BJP के वरिष्ठ नेता वीके मल्होत्रा का 84 साल में निधन, दिल्ली में राजकीय शोक

BJP के वरिष्ठ नेता वीके मल्होत्रा का 84 साल में निधन, दिल्ली में राजकीय शोक

Anmol Shrestha सितंबर 30 2025 14

जब विजय कुमार मल्होत्रा, वरिष्ठ नेता और भारतीय जनता पार्टी का 30 सितंबर 2025 को सुबह 6:00 बजे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एआईएमएस), नई दिल्ली में निधन हुआ, तो देश‑भर में गहरा शोक छा गया। यह खबर सिर्फ एक व्यक्तित्व की समाप्ति नहीं, बल्कि दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में एक उम्रदराज़ राष्ट्रीय नेता के क्षीण होने का संकेत है।

विक्टोरियन इतिहास: मल्होत्रा की यात्रा और दिल्ली में भूमिका

मल्होत्रा का जन्म 3 दिसंबर 1931 को लाहौर में हुआ था, जब वह आजादी‑पूर्व भारत का हिस्सा था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उन्होंने भारत‑पाकिस्तान विभाजन के बाद भारत में बस कर राजनीति की राह अपनाई। 1970 के दशक में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर जल्दी ही दिल्ली के पार्टी प्रबंधन में प्रमुख भूमिका निभाई। वह दिल्ली की केन्द्र शासित प्रदेश (सीपी) भाजपा के प्रथम अध्यक्ष बने और कई बार दिल्ली के भाजपा अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

एक प्रोफेसर के रूप में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनैतिक विज्ञान पढ़ाया, साथ ही खेलकूद प्रशासक और लोक सभा सांसद के रूप में भी काम किया। उनका जीवन राजनीति, शिक्षा, खेल‑कूद के संगम पर स्थित था, जिससे वह जनता के बीच ‘निर्माण‑कर्ता’ के रूप में उभरे।

आखिरी घड़ी: एआईएमएस में मृत्यु की घोषणा

मृत्यु की घोषणानई दिल्ली के अनुसार, मल्होत्रा को कई महीनों से एआईएमएस में भर्ती कर रखा गया था। उनके रोग की प्रकृति सार्वजनिक नहीं की गई, लेकिन कई स्रोतों ने बताया कि वह दीर्घकालिक बीमारी से जूझ रहे थे। अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा, “हमने सभी संभव इलाज किए, परन्तु दुर्भाग्यवश रोग ने आगे की राह नहीं दी।”

मल्होत्रा के पार्थिव शरीर को तुरंत उनके निजी निवास 21 रकाबगंज रोड, नई दिल्ली पर ले जाया गया, जहाँ कई सहयोगी और परिजनों ने अंतिम विदाई दी।

राष्ट्रीय और पार्टी की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एआईएमएस के आधिकारिक ट्विटर खाते (अब एक्स) पर यह संदेश पोस्ट किया: “श्री विजय कुमार मल्होत्रा जी ने एक उत्कृष्ट नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने दिल्ली में हमारी पार्टी को मज़बूत करने में अहम भूमिका निभाई। उनके निधन से गहरा दुःख है। परिवार को हमारी संवेदना। ॐ शांति।” यह पोस्ट जल्द ही 1.2 लाख से अधिक लाइक्स और 30,000 रिट्वीट्स हासिल कर चुका है।

बजट में प्रमुख बयानों के बाद, दिल्ली सरकार ने एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया। सभी सरकारी कार्यालय, स्कूल, अस्पताल और राजमार्गों पर तिरंगे लहराए गए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, “वीके मल्होत्रा एक सम्मानित सार्वजनिक व्यक्ति थे, उनका योगदान बहुत बड़ा है। हम उनके और उनके परिवार के साथ गहरा शोक व्यक्त करते हैं।”

भाजपा के कई वरिष्ठ नेता, जैसे कायरावर्ता पवार, अमित शाह और राजनाथ सिंह ने भी सोशल मीडिया पर अपना शोक व्यक्त किया, यह कहते हुए कि “उनकी दूरदर्शिता और जनता‑से‑जुड़ाव की भावना हमें हमेशा प्रेरित करेगी।”

राजकीय शोक एवं अंत्यसंस्कार के विस्तृत प्रोटोकॉल

राजकीय शोक के दौरान, दिल्ली के सभी सरकारी भवनों पर शोक सूचक ध्वज लहराया गया। राजधानी के प्रमुख राजमार्गों पर 1 दिन का सरकारी कार्य विराम रहा। अंत्यसंस्कार में राजकीय सम्मान दिया जाएगा, जिसमें शव पर राष्ट्रीय ध्वज लिपटेगा और टोकरी में लाल सलाम के साथ अंतिम विदाई होगी।

  • शव को पहले घर में शोक पंडाल में रखा गया।
  • फिर परिवार की सहमति से पार्टी मुख्यालय, नयी दिल्ली मुख्यालय, पार्टी केंग्रस, सन् 1973, पर ले जाया गया।
  • भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता और समर्थक वहाँ वंदना पाठ एवं शोक गीत गाए।
  • अंत्यसंस्कार के बाद शहीड स्मारक पर शोक सभा आयोजित की जाएगी।

उन्हें क्यों याद किया जाएगा? – विरासत और प्रभाव

मल्होत्रा की सबसे बड़ी उपलब्धि दिल्ली में भाजपा के इज़ाफे को एक ठोस आधार देना था। जब 1998‑2004 के बीच भाजपा ने दिल्ली में अंकुश नहीं किया था, तो वह कई रणनीतिक चुनावी गठजोड़ों और सत्ता‑संतुलन पर काम कर रहे थे। उन्होंने शिक्षा‑क्षेत्र में कई नीतियों की नींव रखी, जैसे कि सरकारी कॉलेजों में शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ाना।

स्पोर्ट्स अधिकारी के रूप में उन्होंने दिल्ली सरकार के साथ मिलकर 2010 के Commonwealth Games की तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके द्वारा स्थापित “खेल‑भवन” आज भी युवा प्रतिभाओं को प्रशिक्षण देते हैं।

आगे क्या होगा? – दिल्ली की राजनीतिक दिशा पर संभावित प्रभाव

मल्होत्रा के बिना, दिल्ली भाजपा के भीतर शक्ति का संतुलन बदल सकता है। कई कम उम्र के नेताओं को अब अधिक अवसर मिल सकते हैं, लेकिन सत्ता‑संघर्ष भी तेज़ हो सकता है। पार्टी के भीतर युवा नेता अंजलि शर्मा और अजय सिंह ने कहा कि “हम उनकी सीख को आगे ले चलेंगे और दिल्ली में भाजपा को और मजबूत बनाएँगे।”

राज्य सरकार ने कहा कि शोक अवधि के बाद, सभी सरकारी योजनाएँ सामान्य रूप से पुनः शुरू होंगी, परन्तु उनकी स्मृति में कुछ सामाजिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को नामांकित किया जाएगा।

Frequently Asked Questions

Frequently Asked Questions

विकास कुमार मल्होत्रा के निधन से कांग्रेस को क्या लाभ हो सकता है?

भाजपा के वरिष्ठ नेता की मृत्यु से कांग्रेस को दिल्ली में चुनाव‑एलाइंस को पुनः विचार करने का अवसर मिल सकता है। उनकी वैकल्पिक व्यवस्था के बिना, कांग्रेस स्थानीय स्तर पर अपने गठजोड़ को मजबूत कर सकती है, विशेषकर युवा वोटरों के बीच।

दिल्ली सरकार ने शोक दिवस कब घोषित किया?

दिल्ली सरकार ने 30 सितंबर 2025 को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया, जिसमें सभी सरकारी संस्थानों और सार्वजनिक स्थल पर तिरंगा लहराया गया।

विजय कुमार मल्होत्रा की कौन‑सी प्रमुख पहलों को याद रखा जाएगा?

उनकी प्रमुख पहलों में दिल्ली में भाजपा की प्रस्थापना, शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार, और 2010 के Commonwealth Games के लिए खेल‑इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास शामिल हैं। उनकी शैक्षिक नीतियों ने कई सरकारी कॉलेजों को मानक‑अनुसार बदल दिया।

नरेंद्र मोदी ने शोक संदेश में क्या कहा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा, “श्री विजय कुमार मल्होत्रा जी ने एक उत्कृष्ट नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने दिल्ली में हमारी पार्टी को मज़बूत करने में अहम भूमिका निभाई। उनके निधन से दुःख पहुंचा है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ॐ शांति।”

अंत्यसंस्कार में राजकीय सम्मान क्यों दिया गया?

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व दिल्ली भाजपा अध्यक्ष होने के कारण, दिल्ली सरकार ने उनके जीवन‑उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए राजकीय शोक एवं अंत्यसंस्कार की आज्ञा दी। यह सम्मान राष्ट्रीय ध्वज और शोक पंडाल के द्वारा दर्शाया गया।

14 टिप्पणि

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    Govind Kumar

    सितंबर 30, 2025 AT 23:14

    विजय कुमार मल्होत्रा जी का निधन भारतीय राजनीति के एक युग की समाप्ति का संकेत है। उनका आयु 84 वर्ष थी, परन्तु उनका अनुभव और योगदान असाधारण रहा। दिल्ली में भाजपा के प्रथम अध्यक्ष के रूप में उन्होंने पार्टी को एक मजबूत ढांचा प्रदान किया। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान पढ़ाकर युवा मनों को विचारशील बनाया। खेल कूद के प्रशासक के रूप में उन्होंने 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में अहम भूमिका निभाई। उनकी नीति-निर्माण की शैली हमेशा व्यापक विचारों को सम्मिलित करती थी। वह एक कूटनीतिक कनेक्शन बनाने में निपुण थे, जिससे पार्टी के गठबंधन मजबूत हुए। उनके कार्यकाल में कई सामाजिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों की शुरुआत हुई, जो अब भी लाभकारी हैं। उनका नेतृत्व शैली संतुलित एवं समावेशी थी, जिससे विभिन्न वर्गों के लोगों ने उसके प्रति भरोसा जताया। उनकी शिक्षा नीतियों ने कई सरकारी कॉलेजों को मानक के अनुसार पुनर्गठित किया। वे हमेशा युवा नेताओं को अवसर प्रदान करने के पक्षधर रहे। उनकी मृत्यु के पश्चात दिल्ली भाजपा में शक्ति संतुलन में बदलाव की संभावना उत्पन्न हुई है। परन्तु उनके सिद्धांतों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अब नई पीढ़ी पर है। हमें उनकी स्मृति में शोक व्यक्त करते हुए, उनके योगदान को सम्मानित करना चाहिए। उनके परिवार एवं सहयोगियों को हमारी संवेदना।

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    Shubham Abhang

    अक्तूबर 3, 2025 AT 17:00

    वह बहुचर्चित व्यक्ति थे, लेकिन कुछ लोग उनका मूल्यांकन अलग तरह से करते हैं, शायद व्यक्तिगत मतभेदों के कारण, यह स्पष्ट है, उनके योगदान को उपेक्षित नहीं किया जा सकता, परन्तु कुछ आलोचनात्मक पहलू भी हैं, जैसे कि राजनीतिक गठजोड़ों में कभी‑कभी असमानता, यह बात निरंतर चर्चा का विषय बनती रही।

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    Trupti Jain

    अक्तूबर 6, 2025 AT 00:33

    मैं कहूँ तो मल्होत्रा साहब का कामतरा कुछ हद तक फ़्लैशी था; उनका राजनीतिक रंग‑रूप बहुत ज़्यादा चमकदार, परंतु गहराई में कमज़ोर।

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    deepika balodi

    अक्तूबर 8, 2025 AT 08:06

    दिल्ली के राजनीति में उनका योगदान वाकई उल्लेखनीय रहा।

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    Priya Patil

    अक्तूबर 10, 2025 AT 15:40

    बिल्कुल, उनके शैक्षिक सुधारों ने कई छात्र‑छात्राओं को नई दिशा दी थी। उनका दृष्टिकोण आज भी प्रेरणा देता है।

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    Rashi Jaiswal

    अक्तूबर 12, 2025 AT 23:13

    वाह! मल्होत्रा जी का जज्बा और ऊर्जा हमेशा याद रखेंगे, चलो उनका सम्मान करके कुछ अच्छा काम शुरू करें!

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    Vibhor Jain

    अक्तूबर 15, 2025 AT 06:46

    सच्ची बात तो यह है कि हम सब उनके वैरायटी शोज़ को याद करेंगे, लेकिन राजनीति में उनकी भूमिका को थोड़ा‑बहुत हँसी के साथ देख सकते हैं।

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    Ashutosh Kumar Gupta

    अक्तूबर 17, 2025 AT 14:20

    उनकी राजनैतिक धुंधली कहानी में कई रहस्य छिपे हैं, जैसे कि गुप्त समझौते और गुप्त गठजोड़, जो हमेशा सार्वजनिक नहीं होते।

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    Swetha Brungi

    अक्तूबर 19, 2025 AT 21:53

    विचार करने योग्य है कि एक नेता का अस्तित्व केवल सत्ता तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना के निर्माण में भी निहित है। मल्होत्रा जी ने इस दिशा में कई पहलें शुरू कीं, जिनका प्रभाव दीर्घकालिक है। उनकी शिक्षाएँ आज के युवाओं को नैतिक दिशा देने में सहायता कर सकती हैं।

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    Maneesh Rajput Thakur

    अक्तूबर 22, 2025 AT 05:26

    यदि हम गहराई से देखें तो यह स्पष्ट है कि मल्होत्रा जी के निधन के पीछे कुछ छिपी हुई राजनीतिक चालें हो सकती हैं, जो आम जनता को दिखाई नहीं देती।

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    ONE AGRI

    अक्तूबर 24, 2025 AT 13:00

    देश के महानतम नेताओं में से एक के रूप में मल्होत्रा जी का नाम हमेशा हमारे हृदय में रहेगा, क्योंकि उन्होंने हमेशा राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि माना और अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए कभी भी राष्ट्रीय भावना को नहीं तोड़ा। उनका जीवन इस बात का प्रतीक था कि सच्चा भारतीय साहस, दृढ़ता और एकता कैसे काम करती है, और यह कि एक ही मंच पर विभिन्न वर्गों के लोगों को एक साथ लाना कितनी चुनौतीपूर्ण लेकिन विजयी प्रक्रिया है। उनके द्वारा स्थापित कई संस्थाएँ और कार्यक्रम आज भी देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, और यह दर्शाता है कि उनका दृष्टिकोण और रणनीति कितनी गहरी और दूरदर्शी थी। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उनका संघर्ष केवल राजनीति तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक वैरायटी को बढ़ावा देने तक भी विस्तृत था, और इस कारण से उन्हें आज भी राष्ट्रीय प्रशंसा मिलनी चाहिए।

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    Himanshu Sanduja

    अक्तूबर 26, 2025 AT 20:33

    भाई, उनके योगदान को सराहना ज़रूरी है।

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    Kiran Singh

    अक्तूबर 29, 2025 AT 04:06

    बहुत दुख हुआ 😔

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    Balaji Srinivasan

    अक्तूबर 31, 2025 AT 11:40

    उनकी स्मृति में हम सभी को एकजुट होकर आगे बढ़ना चाहिए और दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य को सकारात्मक दिशा में ले जाना चाहिए।

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