खातू श्याम मंदिर की खुदाई में अनोखी ध्वनियां और प्राचीन धरोहर का राज
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के सिंगाही खुर्द में श्री बालाजी मंदिर परिसर के खाटू श्याम मंदिर में बीते दिनों जो हुआ, उसने हर किसी को हैरान कर दिया। मंदिर में नई प्रतिमाएं लगाने के लिए जब खुदाई चल रही थी, तो मजदूरों ने अचानक ज़मीन के नीचे से आती रहस्यमयी आवाजें सुनीं। ऐसा अक्सर फिल्मों में देखा जाता है, मगर जब असलियत में मजदूरों ने ज़मीन से आवाज़ें महसूस कीं, तो काम रोक दिया गया और आसपास के लोग जमा हो गए।
पंडित सर्वेश मिश्रा ने खुदाई के उस हिस्से की निगरानी की। गहराई में कुछ खुदाई के बाद वहां से एक छोटा-सा पीतल का डिब्बा निकला। लोग हैरान रह गए – आखिर क्या हो सकता है इस डिब्बे में?

पीतल के डिब्बे में मिली भगवान की प्राचीन मूर्तियां, सिक्के और पूजा की सामग्री
जब डिब्बा खोला गया, तो उसके अंदर की चीज़ें देख हर किसी की आंखें चमक उठीं। इस पीतल के डिब्बे में करीब 100 साल पुरानी भगवान की मूर्तियां मिलीं। इनमें राम दरबार, हनुमान, लक्ष्मी, गणेश और दुर्गा की पीतल की प्रतिमाएं थीं। एक विशेष चीज़ थी – बालाजी की चांदी की प्रतिमा। साथ ही एक छोटी त्रिशूल, पांच गदा, पांच शालिग्राम शिला (जिन्हें भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है) और नौ प्राचीन सिक्के भी थे जिन पर 1920 और 1940 की छपाई थी।
मंदिर में अचानक ही ये सब मिलने से पूरे कस्बे में उत्सुकता की लहर दौड़ गई। लोगों की भीड़ मंदिर में इकट्ठा हो गई। कई लोग मानते हैं कि ऐसी चीजें मंदिरों में वर्षों पहले दान के तौर पर या पूजा संपत्ति की तरह रखी जाती थीं, लेकिन किसने और क्यों रखी – इसके जवाब किसी के पास नहीं थे।
- पीतल का डिब्बा और मूर्तियां
- चांदी की बालाजी प्रतिमा
- तीर्थ चिह्न – शालिग्राम शिला और त्रिशूल
- नौ सिक्के (सन् 1920-1940 के बीच)
जब यह खबर फैली, तो खुदाई का वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो गईं। हर कोई अपनी-अपनी थ्योरी देने लगा। कई लोगों ने इसे शुभ संकेत कहा तो कुछ ने इसे 'खजाने की निशानी' समझ लिया। गांव वाले बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, हर कोई मंदिर पहुंचने लगा।
मामले की जानकारी पुलिस को मिली, तो पुलिस फौरन मौके पर पहुंची। तय नियमों के तहत सभी प्राचीन मूर्तियां और वस्तुएं मंदिर के पुजारी सर्वेश मिश्रा को सौंप दी गईं, ताकि वे उनकी देखरेख में सुरक्षित रहें। बाद में पुजारी ने साफ किया कि ये सभी धरोहरें मंदिर की संपत्ति के रूप में संभाल ली गई हैं और उनकी पूजा-अर्चना जारी रखी जाएगी।
इस घटना ने खाटू श्याम मंदिर को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। मंदिर पहले से ही श्याम बाबा के भक्तों के लिए आस्था का केंद्र रहा है। मगर अब वहां के लोग और दूर-दराज से आने वाले तीर्थयात्री भी इस पुरानी धरोहर को देखने के लिए खिंचे चले आ रहे हैं। ये घटना सिर्फ एक मंदिर की खुदाई की कहानी नहीं है, बल्कि स्थानीय संस्कृति, मान्यताओं और हमारी जड़ों से जुड़ी एक झलक भी पेश करती है।