UPPCL प्रीपेड स्मार्ट मीटर: यूपी में 3 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं के लिए बड़ी पहल

UPPCL प्रीपेड स्मार्ट मीटर: यूपी में 3 करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं के लिए बड़ी पहल

Anmol Shrestha सितंबर 16 2025 10

यूपी में प्रीपेड स्मार्ट मीटर की शुरुआत

गलत बिल का झंझट, मीटर रीडर का इंतज़ार और बिलिंग विवाद—यूपी की बिजली व्यवस्था के ये पुराने दर्द अब कम होने वाले हैं। उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने पूरे राज्य में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का सबसे बड़ा अभियान शुरू किया है। इसका पहला मीटर UPPCL चेयरमैन आशीष गोयल के घर लगाया गया, जहां पहले से लगे स्मार्ट मीटर को प्रीपेड वर्ज़न से बदला गया। इस कदम का मकसद साफ है—पारदर्शी बिलिंग, बेहतर सेवा और बिजली चोरी पर सख्त रोक।

टारगेट बहुत बड़ा है—3,09,78,000 मीटर। शुरुआत तेज है—अब तक 28,45,274 मीटर लग चुके हैं। पहले चरण में सरकारी इमारतें कवर हो रही हैं। इसके बाद 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में इंस्टॉलेशन बढ़ेगा, फिर कस्बों और गांवों की बारी आएगी। राज्य में फिलहाल करीब 2.75 करोड़ कनेक्शन हैं, और 12 लाख नए आवेदनों में से लगभग 5 लाख कनेक्शनों का काम फास्ट-ट्रैक पर है।

यह बदलाव सिर्फ बिलिंग मॉडल का नहीं, पूरी सोच का है। अब उपभोक्ता अपने मीटर को मोबाइल रिचार्ज की तरह रिचार्ज करेंगे और खपत रियल-टाइम में देख पाएंगे। कंपनी का दावा है कि इससे गलत बिल की संभावना खत्म होगी, मीटर रीडिंग के लिए घर-घर दौड़ नहीं लगेगी और सिस्टम में चोरी-छुपे होने वाले नुकसान कम होंगे।

इस पूरे कार्यक्रम के साथ राज्य सरकार ने एक और बड़ा फैसला किया है—अब सभी नए बिजली कनेक्शन प्रीपेड होंगे। यानी शुरुआत से ही डिजिटल, पारदर्शी और डेटा-आधारित बिलिंग।

यह कैसे काम करेगा, फायदे-चुनौतियां और आगे की राह

यह कैसे काम करेगा, फायदे-चुनौतियां और आगे की राह

प्रीपेड मीटर का सिद्धांत आसान है—पहले रिचार्ज, फिर खपत। जैसे-जैसे यूनिट खर्च होंगी, बैलेंस घटेगा। बैलेंस कम होने पर अलर्ट आएंगे और जीरो होने पर सप्लाई कट सकती है; लेकिन कट-ऑफ से पहले नोटिफिकेशन मिलना तय है ताकि समय पर रिचार्ज किया जा सके।

नए मीटर में कई स्मार्ट फीचर हैं, जो रोजमर्रा की परेशानी हल करते हैं:

  • रियल-टाइम खपत डेटा: घंटे-दर-घंटे कितनी बिजली लगी—ऐप/डैशबोर्ड पर साफ दिखेगा।
  • प्री-नोटिस अलर्ट: प्लान्ड पावर कट, लो बैलेंस और अधिक लोड पर पहले से सूचना।
  • लोड मैनेजमेंट: जरूरत से ज्यादा लोड होने पर चेतावनी, ताकि ट्रिपिंग और ओवरलोडिंग से बचा जा सके।
  • बिलिंग पारदर्शिता: अनुमानित रीडिंग, मैनुअल त्रुटि और हेरफेर की गुंजाइश कम।
  • एंटी-टैंपर: मीटर से छेड़छाड़ की कोशिश पर सिस्टम अलर्ट करता है।

रिचार्ज कैसे होगा? UPPCL का ‘झटपट’ ऑनलाइन पोर्टल इसी बदलाव का डिजिटल हब है। यहीं से कनेक्शन के लिए आवेदन, बिल पेमेंट, सर्विस मैनेजमेंट, लोड सैंक्शन और शिकायत दर्ज—सब ऑनलाइन होता है। प्रीपेड रिचार्ज के लिए ये सामान्य विकल्प दिखेंगे:

  1. झटपट पोर्टल/ऐप पर लॉगिन करें और कंज्यूमर नंबर डालें।
  2. रिचार्ज अमाउंट चुनें, UPI/डेबिट कार्ड/नेट बैंकिंग से भुगतान करें।
  3. पेमेंट कन्फर्म होते ही बैलेंस मीटर अकाउंट में जुड़ जाएगा; SMS/ऐप नोटिफिकेशन मिल जाएगा।
  4. ऑफलाइन विकल्प के लिए अधिकृत काउंटर पर जाकर भी रिचार्ज कर सकते हैं।

शहरों में इंस्टॉलेशन अपेक्षाकृत आसान है क्योंकि कम्युनिकेशन नेटवर्क बेहतर है। गांवों में चुनौती नेटवर्क कवरेज और लगातार डेटा सिंक की रहेगी। इसके लिए डिस्कॉम को बैकएंड सिस्टम, सर्वर क्षमता और फील्ड सपोर्ट मजबूत करना होगा। फर्मवेयर अपडेट, बैटरी बैकअप और रिमोट डायग्नोस्टिक्स जैसे टेक्निकल सपोर्ट भी उतने ही जरूरी होंगे जितना मीटर लगाना।

उपभोक्ता के नजरिये से सबसे बड़ा लाभ है—खपत पर नियंत्रण। घर में फ्रिज, एसी, गीजर, वॉशिंग मशीन कब चलें, कितना चलें—डेटा देखकर फैसले करना आसान होगा। महीने के अंत में एक झटके में बड़े बिल का डर नहीं, क्योंकि खर्च हर दिन दिखेगा। छोटे दुकानदारों और होम-ऑफिस के लिए भी यह मॉडल मददगार है—खर्च का हिसाब सीधा, कैश-फ्लो प्लानिंग आसान।

क्या प्रीपेड में टैरिफ अलग होगा? टैरिफ और शुल्क विनियामक आदेशों के अनुसार ही होंगे और डिस्कॉम अलग से सूचना देगा। मीटर की कीमत/किराया, सुरक्षा राशि का समायोजन, और रिफंड प्रक्रिया—ये सब आधिकारिक दिशानिर्देशों के मुताबिक तय होंगे। मकान बदलने पर बचे बैलेंस का ट्रांसफर या रिफंड भी निर्धारित प्रक्रिया से होगा, जिसमें KYC और क्लियरेंस जरूरी होगा।

शिकायत कैसे दर्ज होगी? डिजिटल मॉडल में शिकायत और समाधान दोनों ऑनलाइन होंगे। झटपट पोर्टल/ऐप, कॉल सेंटर और नज़दीकी सबडिविजन दफ्तर—तीनों रास्ते खुले रहेंगे। स्मार्ट मीटर का फायदा यह है कि डेटा लॉग मौजूद रहते हैं, इसलिए विवाद होने पर खपत का तकनीकी ऑडिट आसान होता है।

सुरक्षा और निजता पर भी ध्यान रहेगा। स्मार्ट मीटर उपभोक्ता की खपत का सूक्ष्म डेटा बनाते हैं, जो सेवा सुधार में मदद करता है, लेकिन डेटा-प्रोटेक्शन नियमों का पालन जरूरी है। डेटा एक्सेस, शेयरिंग और रिटेंशन पर स्पष्ट नीति—यही भरोसे की कुंजी है।

अब जरा सिस्टम-लेवल असर देखें। डिस्कॉम के लिए सबसे बड़ी राहत है रेवेन्यू-लीकेज पर अंकुश—न तो अनुमानित रीडिंग, न बिलिंग में देरी, न बकाये का पहाड़। वसूली का चक्र छोटा होगा तो सप्लाई और नेटवर्क पर निवेश की क्षमता बढ़ेगी। चोरी पर लगाम लगे तो लाइन लॉस नीचे आएंगे। यही वो चेन-रिएक्शन है जो बिजली तंत्र को मजबूत करता है।

यह बदलाव हर सेक्टर तक पहुंचेगा।

  • गृह-उपभोक्ता: बजट के मुताबिक रिचार्ज, कम-खपत वाले स्लॉट चुनने की आदत, बिल-स्प्राइज खत्म।
  • किरायेदार: अलग मीटर-बैलेंस से मकान मालिक पर निर्भरता कम, ट्रांसफर/क्लोजर में स्पष्ट हिसाब।
  • एमएसएमई/दुकानें: समय-आधारित संचालन, लोड अलर्ट से ओवरलोडिंग से बचाव, डाउनटाइम घटेगा।
  • संस्थान/सरकारी इमारतें: बड़े बिलिंग खातों में पारदर्शिता, अंदरूनी ऑडिट आसान।

सरकार की हरित ऊर्जा योजना भी साथ चल रही है। राज्य ने 1 लाख ग्रिड-कनेक्टेड सौर ट्यूबवेल लगाने का लक्ष्य रखा है। पुरानी, ज्यादा उत्सर्जन वाली थर्मल यूनिटें चरणबद्ध तरीके से बंद होंगी और खाली जमीन का वैकल्पिक इस्तेमाल होगा। स्मार्ट मीटर यहां भी काम के हैं—नेट मीटरिंग और फीड-इन के सटीक हिसाब के लिए वही बुनियादी ढांचा चाहिए जो प्रीपेड और स्मार्ट बिलिंग के साथ बन रहा है।

क्या स्मार्ट मीटर से टाइम-ऑफ-डे (पीक/ऑफ-पीक) टैरिफ जैसे मॉडल संभव होंगे? तकनीकी रूप से हां। जब डिस्कॉम और विनियामक इस तरह के विकल्प अपनाएंगे, तो उपभोक्ता कम-रेट वाले स्लॉट में ज्यादा काम शिफ्ट करके बिल घटा पाएंगे। डिमांड रिस्पॉन्स—यानि ग्रिड पर लोड ज्यादा होने पर वॉलंटरी खपत घटाने—जैसी चीजें भी तभी चलती हैं, जब मीटर स्मार्ट हों और दो-तरफा संचार हो।

इंस्टॉलेशन के दौरान कुछ बेसिक बातों का ध्यान रखा जाएगा:

  • मीटर-लोकेशन: आसान एक्सेस और मौसम से सुरक्षा, ताकि सर्विसिंग में दिक्कत न हो।
  • सीलिंग और फोटोग्राफी: पुराने मीटर की रीडिंग और नए की आरंभिक रीडिंग का रिकॉर्ड, ताकि भविष्य में विवाद न हो।
  • यूज़र-ओरिएंटेशन: रिचार्ज, ऐप लॉगिन, अलर्ट समझाना—टीम ऑन-साइट गाइड करेगी या ऑनलाइन ट्यूटोरियल उपलब्ध कराएगी।

जहां नेटवर्क कमजोर है, वहां डेटा सिंक समय-समय पर होगा। बिजली जाने पर मीटर सप्लाई बहाल होने पर खुद रिसिंक्रोनाइज़ करेगा। रिमोट कनेक्ट/डिसकनेक्ट की सुविधा का इस्तेमाल सुरक्षा और बिलिंग मानकों के अनुरूप होगा, ताकि उपभोक्ता के अधिकार सुरक्षित रहें।

बीते वर्षों में गलत बिल—कभी अनुमानित, कभी औसत—उपभोक्ताओं के लिए सिरदर्द रहे हैं। स्मार्ट मीटर इस कड़ी को तोड़ते हैं। रीडिंग ऑटोमैटिक, हिसाब रियल-टाइम और रिकॉर्ड क्लाउड पर—ये तीन चीजें मिलकर बिलिंग को लगभग विवाद-मुक्त बनाती हैं। चोरी और लाइन-लॉस कम होने का सीधा असर भी दिखेगा—सप्लाई ज्यादा स्थिर, आउटेज प्लानिंग बेहतर और नेटवर्क पर निवेश तेज।

तकनीक की सफलता मैदान में काम कर रही टीमों पर भी टिकी है—इंस्टॉलेशन की गुणवत्ता, कस्टमर सपोर्ट, स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता और फॉल्ट पर त्वरित रिस्पांस। अगर ये चार पहिये साथ चले, तो उपभोक्ता का भरोसा बनेगा और अपनाने की रफ्तार बढ़ेगी।

एक अहम बात—प्रीपेड मॉडल में बैलेंस जीरो होने पर सप्लाई रुक सकती है। इसलिए लो बैलेंस अलर्ट पर नजर रखें, ऑटो-रिचार्ज सेट करना चाहें तो करें, और महीने की शुरुआत में एक बेस रिचार्ज रख लें। बुजुर्गों या किरायेदारों के लिए फैमिली अकाउंट/ट्रस्टेड नंबर पर अलर्ट कॉपी कराएं, ताकि चूक न हो।

आज का बड़ा सवाल—क्या यह देश के सबसे बड़े स्मार्ट मीटर कार्यक्रमों में से एक होगा? लक्ष्य और पैमाना यही बताते हैं। राज्य-व्यापी कवरेज, सभी नए कनेक्शनों को प्रीपेड में लाना, और डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ सेवा देना—ये तीन बातें मिलकर मॉडल को टिकाऊ बनाती हैं।

अगले चरणों में आप ये बदलाव देखेंगे—इंस्टॉलेशन ड्राइव का विस्तार, ऐप/पोर्टल में नए फीचर, और उपभोक्ताओं के लिए सरल गाइड। हां, शुरुआती महीनों में छोटे-छोटे अड़ंगे आ सकते हैं—नेटवर्क, लॉगिन, या रिचार्ज अपडेट में देरी। लेकिन यही वह समय है जब फीडबैक काम आता है।

कुल मिलाकर, UPPCL प्रीपेड स्मार्ट मीटर से स्टेट का बिजली तंत्र एक डेटा-ड्रिवन मॉडल की तरफ बढ़ रहा है—जहां उपभोक्ता को खपत का सही हिसाब, समय पर सूचना और अपने बिल पर असली नियंत्रण मिलता है। और डिस्कॉम को मिलता है—कुशलता, पारदर्शिता और निवेश की गुंजाइश। यही वह इस्तेमाल-के-काबिल बदलाव है जिसका इंतजार लंबे समय से था।

10 टिप्पणि

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    Vinaya Pillai

    सितंबर 18, 2025 AT 03:07
    अब तो बिजली का बिल देखकर दिल नहीं धड़केगा। जैसे फोन रिचार्ज करते हैं, वैसे ही बिजली भी। बहुत अच्छा कदम। अब लोग जानेंगे कि एसी चलाने से कितना खर्चा हो रहा है।

    मैंने अपने घर में लगवाया है, अब तो बच्चे भी बताते हैं - 'मम्मी, बिजली बचाओ, बैलेंस कम हो रहा है!' 😊
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    mahesh krishnan

    सितंबर 18, 2025 AT 04:50
    ये सब बकवास है। गांवों में इंटरनेट नहीं है, मीटर लगाओगे तो क्या करेंगे? रिचार्ज करने के लिए शहर जाना पड़ेगा? ये सिर्फ शहरी लोगों के लिए है। गरीबों की जिंदगी और खराब हो जाएगी।
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    Deepti Chadda

    सितंबर 20, 2025 AT 02:27
    अरे भाई ये तो भारत की ताकत है! 🇮🇳 जब तक हम अपनी चीजों को अपनाएंगे तब तक दुनिया हमें देखेगी। प्रीपेड मीटर? बस अभी शुरू हुआ है! जल्दी देश भर में लग जाएगा। अब बिजली चोरी वाले भी डरेंगे! 🔥
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    Anjali Sati

    सितंबर 21, 2025 AT 06:41
    कागज पर तो सब कुछ बहुत अच्छा लगता है। पर जब तक फील्ड में इंस्टालेशन ठीक से नहीं होगा, तब तक ये सब बस एक शो है। और फिर भी लोगों को बताया जाएगा कि ये डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन है।
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    Preeti Bathla

    सितंबर 23, 2025 AT 01:46
    अरे ये सब बस आपके लिए नहीं है जो फोन से रिचार्ज कर सकते हो। मेरी नानी 75 साल की है, उन्हें ऐप खोलना भी नहीं आता। और अब बिजली बंद हो गई तो क्या करेंगे? ये सरकार तो बस डेटा चुरा रही है। आपका हर बिजली उपयोग ट्रैक हो रहा है। ये निगरानी है, न कि सेवा। 😒
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    Aayush ladha

    सितंबर 24, 2025 AT 05:30
    अच्छा हुआ कि ये मीटर लगे। पर अगर इसका इस्तेमाल बिजली बढ़ाने के लिए हुआ तो? अगले साल टैरिफ दोगुना हो जाएगा। ये सब बस एक बड़ा धोखा है। लोगों को लगेगा कि वो नियंत्रण में हैं, पर असल में वो फंस गए हैं।
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    Rahul Rock

    सितंबर 25, 2025 AT 11:34
    हम सब अलग-अलग देख रहे हैं। कुछ लोग इसे आज़ादी के रूप में देख रहे हैं, कुछ निगरानी। लेकिन अगर हम इसे एक शुरुआत मान लें - जहां बिजली का हिसाब साफ होगा - तो ये बहुत बड़ा कदम है। चाहे थोड़ी देर लगे, चाहे कुछ तकनीकी गड़बड़ हो जाए। लक्ष्य ठीक है। बस धीरे-धीरे, लेकिन लगातार आगे बढ़ें।
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    Annapurna Bhongir

    सितंबर 26, 2025 AT 15:21
    मीटर लग गया तो अब बिल नहीं आएगा बस बैलेंस घटेगा। जब बैलेंस खत्म होगा तो बिजली बंद हो जाएगी। ये तो बिल के बजाय अंदाज़ा लगाने का नया तरीका है।
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    PRATIKHYA SWAIN

    सितंबर 28, 2025 AT 11:20
    बहुत बढ़िया! अब बिजली का खर्च नियंत्रित होगा। बस थोड़ा धैर्य रखें।
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    MAYANK PRAKASH

    सितंबर 28, 2025 AT 13:31
    मैंने अपने दुकान पर लगवाया है। पहले हर महीने बिल आता तो लगता जैसे चोरी हुई हो। अब देख रहा हूं - दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक एसी ने 3 यूनिट खाई। अब तो वक्त पर बंद कर देता हूं। बिजली बची, बिल भी कम। ये टेक्नोलॉजी असली बदलाव ला रही है।

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