सोमवार, 23 जून, 2025 को भारत भर में ओलंपिक दिवस की धूम मच गई — और इस बार इसका दिल दो असली भारतीय नायकों ने धड़काया: अभिनव बिंद्रा और पीवी सिंधु। दोनों ने न सिर्फ एक समारोह का नेतृत्व किया, बल्कि एक ऐसा संदेश दिया जो किसी खिलाड़ी के लिए नहीं, बल्कि हर उस आदमी-औरत के लिए था, जिसने कभी बैट या बॉल थामा है — या बस घर से बाहर चलने का फैसला किया है।
खेल, केवल पदकों का नहीं, बल्कि एकता का साधन
अभिनव बिंद्रा, जिन्होंने 2008 बीजिंग ओलंपिक में 10 मीटर एयर राइफल में भारत को उसका पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक दिलाया, ने एक बयान में कहा, "ओलंपिक दिवस हमें याद दिलाता है कि खेल केवल प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि एकता, शांति और वैश्विक समझ का माध्यम है।" उनकी आवाज़ में वही शांत दृढ़ता थी जो उन्हें एक निशाने के लिए तीन सेकंड तक सांस रोकने के लिए तैयार करती थी।
पीवी सिंधु, जो 2016 रियो में रजत और 2019 में विश्व चैम्पियन बनीं, ने सोशल मीडिया पर एक संदेश भेजा: "हर व्यक्ति, चाहे वह व्यावसायिक एथलीट हो या शौकिया, खेल के माध्यम से स्वास्थ्य और खुशहाली प्राप्त कर सकता है।" उनका संदेश उतना ही सरल था, जितना उनका फ्लैट शॉट — बिना झिझक के, बिना झूठे शब्दों के।
खेल का राष्ट्रीय जश्न: जहां स्कूल के बच्चे और दादाजी एक साथ दौड़े
इस बार का ओलंपिक दिवस केवल एक बयान या फोटो ऑप नहीं था। भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI), भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) और फिट इंडिया मूवमेंट ने मिलकर देश भर में 1,200 से अधिक स्थानों पर गतिविधियाँ आयोजित कीं। दिल्ली के एक स्कूल में 7 साल के बच्चे ने पहली बार बैडमिंटन शटलकॉक उड़ाया। बैंगलोर के एक पार्क में 70 साल के एक दादाजी ने अपने नाती के साथ 10,000 कदम पूरे किए। और अहमदाबाद के एक आंगनवाड़ी केंद्र में महिलाओं ने जम्प रोप और जोड़ ताकत वाले व्यायाम किए।
सबसे बड़ी चुनौती थी — 10,000 कदम प्रतिदिन। फिट इंडिया ऐप के माध्यम से लगभग 87 लाख लोगों ने इस चुनौती में भाग लिया। आंकड़े दिखाते हैं कि इस दिन देश भर में शारीरिक गतिविधि में 67% की बढ़ोतरी हुई। यह न कोई छोटी बात है। यह वह बदलाव है जिसे सरकारें सालों तक बनाने की कोशिश करती हैं।
क्यों 23 जून? ओलंपिक की जड़ें और भारत का सफर
23 जून को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 1894 के इसी दिन, पेरिस में एक अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस ने आधुनिक ओलंपिक खेलों की स्थापना की थी। उसके दो साल बाद, 1896 में एथेंस में पहले आधुनिक ओलंपिक खेल आयोजित हुए। भारत ने पहली बार 1900 पेरिस ओलंपिक में भाग लिया — तब एक टीम ने एथलेटिक्स में भाग लिया, और एक खिलाड़ी ने बैडमिंटन में खेला।
2021 टोक्यो ओलंपिक ने भारत के खेल इतिहास को नया रूप दिया — 7 पदक, जिसमें नीरज चोपड़ा का भाला फेंक में स्वर्ण भारत के लिए पहला ओलंपिक एथलेटिक्स स्वर्ण था। उसके बाद, मीराबाई चानू का कांस्य, मुरली श्रीशंकर का लॉन्ग जंप में शानदार प्रदर्शन, मणिका बत्रा का टेबल टेनिस में शीर्ष 16, और सुनील छेत्री की फुटबॉल टीम की शानदार भागीदारी — सबने एक बात साबित कर दी: भारत अब केवल ओलंपिक में भाग नहीं ले रहा, बल्कि जीत भी रहा है।
क्या यह सिर्फ एक दिन का जश्न है?
नहीं। यह एक शुरुआत है।
क्योंकि आज भी, देश के 65% बच्चे दिनभर में 30 मिनट से कम शारीरिक गतिविधि करते हैं। क्योंकि देश के 48% वयस्क लोग लगातार बैठे रहते हैं। और क्योंकि अभी भी कई गांवों में खेल का अर्थ बस एक खिलौना है — न कि जीवन शैली।
लेकिन आज, जब एक निशानेबाज और एक शटलर ने एक दिन के लिए स्कूल के बच्चों के साथ दौड़ लगाई, तो यह संकेत है कि बदलाव आ रहा है। नीरज चोपड़ा के जूते अब बच्चों के घरों में रखे जाते हैं। पीवी सिंधु की टोपी अब एक ट्रेंड है। और अभिनव का निशाना — अब उसका मतलब बस एक लक्ष्य नहीं, बल्कि एक जीवन दृष्टि है।
अगला कदम: खेल को नियम बनाना
अगले साल, फिट इंडिया ऐप पर एक नया फीचर आएगा — "खेलों का घर"। यह एक नक्शा होगा जो आपके आसपास के निःशुल्क खेल के मैदान, खिलौनों के केंद्र और व्यायाम गाइड्स दिखाएगा। अगर यह लागू हो गया, तो 2026 का ओलंपिक दिवस न सिर्फ एक दिन का जश्न होगा, बल्कि एक नया आंदोलन शुरू होगा।
खेल अब एक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक अधिकार है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ओलंपिक दिवस क्यों 23 जून को मनाया जाता है?
23 जून, 1894 को पेरिस में एक अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस ने आधुनिक ओलंपिक खेलों की स्थापना की थी। इसी दिन को याद करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने इसे विश्व ओलंपिक दिवस घोषित किया। इसका उद्देश्य खेलों के माध्यम से शांति और एकता को बढ़ावा देना है।
भारत ने ओलंपिक में कब पहली बार भाग लिया?
भारत ने 1900 पेरिस ओलंपिक में पहली बार भाग लिया। तब एक भारतीय एथलीट, नरेंद्र सिंह, ने एथलेटिक्स में भाग लिया। उसके बाद से भारत लगातार ओलंपिक खेलों में शामिल हो रहा है, और 2021 टोक्यो में इतिहास रचते हुए 7 पदक जीते।
फिट इंडिया ऐप पर 10,000 कदम की चुनौती क्यों महत्वपूर्ण है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दिन में 10,000 कदम चलने से हृदय रोग, मधुमेह और वसा कम होता है। भारत में लगभग 70% लोग इस लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाते। यह चुनौती एक साधारण, सस्ता और उपलब्ध तरीका है जिससे लाखों लोगों को स्वस्थ रहने की प्रेरणा मिल सकती है।
अभिनव बिंद्रा और पीवी सिंधु ने इस दिन क्या अलग किया?
इन दोनों ने खेल को केवल पदक या राष्ट्रीय गौरव के लिए नहीं, बल्कि एक जीवन शैली के रूप में प्रस्तुत किया। बिंद्रा ने एकता और शांति का संदेश दिया, जबकि सिंधु ने बताया कि खेल किसी भी उम्र या स्तर के व्यक्ति के लिए उपलब्ध है। यह एक नए दृष्टिकोण की शुरुआत है।
2025 के ओलंपिक दिवस से भारत के खेल विकास पर क्या प्रभाव पड़ा?
इस वर्ष के दौरान फिट इंडिया ऐप पर शारीरिक गतिविधि में 67% की बढ़ोतरी हुई। लगभग 87 लाख लोगों ने 10,000 कदम की चुनौती में भाग लिया। स्कूलों में खेल के लिए नए कोर्स शुरू हुए, और कई नगर निगमों ने शहरी खेल क्षेत्रों को विकसित करने की घोषणा की। यह एक जनआंदोलन बन रहा है।
क्या ओलंपिक दिवस सिर्फ एथलीटों के लिए है?
नहीं। ओलंपिक दिवस का मूल उद्देश्य हर किसी के लिए खेल को सुलभ बनाना है — चाहे वह एक बच्चा हो, एक बुजुर्ग, एक विकलांग व्यक्ति या एक घरेलू महिला। इस दिन का मकसद यह है कि खेल को जीवन का हिस्सा बनाया जाए, न कि एक विशेष श्रेणी का अधिकार।