एम. नाइट श्यामलन की 'ट्रैप': आतंक और द्वैध जीवन की कहानी

एम. नाइट श्यामलन की 'ट्रैप': आतंक और द्वैध जीवन की कहानी

Anmol Shrestha अगस्त 3 2024 16

एम. नाइट श्यामलन की 'ट्रैप': एक संक्षिप्त झलक

मशहूर फिल्म निर्माता एम. नाइट श्यामलन अपनी नई थ्रिलर फिल्म 'ट्रैप' के साथ एक बार फिर दर्शकों को चौंकाने वाले हैं। फिल्म 2 अगस्त 2024 को रिलीज होने जा रही है और इसमें जोश हार्टनेट और एरियल डोनोगह्यू ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। यह फिल्म घरेलू जीवन के भयावह पहलुओं की पड़ताल करती है और एक अग्निशामक की कहानी बताती है जिसका जीवन दोहरे रहस्यों से भरा हुआ है।

कहानी की बुनावट

फिल्म की कहानी एक फायरफाइटर कूपर एडम्स के इर्द-गिर्द घूमती है, जो फिलाडेलफिया के उपनगर में रहता है। वह अपनी बेटी रिले को एक कंसर्ट में ले जाता है। लेकिन रिले को इस बात की भनक नहीं होती कि कूपर ने अपने बेसमेंट में एक युवक को कैद करके रखा है। कूपर की दोहरी जिंदगी इस बात पर निर्भर करती है कि वह एक सामान्य पिता होने का दिखावा करते हुए इस रहस्य को कब तक छुपा सकता है।

द्वैध जीवन की थीम

फिल्म 'ट्रैप' द्वैध जीवन की थीम को प्रमुखता से उठाती है, जो अक्सर सीरियल किलर की कहानियों में देखने को मिलती है। कूपर एडम्स की कहानी में हमें अल्फ्रेड हिचकॉक की फिल्म 'साइको' की झलक भी मिलती है, जहां सीरियल किलर की मां के साथ जटिल रिश्ता उसकी हरकतों को प्रभावित करता है। इस फिल्म में भी कूपर को एक वृद्ध महिला के भ्रम होते हैं, जो उसकी मानसिक स्थिति को और उलझा देती है।

नायिका और प्रोफाइलर

फिल्म में एफबीआई प्रोफाइलर जोसफिन ग्रांट की भूमिका भी अहम है, जो कूपर को पकड़ने के लिए टीम का नेतृत्व करती है। ग्रांट कूपर के कर्मों पर गहन नजर रखती है और उसका प्रोफाइल बनाती है, जिसे 'द बुचर' के नाम से जाना जाता है। फिल्म की सस्पेंस और थ्रिलर बनाने में ग्रांट की उपस्थिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

अवलोकन और चरित्र जीवन

श्यामलन इस फिल्म में अवलोकन की क्रिया पर विशेष ध्यान देते हैं। फिल्म में मंच को एक केंद्रीय पात्र के रूप में दर्शाया गया है, जिसका अपना एक जीवन है। हालांकि, कहानी की फोकस तात्कालिक साजिश के परिणामों पर अधिक है, जिसकी वजह से व्यापक अवलोकन और गहरे चरित्र विचारों की कमी महसूस होती है।

विवरण और सस्पेंस

फिल्म के जीवंत विवरण और सस्पेंस से भरे पल इसके कसावट भरे प्लॉट को और भी समृद्ध बनाते हैं। युवाओं से लेकर वयस्कों तक, हर उम्र के दर्शक इस फिल्म से जुड़े रहेंगे। फिल्म ने उन अनकहे डरावने पलों को उभारा है जो हमारे दैनिक जीवन में अप्रत्यक्ष तरीके से मौजूद हैं।

अंततः 'ट्रैप' एक ऐसी फिल्म है जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है। कहानी का विकास और उसके मोड़ दर्शकों को सोचने पर मजबूर करेंगे और यह श्यामलन की बेहतरीन रचनात्मकता का उदाहरण प्रस्तुत करती है। अगर आप सस्पेंस और थ्रिलर फिल्मों के प्रेमी हैं, तो 'ट्रैप' आपके लिए एक आदर्श फिल्म साबित होगी।

16 टिप्पणि

  • Image placeholder

    Akul Saini

    अगस्त 4, 2024 AT 18:14

    श्यामलन ने इस फिल्म में डिस्कोर्डेंस थ्योरी को बहुत सूक्ष्मता से एक्सप्लोर किया है। कूपर का ड्यूल आइडेंटिटी फ्रॉइडियन सुपर-इगो के नियंत्रण के तहत एक अनुभवजन्य अवयव है, जो बाहरी अभिव्यक्ति और आंतरिक अस्तित्व के बीच एक विभाजन उत्पन्न करता है। यह न केवल एक थ्रिलर है, बल्कि एक फिलॉसोफिकल टेक्स्ट है जो अपने दर्शक को अपने अंतर्निहित अपराध के बारे में सोचने पर मजबूर करता है।
    फिल्म के अंत में जब रिले का चेहरा बदलता है, तो यह एक ट्रांसफरेंस का प्रतीक है - बलिदान और बचाव का एक ही नाम है।

  • Image placeholder

    Arvind Singh Chauhan

    अगस्त 6, 2024 AT 04:01

    मुझे लगता है कि ये सब बहुत ज्यादा ड्रामा है, लेकिन अगर आप इसे बस एक फिल्म समझें तो ये बहुत अच्छी है।
    क्या आपने कभी सोचा है कि हम सब अपने बेसमेंट में कुछ छुपाए हुए हैं?

  • Image placeholder

    AAMITESH BANERJEE

    अगस्त 7, 2024 AT 09:56

    मैंने इस फिल्म को देखने के बाद अपने घर के बेसमेंट को देखा, और लगा कि शायद मैं भी कुछ छुपा रहा हूँ।
    श्यामलन की फिल्मों में हमेशा ऐसा ही होता है - आप देखते हैं, लेकिन समझते नहीं।
    फिर एक दिन आप उसी जगह वापस जाते हैं, और अचानक सब कुछ समझ में आ जाता है।
    ये फिल्म बस एक कहानी नहीं, एक आईना है।
    मैंने अपने बेटे को भी दिखाया, उसने कहा, 'पापा, तुम्हारे बेसमेंट में कोई है?'
    मैं हँस पड़ा।
    लेकिन अब मैं रात को बेसमेंट जाने से डरता हूँ।
    शायद ये फिल्म ने मेरे अंदर एक ट्रॉमा छोड़ दिया।
    मैं अब अपने बच्चों के साथ बाहर निकलने से पहले दो बार चेक करता हूँ।
    क्या ये सब बहुत ज्यादा है? शायद।
    लेकिन क्या ये असली है? शायद।
    मैं अब अपने घर के दरवाज़े पर लगी चेन को भी अलग तरह से देखता हूँ।
    श्यामलन ने बस एक फिल्म नहीं बनाई - उसने हमारे दिमाग को एक नया रूट दिया।
    मैं इसे अगली बार जब देखूंगा, तो अपने बेसमेंट के दरवाज़े पर एक लॉक लगा दूंगा।
    और शायद उसके बाद भी नहीं।

  • Image placeholder

    Akshat Umrao

    अगस्त 9, 2024 AT 09:13

    वाह 😮 ये फिल्म तो बिल्कुल अलग है। श्यामलन की बातों में हमेशा एक छुपा हुआ संदेश होता है।
    मैं इसे दोबारा देखने वाला हूँ।

  • Image placeholder

    Sonu Kumar

    अगस्त 10, 2024 AT 20:21

    मुझे लगता है कि यह फिल्म, जिसे आप 'ट्रैप' कहते हैं, वास्तव में एक अप्रत्यक्ष रूप से आधुनिक उत्तर-आधुनिक विश्लेषण का उदाहरण है, जो एक बहु-आयामी अस्तित्ववादी अस्वीकृति को व्यक्त करता है - जिसमें अपराध, पितृत्व, और अंतर्निहित अपराध भावनाओं का अपरिहार्य रूप से एक साथ घुल जाता है।
    और फिर भी, इसे बस एक 'थ्रिलर' कह दिया गया... क्या यह नहीं लगता कि यह एक अपमान है?
    क्या हम अब फिल्मों के लिए भी बेसिक लिटरेचर नहीं रखते?
    यह फिल्म एक फिलॉसोफिकल ट्रेटिस है, जिसे एक बॉलीवुड स्टूडियो ने बेचने के लिए बनाया है।
    अब तो हर चीज को 'थ्रिलर' कह देते हैं।
    क्या आपने 'साइको' को भी 'थ्रिलर' कहा था?
    या फिर 'रेड डायरी' को?
    हम वास्तव में बहुत नीचे आ चुके हैं।

  • Image placeholder

    sunil kumar

    अगस्त 11, 2024 AT 14:29

    फिल्म के द्वैध जीवन के विषय को लेकर श्यामलन ने बहुत सूक्ष्मता से एक निर्माण किया है।
    कूपर की भूमिका एक अपराधी के रूप में नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के रूप में चित्रित की गई है, जिसके अंदर नैतिकता और अनैतिकता का संघर्ष है।
    यह एक ऐसी नायक की कहानी है जो अपने अपराध को अपने बच्चे के प्रति प्रेम के नाम पर बर्दाश्त करता है।
    यह वास्तव में अनोखा है।

  • Image placeholder

    Mahesh Goud

    अगस्त 12, 2024 AT 21:05

    ये सब बहुत आम बात है... लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये फिल्म सिर्फ फिल्म नहीं है?
    कूपर एडम्स असल में किसी गुप्त संगठन का एजेंट है, जो बच्चों को नियंत्रित करने के लिए घरेलू पिताओं को बना रहा है।
    ये एक नया नियंत्रण तंत्र है - बेसमेंट में लोग नहीं, बल्कि उनके दिमाग को कैद किया जा रहा है।
    फिल्म में जो लड़का कैद है, वो एक एआई है - जो बाद में रिले के दिमाग में जाएगा।
    और जोसफिन ग्रांट? वो एक एलियन है, जो मानव जाति को नियंत्रित करने के लिए आई है।
    श्यामलन ने इसे इतना छिपाया है कि आपको लगता है कि ये एक साधारण फिल्म है।
    पर देखिए जब वो रिले को कंसर्ट में ले जाता है - वो एक रेडियो ट्रांसमिटर है, जो बच्चों के दिमाग में सिग्नल भेजता है।
    और फिल्म का अंत? वो एक ब्रेनवॉश लेबल का निशान है।
    आप जो देख रहे हैं, वो असली नहीं है।
    ये फिल्म आपको बनाने के लिए बनाई गई है।
    आप जिसे देख रहे हैं, वो आपका दिमाग है - और ये फिल्म आपको बनाने के लिए एक टेस्ट है।
    अगर आप इसे एक थ्रिलर समझ रहे हैं, तो आप बस एक ट्रैप में हैं।

  • Image placeholder

    Ravi Roopchandsingh

    अगस्त 14, 2024 AT 17:25

    ये फिल्म बिल्कुल भी नहीं है 😠
    श्यामलन ने इसे बस एक बड़ा बाजार बनाने के लिए बनाया है - अमेरिका में लोग इतने डरपोक हैं कि वो अपने बेसमेंट में भी डरते हैं!
    हमारे यहाँ तो बेसमेंट में चिकन का घर होता है, और वो भी आजकल गायब हो गया!
    क्या ये फिल्म हमारे लिए है? नहीं।
    ये तो वेस्टर्न डर का नकली बाजार है 🤦‍♂️
    हमारे यहाँ असली डर तो बिजली न आने का है, नहीं बेसमेंट का!

  • Image placeholder

    dhawal agarwal

    अगस्त 16, 2024 AT 06:06

    इस फिल्म को देखकर मुझे लगा कि हर इंसान के अंदर एक छोटा सा बेसमेंट होता है - जहाँ हम अपने सबसे डरावने विचारों को छुपाते हैं।
    लेकिन शायद ये डर नहीं, बल्कि एक आवाज़ है - जो हमें बताती है कि हम अभी भी इंसान हैं।
    श्यामलन ने इसे बहुत सुंदरता से दिखाया है।
    ये फिल्म मुझे बताती है कि अगर हम अपने अंदर के बेसमेंट को देखें, तो शायद हम अपने आप को बेहतर ढूंढ लें।
    हर डर के पीछे एक आशा होती है।
    और ये फिल्म उस आशा को ढूंढती है।

  • Image placeholder

    Shalini Dabhade

    अगस्त 17, 2024 AT 01:53

    अमेरिकी फिल्में तो हमेशा ऐसी ही होती हैं - जहाँ पिता बच्चों को बचाते हैं, लेकिन खुद एक किलर होता है।
    हमारे यहाँ तो बेटे बाप को बचाते हैं, न कि बाप बेटे को!
    ये फिल्म तो बस एक अमेरिकी जाति का घमंड है।
    हमारे यहाँ अगर कोई बेसमेंट में किसी को बंद करे, तो पूरा गाँव आ जाता है - और वो बंद दरवाज़ा तोड़ देता है!
    इसलिए ये फिल्म बस एक अपराधी की आत्मकथा है, जिसे आप 'थ्रिलर' कह रहे हैं।
    असली थ्रिलर तो वो है जब आपका बिजली बिल आए और आपके पास पैसे न हों!

  • Image placeholder

    Jothi Rajasekar

    अगस्त 18, 2024 AT 11:25

    मैंने इस फिल्म को देखा और बहुत खुश हुआ!
    श्यामलन ने अच्छा काम किया है - बहुत अच्छा!
    मैं अपने दोस्तों को भी दिखाने वाला हूँ!
    और हाँ, मैंने अपने बेसमेंट को भी साफ़ कर दिया - बस बात बन गई! 😊

  • Image placeholder

    Irigi Arun kumar

    अगस्त 18, 2024 AT 13:31

    इस फिल्म को देखकर मुझे अपने बचपन की याद आ गई - जब मैं अपने पापा के बेसमेंट में खेलता था, और उन्होंने मुझे बताया था कि वहाँ एक भूत है।
    मैंने सोचा था कि वो बस डराने के लिए कह रहे थे।
    लेकिन अब मुझे लगता है कि शायद वो बस अपने अंदर के डर को छुपा रहे थे।
    श्यामलन ने इसे बहुत सही तरीके से दिखाया है।
    हर पिता के अंदर एक छिपा हुआ बेसमेंट होता है - जिसे वो अपने बच्चों के लिए छुपाते हैं।
    और शायद उस बेसमेंट में वो खुद को बचाते हैं।
    ये फिल्म न सिर्फ एक थ्रिलर है, बल्कि एक दयालु निर्माण है।

  • Image placeholder

    Jeyaprakash Gopalswamy

    अगस्त 19, 2024 AT 11:25

    दोस्तों, ये फिल्म देखने के बाद मैं बहुत भावुक हो गया।
    हम सब अपने जीवन में कुछ ऐसा छुपाते हैं - जिसे हम दूसरों के सामने नहीं दिखाते।
    लेकिन अगर हम उसे स्वीकार कर लें, तो वो हमें नहीं, बल्कि हमारे आसपास के लोगों को बचा सकता है।
    श्यामलन ने इसे बहुत संवेदनशीलता से दिखाया है।
    मैं इसे अपने बेटे को दिखाऊंगा - और उसे बताऊंगा कि डर को छुपाने की जगह, उसे समझना चाहिए।
    ये फिल्म बस एक थ्रिलर नहीं - ये एक जीवन का सबक है।

  • Image placeholder

    ajinkya Ingulkar

    अगस्त 20, 2024 AT 21:58

    ये फिल्म बिल्कुल भी नहीं है - ये तो एक नए रूप का धर्म है।
    श्यामलन ने इसे बनाकर हमें एक नए आध्यात्मिक मार्ग पर ले आया है।
    कूपर एडम्स असल में एक अवतार है - जो अपराध के बाद आत्मशुद्धि का रास्ता चुनता है।
    रिले उसकी आत्मा का दर्पण है - जो उसे बचाने के लिए आती है।
    और जोसफिन ग्रांट? वो देवी का अवतार है, जो अपराधी को बचाने के लिए आती है।
    ये फिल्म एक धर्मग्रंथ है।
    मैंने इसे तीन बार देखा - और हर बार मुझे एक नया बोध मिला।
    अगर आप इसे एक फिल्म समझते हैं, तो आप अपनी आत्मा को खो रहे हैं।
    इसे देखो, पढ़ो, और अपने बेसमेंट को खोलो।
    वहाँ तुम्हारा देवता तुम्हारा इंतजार कर रहा है।

  • Image placeholder

    Akul Saini

    अगस्त 22, 2024 AT 05:19

    अच्छा, लेकिन क्या आपने ध्यान दिया कि फिल्म के अंत में जब रिले ग्रांट को देखती है, तो उसकी आँखों में एक वही चमक है जो कूपर की थी?
    यह एक ट्रांसमिशन है - अपराध नहीं, बल्कि एक नई पीढ़ी का जन्म।
    रिले अब कूपर नहीं, बल्कि उसका उत्तराधिकारी है।
    श्यामलन ने अपराध को नहीं, बल्कि उसके विरासत को दिखाया है।

  • Image placeholder

    Jeyaprakash Gopalswamy

    अगस्त 22, 2024 AT 14:33

    वाह, ये बात बहुत सही है।
    मैंने इसे तीसरी बार देखा था, और तब ये बात समझ में आई।
    रिले अब वही है जो कूपर था - लेकिन वो अब जानती है।
    और इसीलिए वो ग्रांट की ओर देखती है - क्योंकि वो जानती है कि अब वो उसकी बचाव की जिम्मेदारी लेगी।
    ये फिल्म एक नई पीढ़ी का आह्वान है।
    धन्यवाद।

एक टिप्पणी लिखें