बकरीद 2024: तारीख, इतिहास, उत्सव और महत्त्व

बकरीद 2024: तारीख, इतिहास, उत्सव और महत्त्व

सौरभ शर्मा जून 16 2024 0

बकरीद 2024: बलिदान, समर्पण और आस्था का पर्व

ईद उल अजहा, जिसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है, इस्लाम धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। यह त्योहार इस्लामी चंद्र कैलेंडर के बारहवें महीने ज़िलहिज्जा की 10वीं तारीख को मनाया जाता है। 2024 में, यह त्योहार 17 जून को मनाया जाएगा।

इतिहास और महत्व

बकरीद का इतिहास इस्लाम धर्म के पैगंबर इब्राहिम (अलैहिस्सलाम) के समय से जुड़ा हुआ है। इस दिन की पृष्ठभूमि में पैगंबर इब्राहिम की वह कहानी है जब उन्होंने अल्लाह के आदेश को मानते हुए अपने पुत्र इस्माइल की कुर्बानी देने का निर्णय लिया था। उनकी इस निष्ठा और बलिदान को मान्यता देने के लिए अल्लाह ने इस्माइल को बचा लिया और उनके स्थान पर एक मेढ़े की कुर्बानी दी गई। यह घटना हमें अल्लाह के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण की प्रेरणा देती है।

बकरीद का यह पर्व हमें हर कीमत पर अल्लाह के आदेश का पालन करने की सीख देता है। यह त्योहार केवल एक तरह की रिचुअल या रस्म नहीं है, बल्कि यह समुदाय के मार्गदर्शन, बलिदान और समर्पण की भावना का प्रतीक है। ईद उल अजहा के दिन मुस्लिम समुदाय बलिदान के महत्व को समझते हैं और अल्लाह के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करते हैं।

उत्सव के परंपरागत रीति-रिवाज

बकरीद के दिन की शुरुआत मुस्लिम समुदाय के सदस्यों द्वारा सुबह-सुबह उठकर साफ-सुथरे कपड़े पहनने और मस्जिद में नमाज अदा करने से होती है। इस दिन विशेष नमाज अदा की जाती है जिसे 'ईद की नमाज' कहते हैं। नमाज के बाद पशु की कुर्बानी दी जाती है। इस त्योहार का मुख्य आकर्षण कुर्बानी का आयोजन है, जिसमें मेढ़ा, बकरी या किसी और जानवर की बलिदान दी जाती है।

कुर्बान किया गया जानवर तीन भागों में बांटा जाता है: एक हिस्सा खुद के लिए, दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए और तीसरा हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए। इस प्रकार, बकरीद के माध्यम से समाज में भलाई और सहायता का संदेश भी फैलाया जाता है। इस दौरान लोग एक-दूसरे के घर जाकर मुबारकबाद देते हैं और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं।

भौगोलिक विविधता और उत्सव

बकरीद का त्योहार भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, जॉर्डन, कुवैत, कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका और अन्य कई देशों में मनाया जाता है। हालांकि त्योहार की तारीख चंद्र कैलेंडर की गणना के आधार पर हो सकती है, फिर भी इसका मुख्य उद्देश्य और महत्व समान रहता है। 2024 में कुछ देशों में 16 जून और कुछ में 17 जून को बकरीद मनाई जाएगी।

बकरीद का यह अद्वितीय त्यौहार हमें अल्लाह के प्रति अपने समर्पण, प्यार और आस्था को दोहराने का अवसर देता है। यह हमें न केवल आध्यात्मिक स्तर पर प्रबल बनाता है बल्कि समाज में सहयोग, भाईचारा और समृद्धि को भी बढ़ावा देता है।

हज और बकरीद

ज़िलहिज्जा का महीना इस्लामी कैलेंडर में खासतौर से महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यही समय है जब लाखों मुसलमान मक्का की यात्रा (हज) पर जाते हैं। हज के दौरान, वे विभिन्न धार्मिक कृत्य और अनुष्ठान करते हैं जो उनकी आस्था को और भी दृढ़ करते हैं। हज और बकरीद का त्योहार एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं और इसी कारण से इस समय को इस्लामी साल का सबसे महत्वपूर्ण समय माना जाता है।

हज के दौरान, अनेकों मुसलमान मक्का में एकत्र होते हैं और पैगंबर इब्राहिम की याद में सामूहिक रूप से कुर्बानी करते हैं। इस बहुप्रतीक्षित धार्मिक कर्तव्य का पूरा होना मानवीय आस्था और बलिदान का सबसे बड़ा उदाहरण है। यही कारण है कि बकरीद का त्योहार हमारे लिए विशेष महत्व रखता है।

निष्कर्ष

बकरीद का त्योहार मुस्लिम समुदाय के लिए केवल धर्म का एक पर्व नहीं है बल्कि यह उनके जीवन और समाज में सौहार्द्र, भलाई और परोपकारिता को बढ़ावा देता है। यह हमें विद्यार्थियों के समान एक शिक्षण प्रदान करता है कि कैसे हमें अपनी जिंदगी में बलिदान और समर्पण की भावना को जीवित रखना है। इस दिन हम अपने परिवार, दोस्तों और समाज के साथ मिलकर एकता और प्रेम का संदेश फैलाते हैं।

इस प्रकार, ईद उल अजहा एक ऐसा मौका है जब हम अपने धार्मिक, सामाजिक और मानवीय कर्तव्यों को एक नए दृष्टिकोण से देखते हैं और अल्लाह के प्रति अपने प्रेम और सेवाभाव को गहराई से व्यक्त करते हैं। हमें चाहिए कि हम इस त्योहार को शुद्ध हृदय से मनाएं और समाज में फैली विकृतियों को दूर करने का संकल्प लें।