नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर
नालंदा विश्वविद्यालय का नाम सुनते ही एक शानदार और प्राचीन शिक्षा संस्थान की छवि दिमाग में उभरती है। यही नहीं, 1600 साल पहले यह निवासी विश्वविद्यालय दुनिया भर के विद्वानों को आकर्षित करता था। अब इस संस्थान ने एक बार फिर से अपनी पहचान बनाई है और अपने नए नेट ज़ीरो परिसर का उद्घाटन किया है। यह परिसर आधुनिकता और पारंपरिकता का अनुकरणीय मिश्रण है।
प्रधानमंत्री मोदी की खुशी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए परिसर पर अपनी खुशी और गर्व का इज़हार किया है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय में 20 देशों से लगभग 500 नियमित छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और इन्हें दाखिला देने में राष्ट्रीयता को कोई महत्व नहीं दिया जाता। यह विश्वविद्यालय भारत को एक वैश्विक ज्ञान केन्द्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है।
नया परिसर और सुविधाएं
नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर में 2020 में स्थानांतरित हुआ और अब 90% निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। इस परिसर में कुल 24 बड़े भवन, एक आधुनिक पुस्तकालय और 2000 की क्षमता वाला ऑडिटोरियम शामिल है। इन सुविधाओं के साथ यह परिसर प्राचीन नालंदा की धरोहर को सजीव रखता है।
प्रारंभिक शिक्षा स्थल
विश्वविद्यालय ने अपना अकादमिक सत्र 2014 में राजगीर के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र में शुरू किया था। नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर को ग्रीन बिल्डिंग प्रमाणन, नेट ज़ीरो ऊर्जा, पानी और कचरा प्रबंधन के रणनीतियों के साथ डिज़ाइन किया गया है। साथ ही, इसे इनोवेटिव डेसिकेंट एवपोरेटिव कूलिंग तकनीक से भी लैस किया गया है।
छात्रों की विविधता
इस संस्थान में वर्तमान में छह विद्यालयों का संचालन हो रहा है, जो अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए 137 छात्रवृत्तियां प्रदान करते हैं। नालंदा विश्वविद्यालय के पोस्टग्रेजुएट और पीएचडी कार्यक्रमों में 20 देशों से छात्र पंजीकृत हैं। यह विश्वविद्यालय 17 देशों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है ताकि प्राचीन नालंदा की तरह एक बार फिर से भारत को वैश्विक ज्ञान केन्द्र के रूप में स्थापित किया जा सके।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और प्रतिष्ठा
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य ही यह था कि प्राचीन समय की तरह उसे एक बार फिर से वैश्विक शिक्षा का केन्द्र बनाया जा सके। इसमें 17 देशों के साथ सहयोग की शुरुआत की गई है ताकि यहां के छात्रों को विश्वस्तरीय शिक्षा और संसाधन उपलब्ध हो सकें। यह संस्थान प्राचीन नालंदा की प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने की दिशा में कार्यरत है, जो कभी दुनिया का पहला निवासी विश्वविद्यालय था और जिसमें 10,000 छात्र और 2,000 शिक्षक शिक्षा प्राप्त करते थे।
इस प्रकार नालंदा विश्वविद्यालय अपनी विशेषताओं और आधुनिकताओं के साथ शिक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल बनकर उभर रहा है। यह हमारे देश के शिक्षा क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
rajesh gorai
जून 22, 2024 AT 19:19नालंदा का रिनेसांस? ये सिर्फ एक बिल्डिंग नहीं, एक डिजिटल-स्टूडियो-एनर्जी-नेटवर्क है जो एपिस्टेमोलॉजिकल रिकंस्ट्रक्शन का प्रतीक है। ये नेट ज़ीरो इन्फ्रास्ट्रक्चर एक नया एपिस्टेमिक रेजिम की शुरुआत है। 🤓
Rampravesh Singh
जून 23, 2024 AT 22:44महान उपलब्धि है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना भारत के शिक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मोड़ है। यह विश्व को दिखाता है कि हमारी प्राचीन विरासत को आधुनिक विज्ञान के साथ कैसे जोड़ा जा सकता है। शुभकामनाएँ।
Akul Saini
जून 24, 2024 AT 04:57दिलचस्प है कि ये डिज़ाइन इनोवेटिव डिसिकेंट एवपोरेटिव कूलिंग टेक्नोलॉजी को अपनाता है - ये एक रिस्पॉन्सिव एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग स्ट्रैटेजी है जो तापमान नियंत्रण के लिए जलवायु-अनुकूल ढंग से काम करती है। और हाँ, नेट ज़ीरो ऊर्जा वाला एक शिक्षा परिसर? अब तक का सबसे बड़ा स्टेटमेंट।
Arvind Singh Chauhan
जून 24, 2024 AT 18:41क्या ये सब सिर्फ एक फ़िल्मी नाटक है? हम अभी भी गाँवों में बिजली नहीं दे पा रहे, और यहाँ 2000 सीट वाला ऑडिटोरियम बना रहे हैं? ये सब रिसोर्सेस कहाँ से आ रही हैं? अगर ये विश्वविद्यालय वास्तव में ज्ञान का केंद्र है, तो पहले हमें अपने बच्चों को पढ़ाएँ।
AAMITESH BANERJEE
जून 25, 2024 AT 18:54मैंने इस परिसर के बारे में पढ़ा था, और वाकई बहुत प्रभावित हुआ। इस तरह के प्रोजेक्ट्स को समर्थन देना ज़रूरी है - न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए। जब आप एक ऐसी जगह बनाते हैं जहाँ चीन, जापान, रूस, और अफ्रीकी देशों के छात्र एक साथ पढ़ते हैं, तो वो सिर्फ शिक्षा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक समझ है। मुझे लगता है कि ये भारत के लिए एक नया नाम है - न केवल एक देश, बल्कि एक विश्वव्यापी शिक्षा ब्रांड।
Akshat Umrao
जून 26, 2024 AT 16:51वाह 😍 ये तो बहुत अच्छा हुआ! नालंदा वापस आ गया! 🙌
Sonu Kumar
जून 27, 2024 AT 04:52ये सब बस एक राजनीतिक नाटक है... जब तक हमारे शिक्षकों की तनख्वाह नहीं बढ़ेगी, जब तक बच्चे बिना शिक्षक के बैठे रहेंगे, तब तक ये बिल्डिंग्स सिर्फ एक फोटो-शूट का हिस्सा होंगी। ये लोग इतिहास का नाम लेकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। असली नालंदा को याद करने के लिए, आपको पहले अपने अध्यापकों को बचाना होगा।
sunil kumar
जून 27, 2024 AT 07:55यह एक अच्छा प्रयास है, लेकिन क्या यह वास्तव में प्राचीन नालंदा की गुणवत्ता को पुनर्जीवित कर पाएगा? एक निवासी विश्वविद्यालय के रूप में इसकी सफलता का मापदंड न केवल भवनों और ऊर्जा प्रणालियों, बल्कि शिक्षण की गुणवत्ता और छात्रों के अनुभव पर निर्भर करेगा।
Mahesh Goud
जून 29, 2024 AT 03:52ये सब एक बड़ा झूठ है। अमेरिका और चीन ने इसे फंड किया है, और ये बस एक नया ग्लोबल स्ट्रैटेजिक केंद्र है जो हमारे शिक्षा सिस्टम को धीरे-धीरे खरीद रहा है। देखो, ये 20 देशों के छात्र? उनमें से 15 अमेरिकी असिस्टेंट्स हैं जो भारत को डिजिटल कॉलोनी बना रहे हैं। नालंदा का असली इतिहास तो अभी भी लालची बाहरी शक्तियों ने तबाह कर दिया था - अब वो वापस आ गए हैं, बस अब वो बिल्डिंग्स में बैठे हैं। अब तक के लोगों ने जो देखा, वो था बस एक नया गुप्त एजेंसी बेस।
Ravi Roopchandsingh
जून 30, 2024 AT 01:33ये नालंदा का फिर से उद्घाटन है? बहुत अच्छा! 🇮🇳🔥 लेकिन ये सब अब तक क्यों नहीं हुआ? क्योंकि हमारे लीडर्स ने हमेशा अपने बारे में सोचा है! अब जब दुनिया देख रही है, तो वो भी बदल गए! अब तक तो हमारे बच्चे बिना किताबों के पढ़ रहे थे - अब ये ऑडिटोरियम बनाने का टाइम आ गया! 🙄 अब तो इसे दुनिया को दिखाना है - नहीं तो लोग भूल जाएंगे कि हमारे पास भी कुछ है!