नालंदा विश्वविद्यालय: भारत को ज्ञान केन्द्र बनाने की खोज

नालंदा विश्वविद्यालय: भारत को ज्ञान केन्द्र बनाने की खोज

सौरभ शर्मा जून 21 2024 0

नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर

नालंदा विश्वविद्यालय का नाम सुनते ही एक शानदार और प्राचीन शिक्षा संस्थान की छवि दिमाग में उभरती है। यही नहीं, 1600 साल पहले यह निवासी विश्वविद्यालय दुनिया भर के विद्वानों को आकर्षित करता था। अब इस संस्थान ने एक बार फिर से अपनी पहचान बनाई है और अपने नए नेट ज़ीरो परिसर का उद्घाटन किया है। यह परिसर आधुनिकता और पारंपरिकता का अनुकरणीय मिश्रण है।

प्रधानमंत्री मोदी की खुशी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए परिसर पर अपनी खुशी और गर्व का इज़हार किया है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय में 20 देशों से लगभग 500 नियमित छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और इन्हें दाखिला देने में राष्ट्रीयता को कोई महत्व नहीं दिया जाता। यह विश्वविद्यालय भारत को एक वैश्विक ज्ञान केन्द्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है।

नया परिसर और सुविधाएं

नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर में 2020 में स्थानांतरित हुआ और अब 90% निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। इस परिसर में कुल 24 बड़े भवन, एक आधुनिक पुस्तकालय और 2000 की क्षमता वाला ऑडिटोरियम शामिल है। इन सुविधाओं के साथ यह परिसर प्राचीन नालंदा की धरोहर को सजीव रखता है।

प्रारंभिक शिक्षा स्थल

विश्वविद्यालय ने अपना अकादमिक सत्र 2014 में राजगीर के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र में शुरू किया था। नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर को ग्रीन बिल्डिंग प्रमाणन, नेट ज़ीरो ऊर्जा, पानी और कचरा प्रबंधन के रणनीतियों के साथ डिज़ाइन किया गया है। साथ ही, इसे इनोवेटिव डेसिकेंट एवपोरेटिव कूलिंग तकनीक से भी लैस किया गया है।

छात्रों की विविधता

इस संस्थान में वर्तमान में छह विद्यालयों का संचालन हो रहा है, जो अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए 137 छात्रवृत्तियां प्रदान करते हैं। नालंदा विश्वविद्यालय के पोस्टग्रेजुएट और पीएचडी कार्यक्रमों में 20 देशों से छात्र पंजीकृत हैं। यह विश्वविद्यालय 17 देशों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है ताकि प्राचीन नालंदा की तरह एक बार फिर से भारत को वैश्विक ज्ञान केन्द्र के रूप में स्थापित किया जा सके।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और प्रतिष्ठा

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और प्रतिष्ठा

नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य ही यह था कि प्राचीन समय की तरह उसे एक बार फिर से वैश्विक शिक्षा का केन्द्र बनाया जा सके। इसमें 17 देशों के साथ सहयोग की शुरुआत की गई है ताकि यहां के छात्रों को विश्वस्तरीय शिक्षा और संसाधन उपलब्ध हो सकें। यह संस्थान प्राचीन नालंदा की प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने की दिशा में कार्यरत है, जो कभी दुनिया का पहला निवासी विश्वविद्यालय था और जिसमें 10,000 छात्र और 2,000 शिक्षक शिक्षा प्राप्त करते थे।

इस प्रकार नालंदा विश्वविद्यालय अपनी विशेषताओं और आधुनिकताओं के साथ शिक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल बनकर उभर रहा है। यह हमारे देश के शिक्षा क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।