राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार – क्या है, क्यों है खास?
अगर आप फ़िल्मी जगत के फैन हैं, तो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार आपका पहला नाम है। ये पुरस्कार भारत सरकार द्वारा हर साल फ़िल्म इंडस्ट्री के बेहतरीन काम को मान्यता देने के लिए दिए जाते हैं। सरल शब्दों में, यह भारत की सबसे बड़ी फ़िल्मी सम्मान है—जैसे ओस्कर का भारतीय संस्करण।
सिर्फ बड़ी बड़े नाम नहीं, बल्कि छोटे‑छोटे प्रोजेक्ट, डॉक्यूमेंट्री और बच्चों की फ़िल्में भी इस मंच पर आती हैं। इसलिए यह सभी प्रकार की फ़िल्मों को एक साथ ला देता है, जिससे पूरी फिल्म इंडस्ट्री को एक साथ सराहा जाता है।
रिवार्ड कैटेगरी और महत्त्व
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में कई श्रेणियां हैं, पर सबसे प्रमुख हैं ‘सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म’, ‘सर्वश्रेष्ठ निर्देशक’, ‘सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं/अभिनेत्रियों’ और ‘सर्वश्रेष्ठ संगीत’। इनके अलावा डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फ़िल्म, बाल फ़िल्म और कई भाषा‑विशिष्ट फ़िल्मों को भी सम्मान मिलता है। हर श्रेणी में जजेज़ कड़ी समीक्षा करके विज़ेताओं का चयन करते हैं, इसलिए जीतना आसान नहीं होता।
इन पुरस्कारों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि विजेता फ़िल्में अक्सर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में दिखती हैं, जिससे उन्हें प्रॉक्सी दर्सक भी मिलते हैं। अगर आप फ़िल्म मेकर हैं, तो यह आपके करियर के लिए बड़ा बूस्टर बन सकता है।
पिछले साल के हॉट विजेता
2024 का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार बड़ा ही रोमांचक रहा। ‘सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म’ का खिताब ‘गली गली में सिंगल’ को मिला, जो एक छोटे‑से गाँव की कहानी को बड़े दिल से बताती है। निर्देशक अमित मुखर्जी को ‘सर्वश्रेष्ठ निर्देशक’ का सम्मान मिला, और उनके फिल्म की सिनेमैटोग्राफ़ी को भी सराहा गया।
अभिनेताओं में राधिका अप्टेला ने ‘सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री’ का पुरस्कार जीता, जबकि रणवीर जैन ने ‘सर्वश्रेष्ठ अभिनेता’ का ताज पहना। संगीत के क्षेत्र में, दियों के ‘शब्दों की ध्वनि’ को ‘सर्वश्रेष्ठ संगीत’ का गৌरव मिला। ये सब विज़ेता न सिर्फ अपनी कलात्मकता बल्कि सामाजिक संदेशों के लिए भी सराहे गए।यदि आप इन फ़िल्मों को देखना चाहते हैं, तो बहुत सारी OTT प्लेटफ़ॉर्म्स पर इन्हें आसानी से स्ट्रीम किया जा सकता है। साथ ही, भारत सरकार की आधिकारिक साइट पर भी इन फ़िल्मों की क्लिप्स और जानकारी उपलब्ध है।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हर साल नई टैलेंट को उभारे हैं—जैसे पिछले साल की डॉक्यूमेंट्री ‘पृथ्वी के आँसू’ ने पर्यावरणीय मुद्दों को उठाया और दर्शकों के दिल में जगह बना ली। यह दर्शाता है कि पुरस्कार न सिर्फ बड़े प्रोजेक्ट्स को सशक्त बनाते हैं, बल्कि सामाजिक बदलाव में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
तो आप भी फ़िल्मी जगत में कदम रखना चाहते हैं? सबसे पहले अपने प्रोजेक्ट की कहानी को स्पष्ट रखें, फिर प्रोडक्शन की गुणवत्ता पर ध्यान दें और अंत में सही समय पर अपने फ़िल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के लिए सबमिट करें। सही दिशा में मेहनत और सही मार्गदर्शन से आप भी इन प्रतिष्ठित पुरस्कारों के लायक बन सकते हैं।