कारगिल युद्ध – क्या हमने सीखा?
1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से एक बड़ी झड़प हुई, जिसे हम सभी कारगिल युद्ध जानते हैं। कई लोग इसे सिर्फ सीमा पर घुसपैठ मानते हैं, पर असल में यह राजनीति, रणनीति और आम लोगों की कहानियों का मिश्रण था। इस लेख में हम देखते हैं कि इस युद्ध का कारण क्या था, मुख्य मोड़ कौन से थे और अब हमें कौन‑सी सीख मिल सकती है।
कारगिल का कारण और प्रारम्भिक स्थिति
कारगिल, जम्मू‑कश्मीर के लद्दाख में स्थित एक छोटा पहाड़ी टुकड़ा है, लेकिन रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण था। 1998 में दोनों देशों ने परमाणु परीक्षण कर दिया था, फिर भी सीमा पर छोटी‑छोटी झड़पें जारी रहीं। पाकिस्तान ने कारगिल को अपनी ओर से ‘राष्ट्रभौमिक’ बनाना चाहा, इसलिए उन्होंने रात‑रात परा कर सैनिक भेजे। भारत ने तुरंत जवाब दिया, क्योंकि अगर एक छोटे से हिस्से के साथ समझौता हो गया तो पूरे राज्य की अखंडता को खतरा हो सकता था।
मुख्य मोड़ और युद्ध की कहानी
जब सारे सैनिक मैदान में उतरने लगे, तो कई छोटे‑छोटे जनरलों की हिम्मत और आम सैनिकों की वीरता सामने आई। ‘कुशते शत्रु’ के नाम से प्रसिद्ध ‘ऑपरेशन विजय’ ने कारगिल की चोटी को वापस हासिल किया। इस दौरान कई आँकड़े उलटे, जैसे कि दुश्मन की संख्या कम होना जबकि अपने सैनिकों को पर्याप्त सप्लाई मिलना। युद्ध 3 महीने चला, लेकिन इसका असर आज़ भी दिखता है – कई परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया, और दो देशों के बीच तनाव बरकरार रहा।
युद्ध के दौरान ‘अमर’ कवरेज, मोबाइल फोन और टेलीविजन ने लोगों को रीयल‑टाइम जानकारी दी। इस कारण अक्सर गलतफहमी भी फली‑भूत हुई, लेकिन साथ ही जनजागृति भी बढ़ी। लोग घर से बाहर निकल कर लाइब्रेरी में युद्ध के नक्शे देखते, और बच्चों ने ‘कारगिल’ शब्द को नई भाषा बना लिया। सबका एक ही सवाल था – कब तक यह लड़ाई जारी रहेगी और कब शांति आ पाएगी?
अंत में, अंतर्राष्ट्रीय दबाव, कूटनीति और दोनों पक्षों की थकान ने इसे खत्म किया। समझौते के बाद कई क़ैदियों को रिहा किया गया, लेकिन कई सैनिक अभी भी लापता हैं। यह हमें याद दिलाता है कि युद्ध सिर्फ हथियारों की लड़ाई नहीं, बल्कि मानवीय कीमत भी लेता है।
तो अब हमें क्या करना चाहिए? पहली बात, सीमाओं की बजाय सहयोगी स्थलों पर ध्यान देना चाहिए। दूसरा, सेना की तैयारी और तकनीकी कौशल को बढ़ाना चाहिए, ताकि भविष्य में छोटी‑सी सीमा उल्लंघन को बड़ी लड़ाई में बदलने से बचा जा सके। अंत में, आम जनता को सूचित रखना, सही जानकारी देना और झूठे अफवाहों से बचना ज़रूरी है। यही वास्तविक सीख है जो कारगिल युद्ध ने हमें दी।