हरित परिसर क्या है? आसान शब्दों में समझें

हरित परिसर वही जगह है जहाँ पेड़, पौधे, साफ रास्ते और सुरक्षित पानी मिलें। इस तरह के कैंपस पढ़ाई में मदद करते हैं और हवा को साफ रखते हैं। अगर आप कॉलेज या स्कूल में हैं, तो आप भी कुछ आसान काम करके अपने परिसर को हरा-भरा बना सकते हैं।

हरित परिसर के प्रमुख फायदे

पहला फायदा है बेहतर स्वास्थ्य। पेड़ वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड निकालते हैं और ऑक्सीजन देते हैं। इससे थकान कम होती है और ध्यान भी बढ़ता है। दूसरा फायदा है शोर कम होना। पौधों की पत्तियों से ध्वनि शोषित होती है, इसलिए लाइब्रेरी या क्लासरूम में शांति बनी रहती है। तीसरा, पर्यावरण की देखभाल। जब हम अपना कैंपस हरियाली से भरते हैं, तो जल संरक्षण और बायोडायवर्सिटी को भी सपोर्ट करते हैं।

हरित परिसर बनाने के आसान कदम

1. **पेड़ लगाएँ** – छोटे पौधे भी काम आते हैं। कॉलेज में खाली जगह या लॉन पर रोपे जाने वाले पौधे जल्दी बड़े होते हैं और पर्यावरण को लाभ पहुंचाते हैं।
2. **वॉटर री-साइक्लिंग** – बारिश का पानी इकट्ठा करके टॉयलेट या बागवानी में इस्तेमाल करें। इससे पानी की बचत होती है और जलभराव भी कम होता है।
3. **कचरा कम करें** – रीसायक्लिंग बिन रखें और प्लास्टिक बैग की जगह कपड़े या कपड़े के बैग का प्रयोग बढ़ाएँ।
4. **ऊर्जा बचाएँ** – डेस्क़ लैंप और एसी को जरूरत के हिसाब से चालू रखें। सौर पैनल लगाना भी एक बड़ा कदम है, पर छोटे‑छोटे सोलर लाइट्स से शुरुआत कर सकते हैं।
5. **प्लांट क्लासेस** – छात्र समूह बनाकर बॉटनी क्लास या गार्डनिंग क्लब चलाएँ। इससे लोग सीखेंगे कैसे पौधों की देखभाल करनी है और साथ ही कैंपस में हरियाली बढ़ेगी।

इन आसान कदमों को अपनाने से आप अपने स्कूल या कॉलेज को एक हरा-भरा जगह बना सकते हैं। याद रखें, हर छोटा बदलाव बड़ा असर डालता है। अगर आप छात्र हैं तो अपने प्रोफेसर या गवर्नेंस निकाय को सुझाव दें, और अगर आप स्टाफ हैं तो इन टिप्स को प्लान में शामिल करें। हरित परिसर सिर्फ एक ट्रेंड नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदारी है जो हम सभी को मिलकर निभानी चाहिए।

नालंदा विश्वविद्यालय: भारत को ज्ञान केन्द्र बनाने की खोज

21.06.2024

नालंदा विश्वविद्यालय, जो प्राचीन शिक्षा संस्थान के नाम पर आधारित है, ने अपने नए नेट ज़ीरो परिसर का उद्घाटन किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विश्वविद्यालय में 20 देशों से 500 छात्रों की उपस्थिति पर खुशी जताई। यह परिसर आधुनिक सुविधाओं के साथ प्राचीन नालंदा की खुशबू को मिलाकर निर्मित है, और 2020 में अपने नए स्थान पर शिफ्ट हुआ था।