गुज़ारा भत्ता क्या है? नियम, पात्रता और दावा करने का आसान तरीका
गुज़ारा भत्ता वह राशि है जो सरकार या निजी कंपनियां अपने कर्मचारियों को काम‑सफ़र या आधिकारिक मिशन के दौरान दैनिक खर्चों के लिये देती हैं। इस भत्ते में खाने‑पीने, स्थानीय यात्रा और आकस्मिक जरूरतों के लिये फंड शामिल होता है।
अगर आप पहली बार इस बारे में सुन रहे हैं, तो समझ लें कि यह भत्ता आपका वेतन नहीं बल्कि एक रीइंबर्समेंट है। यानी आप पहले खर्च करते हैं, फिर रसीदें जमा करके वापस ले सकते हैं।
गुज़ारा भत्ता के मुख्य नियम
1. पात्रता – अधिकांश सरकारी कर्मचारियों, सशस्त्र बलों के कर्मियों और कुछ निजी सेक्टर के कर्मचारियों को यह भत्ता मिलता है, बशर्ते वे आधिकारिक यात्रा पर हों।
2. भत्ते की दर – दरें केंद्र/राज्य के हिसाब से बदलती हैं। उदाहरण के तौर पर, नई दिल्ली में 2024‑25 में द्विपक्षीय यात्रा के लिये 600 रुपये/दिन तय किया गया था, जबकि दूरस्थ क्षेत्रों में 1000 रुपये/दिन हो सकता है।
3. जमा करने की सीमा – आम तौर पर भत्ता सिर्फ वास्तविक खर्च के लिए ही दिया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में अनुमानित राशि भी मिलती है। रसीदें ना हो तो देयता कम हो सकती है।
4. समय सीमा – यात्रा समाप्त होने के 30 दिन के भीतर रसीदें जमा करनी होती हैं, नहीं तो भत्ता रद्द हो सकता है।
5. कुशलता और प्रावधान – कई विभाग अब डिजिटल फॉर्मेज, ई‑माइल और मोबाइल ऐप्स के ज़रिए दावा स्वीकार कर रहे हैं, जिससे प्रक्रिया तेज़ होती है।
दावा कैसे करें
सबसे पहले अपनी यात्रा आदेश (जॉब ऑर्डर) को सुरक्षित रखें। यह दस्तावेज़ बताता है कि आप किस उद्देश्य से और कितने दिनों तक यात्रा कर रहे हैं।
फिर प्रत्येक दिन के खर्चों की रसीदें इकट्ठा करें – होटल, भोजन, टैक्सी, लोकल ट्रांसपोर्ट आदि। रसीदों को डेट के क्रम में रखकर एक बाइंडर में फाइल करें।
अब अपने विभाग के भत्ता दावा फ़ॉर्म को भरें। अधिकांश मामलों में यह फ़ॉर्म ऑनलाइन उपलब्ध होता है। फ़ॉर्म में travel order number, दिन‑दर‑दिन खर्च और कुल राशि भरें।
फ़ॉर्म के साथ सभी रसीदों की स्कैन की हुई कॉपी या फोटो अपलोड करें। अगर कोई रसीद नहीं है, तो एक संक्षिप्त विवरण साथ में देना चाहिए, जैसे “स्थानीय बस किराया” और वह खर्च कब हुआ।
फ़ॉर्म जमा करने के बाद आपका वित्तीय विभाग या अकाउंट्स टीम इसे वैरिफाई करेगा। वैरिफिकेशन में 2‑3 कार्य दिवस लग सकते हैं। पुष्टि हो जाने पर राशि आपके बैंक खाते में ट्रांसफ़र हो जाएगी।
अगर कोई समस्या आती है, तो तुरंत अपने सीनियर या वित्तीय अधिकारी से संपर्क करें। अक्सर रिफंड में देरी का कारण रसीदें नहीं मिलना या फ़ॉर्म में गलती होना होता है।
एक छोटा टिप – हर यात्रा के बाद तुरंत रसीदें स्कैन करके क्लाउड में सुरक्षित रखें। इससे बाद में दावे की प्रक्रिया बहुत आसान हो जाती है।
साथ ही, अगर आप निजी सेक्टर में हैं, तो कंपनी की यात्रा नीति (Travel Policy) पढ़ें। कुछ कंपनियां सीमित दरें या फिक्स्ड दैनिक भत्ता देती हैं, और अतिरिक्त खर्चों को वे नहीं मानते।
अंत में यह याद रखें कि गुज़ारा भत्ता आपके काम को सुविधाजनक बनाने के लिये है, न कि अतिरिक्त आय का स्रोत। इसलिए, ज़रूरत के हिसाब से ही खर्च करें और सही दस्तावेज़ रखें।
यदि आप पहली बार दावा कर रहे हैं या नियमों में बदलाव हुआ है, तो अपने HR या वित्त विभाग से नवीनतम दिशानिर्देश पूछना न भूलें। इससे आप बिना परेशानी के अपना भत्ता आसानी से ले पाएँगे।