फ़ॉक्सकॉन के बेंगलुरु परिसर की घोषणा के बाद तेलंगाना में सत्तारूढ़ कांग्रेस की विश्वसनीयता पर सवाल

फ़ॉक्सकॉन के बेंगलुरु परिसर की घोषणा के बाद तेलंगाना में सत्तारूढ़ कांग्रेस की विश्वसनीयता पर सवाल

Anmol Shrestha अगस्त 18 2024 13

फ़ॉक्सकॉन के बेंगलुरु निवेश पर तेलंगाना में विपक्ष का हल्ला

फ़ॉक्सकॉन द्वारा बेंगलुरु में अत्याधुनिक परिसर स्थापित करने की घोषणा के बाद तेलंगाना में सत्ता में मौजूद कांग्रेस पार्टी की विश्वसनीयता पर गम्भीर सवाल उठाए गए हैं। विपक्षी दलों ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया है कि वे तेलंगाना में ऐसे महत्वपूर्ण निवेश को आकर्षित करने में नाकाम रहे हैं जो राज्य की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकता था।

फ़ॉक्सकॉन, जो दुनिया के प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं में से एक है, ने बेंगलुरु में अपने विशाल परिसर की स्थापना की घोषणा की है। इस निर्णय से तेलंगाना में नाराजगी और चिंता की स्थिति पैदा हो गई है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह सरकार की लापरवाही और मेहनत की कमी का नतीजा है कि तेलंगाना को इतना बड़ा निवेश नहीं मिल पाया।

तेलंगाना में निवेश के अनुकूल माहौल होने के बावजूद विफलता

विपक्ष का दावा है कि तेलंगाना एक बहुत ही अनुकूल व्यवसायिक वातावरण प्रदान करता है, जिसके बावजूद यहां बड़े निवेशों की कमी एक सवालिया निशान है। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने राज्य को निवेशकों के लिए अनाकर्षक बना दिया है। फ़ॉक्सकॉन का बेंगलुरु में निवेश करना केवल एक उदाहरण है, और इसके बाद राज्य की आर्थिक प्रगति और विकास की दिशा को लेकर गंभीर चिन्ता उत्पन्न हो गई है।

विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया है कि सत्तारूढ़ सरकार ने उद्योग और निवेश के मामले में ठोस नीतियाँ बनाने में विफलता प्राप्त की है। इससे न केवल राज्य की राजस्व में कमी आई है, बल्कि युवाओं के रोज़गार के अवसर भी सीमित हो गए हैं।

राज्य सरकार की नीति और प्रयासों पर सवाल

राज्य सरकार की नीति और प्रयासों पर सवाल

फ़ॉक्सकॉन का निवेश न मिलने के मुद्दे ने राज्य सरकार की नीति और प्रयासों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने फ़ॉक्सकॉन और अन्य प्रमुख निवेशकों के साथ पर्याप्त वार्ता और मोलभाव नहीं किया, जिसने निवेशकों को अन्य राज्यों में जाने के लिए मजबूर किया।

यह स्थिति न केवल तेलंगाना के लिए बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए एक चिंता का विषय बन गई है। यह सवाल उठता है कि आखिर क्यों और कैसे राज्य सरकार ने फॉक्सकॉन जैसे निवेशकों को आकर्षित करने में असफलता पाई।

विपक्ष ने सरकार के विकास और निवेश संबंधी कार्यशैली पर कड़े शब्दों में आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि यदि सरकार थोड़ी सी और मेहनत करता और निवेशकों के नज़दीक जाने के लिए सही कदम उठाती, तो तेलंगाना भी एक बड़ा निवेश प्राप्त कर सकता था।

राजनीतिक प्रभाव और आगे की दिशा

राजनीतिक प्रभाव और आगे की दिशा

वर्तमान स्थिति तेलंगाना की राजनीतिक परिदृश्य पर भी असर डाल रही है। विपक्ष ने फॉक्सकॉन की घोषणा का राजनीतिक फायदा उठाने का प्रयास किया है और राज्य की आर्थिक प्रगति पर सवाल उठाए हैं।<> इसके साथ ही, विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया है कि कांग्रेस सरकार के नीतिगत कमियों और भ्रष्टाचार के कारण राज्य को यह बड़ा नुकसान हुआ है।

इस विवाद ने दिखाया है कि भारतीय राज्यों के बीच निवेश आकर्षित करने की होड़ कितनी तीव्र हो चुकी है। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राज्यों को लगातार नए और अनुकूल नीतियों का निर्माण करना पड़ता है।

अब यह देखना होगा कि सत्तारूढ़ सरकार विपक्ष के इन आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देती है और वे राज्य में निवेश और विकास के लिए कौन से कदम उठाते हैं।

13 टिप्पणि

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    Rohit Raina

    अगस्त 18, 2024 AT 07:05
    ये सब राजनीति है भाई। फॉक्सकॉन ने बेंगलुरु क्यों चुना? क्योंकि वहां इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार है, लैबर अवेलेबल है, और सरकार बिना झंडू बाजी के काम करती है। तेलंगाना की सरकार को अपनी गलतियों पर सोचना चाहिए, न कि दूसरों को दोष देना।
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    Prasad Dhumane

    अगस्त 19, 2024 AT 21:41
    मैं तो सोच रहा था कि ये सब बहुत बड़ी बात है, लेकिन जब आप देखते हैं कि कितने राज्य अपने अंदर निवेश को आकर्षित कर रहे हैं... तो लगता है कि तेलंगाना बस अपने आप को बहुत बड़ा समझ रहा है। बेंगलुरु के पास एक अलग ही एक्सपीरियंस है - इंजीनियरिंग कल्चर, टेक्नोलॉजी हब, और वो एक अनुभव जिसे कोई नीति से नहीं बनाया जा सकता। ये सब एक जादू है, और हम उसे बाहर से नहीं चुरा सकते।
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    rajesh gorai

    अगस्त 21, 2024 AT 18:40
    अगर हम एक डायनामिक इकोसिस्टम के लेवल पर सोचें - तो फॉक्सकॉन का निर्णय एक नेटवर्क इफेक्ट का परिणाम है। बेंगलुरु में इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन एक सेल्फ-रेइनफोर्सिंग लूप में है। तेलंगाना के पास ये इंटर-एक्टिव सिस्टम नहीं है। ये सिर्फ ब्यूरोक्रेसी और पॉलिटिकल नॉइज़ का मामला नहीं है - ये सिस्टम थ्योरी का मुद्दा है।
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    Rampravesh Singh

    अगस्त 22, 2024 AT 13:07
    हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि विकास का मार्ग सिर्फ निवेश के आंकड़ों से नहीं बनता। यह तो एक लंबी यात्रा है - शिक्षा, अनुसंधान, अखंडित नीति, और नैतिक नेतृत्व से। तेलंगाना के लिए यह एक अवसर है - न कि एक असफलता। हमें निराशा के बजाय नई रणनीति बनानी होगी।
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    Akul Saini

    अगस्त 23, 2024 AT 10:48
    फॉक्सकॉन के बेंगलुरु निवेश को लेकर इतना हल्ला क्यों? देखो, अगर तेलंगाना ने अपने विकास रणनीति में निवेश के लिए एक टारगेटेड एप्रोच अपनाई होती - जैसे ऑटोमोटिव, फार्मास्यूटिकल्स, या ग्रीन टेक - तो शायद फॉक्सकॉन को अलग तरह से देखना पड़ता। ये सिर्फ बेंगलुरु का जादू नहीं है... ये एक अनुकूलित स्ट्रैटेजी का नतीजा है।
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    Arvind Singh Chauhan

    अगस्त 23, 2024 AT 11:24
    हमें ये बात समझनी होगी कि जिस तरह से सरकार ने इस निवेश को चूक लिया... ये सिर्फ एक गलती नहीं, बल्कि एक नियमित असफलता का एक और उदाहरण है। और जब आप देखते हैं कि कितने मंत्री अपने ऑफिस में बैठे हैं और निवेशकों के साथ बात नहीं कर रहे... तो ये सिर्फ नीति की कमी नहीं, बल्कि एक व्यवस्था की बीमारी है।
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    AAMITESH BANERJEE

    अगस्त 25, 2024 AT 01:10
    मैं तो बस एक बात कहना चाहता हूं - अगर तेलंगाना को फॉक्सकॉन चाहिए था, तो उन्होंने अपने अंदर के टैलेंट्स को बेहतर तरीके से इस्तेमाल क्यों नहीं किया? क्या यहां के इंजीनियर्स और स्टार्टअप्स को अपने नेटवर्क में शामिल करने का कोई प्रयास नहीं हुआ? निवेश तो बस एक चीज़ है... लेकिन एक स्थानीय इकोसिस्टम बनाना तो ज्यादा महत्वपूर्ण है। अगर हम अपने घर को सुधारें, तो बाहर के लोग खुद आ जाएंगे।
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    Akshat Umrao

    अगस्त 26, 2024 AT 15:26
    बेंगलुरु का जादू नहीं... बल्कि उनकी बुद्धिमत्ता है। 😊 तेलंगाना को बस अपने अंदर देखना होगा। एक बार अच्छी नीति बन जाए, तो फॉक्सकॉन भी आ जाएगा। बस थोड़ा और धैर्य और थोड़ा और वास्तविकता से जुड़ना होगा।
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    Sonu Kumar

    अगस्त 26, 2024 AT 21:24
    अरे ये सब एक बड़ा नियो-लिबरल कॉन्सपिरेसी है... फॉक्सकॉन के निवेश को लेकर जो चर्चा हो रही है - ये सब एक टेक-कॉर्पोरेट ग्लोबल एलायंस का हिस्सा है। जिसने तेलंगाना को बेच दिया... और बेंगलुरु को चुन लिया। आप नहीं जानते कि ये सब किस निवेशक ने बनाया है - लेकिन ये एक फ्रैक्चर है। और आपकी सरकार इसके लिए बिल्कुल अयोग्य है।
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    sunil kumar

    अगस्त 28, 2024 AT 01:43
    मैं यह नहीं कह रहा कि सरकार ने सब कुछ ठीक किया है। लेकिन फॉक्सकॉन के निवेश के बारे में जो बहस हो रही है, उसमें एक बड़ा बाहरी फैक्टर नज़रअंदाज़ किया जा रहा है - बेंगलुरु की लेबर यूनियन्स की कमजोरी, और उसकी उच्च उत्पादकता। तेलंगाना के पास ये फैक्टर नहीं है। ये राजनीति नहीं, बल्कि एक आर्थिक विश्लेषण है।
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    Mahesh Goud

    अगस्त 29, 2024 AT 12:16
    सुनो भाई... फॉक्सकॉन के निवेश का जो बड़ा हल्ला है - ये सब एक धोखा है। वो कंपनी तो बस एक ट्रांसनेशनल कॉर्पोरेशन है जो जहां भी सबसे सस्ता लेबर पाएगा, वहां जाएगी। बेंगलुरु में भी वो नहीं रहेगा... वो बांग्लादेश या वियतनाम चला जाएगा। और तेलंगाना की सरकार जो बोल रही है कि उन्होंने निवेश को चूक दिया - ये बस एक डिस्ट्रैक्शन टैक्टिक है। असली बात ये है कि हम अपने लोगों को शिक्षा दे रहे हैं या नहीं? क्या हम अपने बच्चों को टेक्नोलॉजी सिखा रहे हैं? नहीं। तो फिर ये सब बातें क्यों? ये सब एक धोखा है।
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    Ravi Roopchandsingh

    अगस्त 29, 2024 AT 17:22
    फॉक्सकॉन के बेंगलुरु निवेश के बाद जो लोग तेलंगाना की सरकार पर निशाना साध रहे हैं - वो बस अपने अंदर के असफलता को दूसरों पर थोप रहे हैं 😤 ये राजनीति का खेल है। लेकिन अगर तेलंगाना अपने अंदर देखे - तो देखेगा कि उसके पास एक बड़ा टेक्नोलॉजी हब है - हैदराबाद! अगर वहां की सरकार ने फॉक्सकॉन को आमंत्रित किया होता - तो आज ये बात नहीं होती! ये एक अवसर था - और उसे गंवा दिया!
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    dhawal agarwal

    अगस्त 30, 2024 AT 08:32
    मैं अपने दादा को याद कर रहा हूं... वो कहते थे, 'जब तक तुम अपने घर की चीज़ें ठीक नहीं करते, तब तक दूसरों के घर की चीज़ें देखने का मतलब नहीं होता।' तेलंगाना के लिए ये बात आज भी सच है। बेंगलुरु की सफलता को नकारने की जरूरत नहीं - बल्कि हमें अपनी सफलता के लिए अपने अंदर देखना होगा। एक अच्छा शिक्षा प्रणाली, एक अच्छी ट्रांसपोर्ट सिस्टम, और एक अच्छा नेतृत्व - ये वो चीज़ें हैं जिन्हें हम बना सकते हैं। और जब हम बनाएंगे - तो फॉक्सकॉन आएगा। बिना उसके भी हम बढ़ सकते हैं।

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