्री (जैसे फल, नाड़ी, घी) का सेवन करें। व्रत समाप्त करने पर प्रसाद को पूरे परिवार और पड़ोसियों में बांटें, इससे सामुदायिक सौहार्द बढ़ता है।

कुल मिलाकर, माँ स्कंदमाता की पूजा एक शक्ति‑पूर्ण अनुष्ठान है जो वैर‑निवारण, बाल‑संकट मोचन, करियर में उन्नति और मानसिक शांति प्रदान करता है। यदि आप इन विधियों को सच्ची श्रद्धा और लगन से निभाएँगे, तो जीवन में सकारात्मक बदलाव निश्चित ही महसूस करेंगे।