दुर्गा विसर्जन 2025: कब, क्यों और कैसे मनाएँ?
हर साल दुर्गा पूजा के नौ दिन पूरे होते ही दुर्गा विसर्जन का उत्सव शुरू होता है। लोग अपने घर के पंडाल या सार्वजनिक स्थल पर बनाई हुई माँ के मूर्ति को जल में डुबोते हैं। 2025 में विसर्जन की तिथि आश्विन शुक्ल पंचमी है, यानी लगभग 9 अक्टूबर को होगा। इस दिन को कई लोग एक नई शुरुआत मानते हैं, इसलिए अच्छे विचार, साफ‑सफाई और सकारात्मक ऊर्जा लाने की कोशिश करते हैं।
विसर्जन की सही तिथि और समय कैसे पता करें?
विसर्जन तिथि पंचांग पर निर्भर करती है, इसलिए प्रत्येक साल थोड़ा अलग हो सकती है। सामान्यतः, माता दुर्गा को अष्टमी या नौमी की शाम को विसर्जित किया जाता है। आप स्थानीय कंज़ी‑पंचांग, मोबाइल ऐप या समाचार साइट पर "दुर्गा विसर्जन" खोजकर सही तिथि और समय देख सकते हैं। अगर आपके परिसर में कोई सामुदायिक समूह है, तो वे अक्सर पहले से ही आयोजन की योजना बना लेते हैं।
विसर्जन के दौरान ध्यान रखने वाली मुख्य बातें
विसर्जन के समय कुछ आसान उपाय अपनाने से समारोह सुरक्षित और पर्यावरण‑मित्र बनता है:
1. पानी का प्रयोग – मूर्ति को झटकने या लहराते पानी में सीधे डालने से बचें। धीरे‑धीरे पानी डालें, ताकि जल प्रदूषण न्यूनतम रहे।
2. पर्यावरण‑फ्रेंडली सामग्री – पॉलिथीन या प्लास्टिक के पेंडाल को छोड़ कर मिट्टी, कागज या बांस के पेंडाल इस्तेमाल करें।
3. साफ‑सफाई – विसर्जन के बाद आस‑पास के क्षेत्र को साफ रखें। कचरा अलग-अलग डिब्बों में डालें, ताकि सफाई में आसानी हो।
4. पौराणिक अर्थ – विसर्जन को नयी शुरुआत मानें, इसलिए इस दिन कुछ नया सीखें या नया लक्ष्य तय करें।
5. समुदाय की भागीदारी – पड़ोसियों या मित्रों को साथ लाएं, ताकि माहौल में खुशी और एकता बनी रहे।
घर पर विसर्जन करने वाले अक्सर माँ को जल में डुबाने से पहले आखिरी भजन या अरती पढ़ते हैं। यह एक भावनात्मक क्षण होता है, जहाँ बच्चों को भी शामिल कर सकते हैं। बच्चों को गाने या डांस करवाकर माहौल को हल्का रखें, ताकि सभी को यादगार अनुभव मिले।
यदि आप सार्वजनिक स्थल में विसर्जन देखना चाहते हैं, तो पहले सुरक्षा निर्देशों को पढ़ें। अक्सर कोरोना के बाद, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए दूरी बनाए रखने की सलाह दी जाती है। थैंक्सगिविंग की तरह, आप एपीआर या सॉन्स को संभाल कर रख सकते हैं, ताकि सभी सुरक्षित रहें।
अंत में, याद रखें कि दुर्गा विसर्जन सिर्फ एक रिवाज नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जुड़ाव का अवसर है। इसे निभाते समय सरलता, सुरक्षा और पर्यावरण का ध्यान रखें, ताकि यह उत्सव साल दर साल इतना ही खास बना रहे।