धार्मिक पर्व – क्या खास है और कानपुर में कैसे मनाते हैं?
धार्मिक पर्व सबसे बड़े कारणों में से एक हैं जो लोगों को एक साथ लाते हैं। चाहे आप हिन्दू हों, मुसलमान या सिख, हर महफ़िल में इन तिथियों का अपना रंग, खुशबू और परम्परा होती है। तो चलिए, आज हम बात करेंगे भारत में सबसे बड़े धार्मिक पर्वों की और देखेंगे कि कानपुर में इन्हें कैसे खास अंदाज़ में मनाया जाता है।
मुख्य भारतीय धार्मिक पर्व
भारत में साल भर में कई बड़े त्यौहार होते हैं। दिवाली सबसे चमकीला त्यौहार है – घर‑आँगन को दीयों से सजाते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और पटाखे फोड़ते हैं। होली रंगों का त्यौहार है; गुलाल और पानी से सारा शहर गुलाबी‑हरे‑नीले में ढ़ल जाता है।
रक्षा बंधन में भाई‑बहन का बंधन और स्नान के दिन (गुदा) में पवित्र स्नान का महत्व हर घर में समझा जाता है। ईद‑उल‑फ़ित्र और ईद‑उल‑अज़हा मुसलमानों के लिए बड़ी खुशी लाते हैं – सुबह पढ़ी गई इफ़़्तार, नया कपड़ा, मीट और मीठा सब मिलकर माहौल को नज़र भर रंगीन बनाते हैं।
सिखों का बसंत पंचमी (ब्यौह) और गुरू नानक जयंती, और जैनों का महावीर जयंती भी बहुत मनाया जाता है। हर त्यौहार की अपनी कहानी, अपना रस्म‑रिवाज़ और अपना भोजन होता है।
कानपुर में खास आयोजन
कानपुर के लोगों की बात ही कुछ और है। यहाँ हर त्यौहार को स्थानीय अंदाज़ में मनाया जाता है। दिवाली पर शहर के हर कोने में पताखों की आवाज़ सुनाई देती है, लेकिन कानपुर के लोग खास तौर पर बबरी घाट पर दीप जला कर पानी को रोशन करते हैं। यह खास दिखने वाला दृश्य कई सालों से चलता आया है और अब एक पहचाना गया रिवाज़ है।
होली के दिन, बाबूजी री किल्ली के पास वाली गलियों में लाल‑भरे रंग उड़ते हैं। लोग पुराने दोस्त‑दुस्तों को ढूंढते हैं, एक‑दूसरे को गुलाल लगाते हैं और साथ में बैरन‑भट्टी (स्थानीय मिठाई) खा कर दिन को मीठा बनाते हैं। कानपुर के कई स्कूल और कॉलेज भी इस दिन खुली फ़ुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन करते हैं, जिससे युवा भी इस त्यौहार में भाग ले सकें।
ईद‑उल‑फ़ित्र में जामा मस्जिद के आस‑पास की सड़कों पर कई चारघंटे की इफ्तार की कतारें लगती हैं। स्थानीय खानपान की जगहों पर खास मीट‑बिरयानी और खीर तैयार होती है। छोटी‑बड़ी बोली में लोग आपस में ‘ईद मुबारक’ कह कर एक‑दूसरे को बधाई देते हैं। ईद‑उल‑अज़हा में, बड़े पैमाने पर कुर्बानी की जाती है और गाओ और गोआ गाँव में शराहबारी (भोजन बाँटने) का प्रचलन बहुत प्रचलित है।
सरकारी तौर पर भी कई मंदिर और मस्जिद में इन तिथियों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कई बार स्थानीय कलाकारों को बुलाकर नृत्य, भजन और कव्वाली का प्रोग्राम लगाते हैं। इस तरह से तीर्थस्थलों की भीड़ बढ़ती है और व्यापारियों को भी बढ़िया दिग़दारी मिलती है।
अगर आप कानपुर में रह रहे हैं या यहाँ की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो इन धार्मिक पर्वों के दौरान शहर का अनुभव बिल्कुल अलग होगा। हर तीर्थस्थान, हर बाजार, हर घर में एक ख़ास माहौल रहता है जो इस शहर की सांस्कृतिक धरोहर को और भी जीवंत बनाता है। तो अगली बार जब आप किसी पर्व की तैयारी करें, तो कानपुर के रंग‑रूप को ज़रूर देखिए – यहाँ की खुशियाँ एक नई ऊर्जा देती हैं।
धार्मिक पर्व सिर्फ़ त्यौहार नहीं होते, ये हमारे सामाजिक बंधन को मजबूत करते हैं। चाहे आप कहीं से भी हों, इन यात्राओं में भाग लेकर आप अपनी रूटीन से एक ब्रेक ले सकते हैं और नई यादें बना सकते हैं। कानपुर समाचारवाला पर इन सभी त्यौहारों की ताज़ा ख़बरें और स्थानीय कार्यक्रमों की पूरी जानकारी मिलती रहेगी, चाहे वह दिवाली की रौशनी हो या ईद के मीठे पकवान।