कर्नाटक में ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी
कर्नाटक सरकार ने राज्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है। यह वृद्धि पेट्रोल पर प्रति लीटर 3 रुपये और डीजल पर प्रति लीटर 3.5 रुपये की हुई है। इस फैसले से राज्य के नागरिकों को झटका लगा है। हालांकि सरकार का कहना है कि यह फैसला राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने और विभिन्न विकास कार्यों के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से लिया गया है।
वित्त विभाग की अधिसूचना में बदलाव
इस फैसले को लागू करते हुए कर्नाटक वित्त विभाग ने 15 जून की तारीख पर एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें कर्नाटक बिक्री कर अधिनियम में संशोधन किया गया था। इसके अनुसार पेट्रोल पर बिक्री कर 25.92 प्रतिशत से बढ़ाकर 29.84 प्रतिशत कर दिया गया, जबकि डीजल पर यह कर 14.34 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.44 प्रतिशत हो गया। इस बदलाव के चलते बेंगलुरु में पेट्रोल की कीमत अब 102.84 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 88.95 रुपये प्रति लीटर हो गई है।
सरकार की योजनाओं के लिए जुटाया जाएगा धन
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि कर्नाटक में ईंधन पर कर दक्षिण भारत के अधिकांश राज्यों से कम हैं। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य की वित्तीय स्थिति को समृद्ध करने के लिए यह कदम उठाया गया है। इसके साथ ही सरकार का यह अनुमान है कि इस फैसले से राज्य को करीब 2,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा।
विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया
इस अचानक की गई वृद्धि पर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नाराजगी जताते हुए पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। भाजपा के प्रमुख नेताओं ने इसे जनता के साथ अन्याय करार दिया है और सरकार पर कर लाभ बढ़ाने का आरोप लगाया है। वहीं, केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा कि यह वृद्धि राज्य सरकार की गारंटी योजनाओं को वित्त पोषित करने के लिए की गई है।
आलोचनाओं का सामना
सरकार के इस कदम की आलोचना विपक्ष के साथ-साथ खुद कांग्रेस के कुछ विधायकों ने भी की है। उनका मानना है कि यह बढ़ोतरी विकास कार्यों के लिए आवंटित धन को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार पर राज्य के संसाधनों को अन्य राज्यों में भेजने का आरोप भी लगाया है, जिससे वर्तमान में वित्तीय संकट उत्पन्न हुआ है।
आर्थिक दृष्टिकोण
इस फैसले का राज्य की आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह भविष्य में देखा जाएगा। सरकार की ओर से इसे एक आवश्यक कदम माना गया है, लेकिन इसे लेकर जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा है। लोग सरकार की इस नीति पर सवाल उठा रहे हैं और देखने वाली बात होगी कि आने वाले दिनों में सरकार तथा विपक्ष के बीच यह मुद्दा कैसे सुलझाया जाएगा।
संकेत यह मिल रहे हैं कि राज्य में इसे लेकर आने वाले दिनों में और भी विवाद संभव हैं।