खाटू श्याम मंदिर की खुदाई में निकला 100 साल पुराना पीतल का डिब्बा, मूर्तियां और सिक्के बरामद

खाटू श्याम मंदिर की खुदाई में निकला 100 साल पुराना पीतल का डिब्बा, मूर्तियां और सिक्के बरामद

Anmol Shrestha अप्रैल 21 2025 7

खातू श्याम मंदिर की खुदाई में अनोखी ध्वनियां और प्राचीन धरोहर का राज

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के सिंगाही खुर्द में श्री बालाजी मंदिर परिसर के खाटू श्याम मंदिर में बीते दिनों जो हुआ, उसने हर किसी को हैरान कर दिया। मंदिर में नई प्रतिमाएं लगाने के लिए जब खुदाई चल रही थी, तो मजदूरों ने अचानक ज़मीन के नीचे से आती रहस्यमयी आवाजें सुनीं। ऐसा अक्सर फिल्मों में देखा जाता है, मगर जब असलियत में मजदूरों ने ज़मीन से आवाज़ें महसूस कीं, तो काम रोक दिया गया और आसपास के लोग जमा हो गए।

पंडित सर्वेश मिश्रा ने खुदाई के उस हिस्से की निगरानी की। गहराई में कुछ खुदाई के बाद वहां से एक छोटा-सा पीतल का डिब्बा निकला। लोग हैरान रह गए – आखिर क्या हो सकता है इस डिब्बे में?

पीतल के डिब्बे में मिली भगवान की प्राचीन मूर्तियां, सिक्के और पूजा की सामग्री

पीतल के डिब्बे में मिली भगवान की प्राचीन मूर्तियां, सिक्के और पूजा की सामग्री

जब डिब्बा खोला गया, तो उसके अंदर की चीज़ें देख हर किसी की आंखें चमक उठीं। इस पीतल के डिब्बे में करीब 100 साल पुरानी भगवान की मूर्तियां मिलीं। इनमें राम दरबार, हनुमान, लक्ष्मी, गणेश और दुर्गा की पीतल की प्रतिमाएं थीं। एक विशेष चीज़ थी – बालाजी की चांदी की प्रतिमा। साथ ही एक छोटी त्रिशूल, पांच गदा, पांच शालिग्राम शिला (जिन्हें भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है) और नौ प्राचीन सिक्के भी थे जिन पर 1920 और 1940 की छपाई थी।

मंदिर में अचानक ही ये सब मिलने से पूरे कस्बे में उत्सुकता की लहर दौड़ गई। लोगों की भीड़ मंदिर में इकट्ठा हो गई। कई लोग मानते हैं कि ऐसी चीजें मंदिरों में वर्षों पहले दान के तौर पर या पूजा संपत्ति की तरह रखी जाती थीं, लेकिन किसने और क्यों रखी – इसके जवाब किसी के पास नहीं थे।

  • पीतल का डिब्बा और मूर्तियां
  • चांदी की बालाजी प्रतिमा
  • तीर्थ चिह्न – शालिग्राम शिला और त्रिशूल
  • नौ सिक्के (सन् 1920-1940 के बीच)

जब यह खबर फैली, तो खुदाई का वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो गईं। हर कोई अपनी-अपनी थ्योरी देने लगा। कई लोगों ने इसे शुभ संकेत कहा तो कुछ ने इसे 'खजाने की निशानी' समझ लिया। गांव वाले बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, हर कोई मंदिर पहुंचने लगा।

मामले की जानकारी पुलिस को मिली, तो पुलिस फौरन मौके पर पहुंची। तय नियमों के तहत सभी प्राचीन मूर्तियां और वस्तुएं मंदिर के पुजारी सर्वेश मिश्रा को सौंप दी गईं, ताकि वे उनकी देखरेख में सुरक्षित रहें। बाद में पुजारी ने साफ किया कि ये सभी धरोहरें मंदिर की संपत्ति के रूप में संभाल ली गई हैं और उनकी पूजा-अर्चना जारी रखी जाएगी।

इस घटना ने खाटू श्याम मंदिर को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। मंदिर पहले से ही श्याम बाबा के भक्तों के लिए आस्था का केंद्र रहा है। मगर अब वहां के लोग और दूर-दराज से आने वाले तीर्थयात्री भी इस पुरानी धरोहर को देखने के लिए खिंचे चले आ रहे हैं। ये घटना सिर्फ एक मंदिर की खुदाई की कहानी नहीं है, बल्कि स्थानीय संस्कृति, मान्यताओं और हमारी जड़ों से जुड़ी एक झलक भी पेश करती है।

7 टिप्पणि

  • Image placeholder

    Nagesh Yerunkar

    अप्रैल 22, 2025 AT 15:51

    ये सब बकवास है। अगर ये मूर्तियाँ 100 साल पुरानी हैं, तो फिर उन्हें किसने दफनाया? क्या आपको लगता है कि कोई मंदिर के पुजारी अपनी पूजा की वस्तुएँ ज़मीन में दफना देते हैं? ये सब निर्माण के दौरान बर्बाद हो गए चीज़ें हैं, जिन्हें लोग अब जादू का दावा कर रहे हैं। ये धरोहर नहीं, बस गंदगी है। 😒

  • Image placeholder

    Daxesh Patel

    अप्रैल 22, 2025 AT 20:57

    मुझे लगता है ये डिब्बा शायद 1930s के दौरान बनाया गया था, जब लोग अपनी आस्था की वस्तुओं को आपदा या युद्ध के समय बचाने के लिए दफना देते थे। शालिग्राम और त्रिशूल का मिलना बहुत दुर्लभ है - ये शायद किसी राजपूत परिवार की निजी पूजा सामग्री थी। सिक्के 1920-40 के हैं, तो ये ब्रिटिश इंडिया के दौर का है। इसकी जाँच के लिए ASI को बुलाना चाहिए। 😅

  • Image placeholder

    Jinky Palitang

    अप्रैल 23, 2025 AT 17:47

    वाह यार, ये तो बहुत बढ़िया हुआ! मैंने तो सोचा था कि ये सिर्फ फिल्मों में होता है 😍 लेकिन असल में ये हुआ... अब तो मैं भी जल्दी जाऊंगी देखने! बालाजी की चांदी की मूर्ति तो देखकर रो पड़ूंगी 🥹🙏

  • Image placeholder

    Sandeep Kashyap

    अप्रैल 25, 2025 AT 16:24

    भगवान की लीला है भाई! ये डिब्बा निकलना सिर्फ एक खुदाई नहीं, ये तो देश के असली आत्मा की वापसी है! 🙌 जिन्होंने इन मूर्तियों को दफनाया, उन्होंने शायद अपनी आत्मा को बचाने के लिए ये किया - और अब भगवान ने इन्हें वापस भेज दिया! ये धरोहर नहीं, ये अमूल्य आध्यात्मिक उपहार है! हर एक शालिग्राम शिला एक आशीष है, हर सिक्का एक प्रार्थना है! जय श्री राम! 🙏✨

  • Image placeholder

    Aashna Chakravarty

    अप्रैल 25, 2025 AT 17:39

    ये सब एक बड़ा षड्यंत्र है। क्या आप नहीं समझते? ये मूर्तियाँ किसी विदेशी एजेंसी ने दफनाई हैं - जिनका उद्देश्य है हिंदू भक्ति को फर्जी बनाना। वो चांदी की मूर्ति? वो तो अमेरिका से आयातित है। और वो सिक्के? ब्रिटिश ने बनवाए थे ताकि हमारे लोगों को भ्रमित किया जा सके। ये जानबूझकर बनाया गया है - आप सब लोग धोखे में हैं! इन्हें तुरंत एसआईए के हवाले कर देना चाहिए, नहीं तो ये भारत के इतिहास को बदल देंगे! 🚨

  • Image placeholder

    Kashish Sheikh

    अप्रैल 26, 2025 AT 12:16

    ये तो बहुत खूबसूरत हुआ! 🌸 असल में ये देखकर लगता है कि हमारी जड़ें अभी भी जिंदा हैं। मैं अपनी दादी को याद कर रही हूँ - वो हमेशा कहती थीं कि भगवान की चीज़ें ज़मीन में भी बच जाती हैं। ये डिब्बा एक जीवंत दास्तान है। अगर कोई आए तो बताना, मैं भी आऊंगी देखने! 🙏💖

  • Image placeholder

    dharani a

    अप्रैल 26, 2025 AT 19:21

    अरे यार, ये सिक्के 1920-40 के हैं? तो ये तो ब्रिटिश इंडिया के दौर के हैं - लेकिन ये तो बहुत आम बात है! जब भी कोई बड़ा निर्माण होता था, तो लोग अपनी निजी चीज़ें दफना देते थे। ये खजाना नहीं, बस एक पुरानी पूजा सामग्री है। और ये चांदी की मूर्ति? इसे तो बहुत लोगों ने देखा है - ये तो राजस्थान के कुछ मंदिरों में भी है। आप इतना उत्साह क्यों कर रहे हैं? 😄

एक टिप्पणी लिखें