न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ के संवैधानिक पीठ के ऐतिहासिक फैसले

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ के संवैधानिक पीठ के ऐतिहासिक फैसले

सौरभ शर्मा नवंबर 10 2024 0

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़: भारतीय न्यायपालिका की एक महत्वपूर्ण शख्सियत

भारत की न्यायपालिका का इतिहास बहुत ही समृद्ध है, और इसमें बहुत से ऐसे न्यायाधीश हैं जिन्होंने समय-समय पर अपने फैसलों से सामाजिक और कानूनी मानकों को नया आकार दिया है। इसी क्रम में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ एक विशेष स्थान रखते हैं। नवंबर 2022 में प्रधान न्यायाधीश पद संभालने के बाद से वे अनेक महत्वपूर्ण संवैधानिक और कानूनी मामलों का हिस्सा रहे हैं, जिनके फैसले ने न्यायपालिका में नए मानदंड स्थापित किए हैं।

संवैधानिक पीठ के ऐतिहासिक फैसले

दिल्ली बनाम भारत संघ

11 मई, 2023 को सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और भारत संघ के बीच एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। इस फैसले में यह स्पष्ट किया गया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को प्रशासनिक सेवाओं पर विधायी और कार्यकारी अधिकार प्राप्त हैं, सिवाय उन मामलों के जो सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि से संबंधित हैं। इस फैसले ने दिल्ली सरकार के अधिकारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया और उपराज्यपाल को राष्ट्रीय राजधानी के प्रशासनिक निर्णयों के लिए चुनी गई सरकार के निर्णयों का पालन करने के लिए बाध्य किया गया। इस फैसले में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बहुमत के निर्णय का सांधिकारण किया था।

रेलवे विद्युतीकरण परियोजना विवाद

एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में, सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे विद्युतीकरण और निजी ठेकेदारों के बीच विवादों का निपटारा किया। अदालत ने ऐसी धाराओं को अवैध बताया जो सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों को विवाद उत्पन्न होने पर एकतरफा पंचों की नियुक्ति की अनुमति देती थीं। न्यायालय ने आदेश दिया कि उपक्रम संभावित पंचों की पैनल रख सकते हैं, लेकिन दूसरे पक्ष को उस पैनल से पंच चुनने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इस प्रकरण में भी बहुमत के निर्णय का सांधिकारण किया था।

निजता का अधिकार

2017 में, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने उस नौ-जजों की संवैधानिक पीठ का हिस्सा बनने का सौभाग्य प्राप्त किया जिसने निजता के अधिकार को एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी। अदालत ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता को संरक्षित किया गया है। यह निर्णय नागरिकों की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।

सूचना का अधिकार और प्रधान न्यायाधीश का कार्यालय

2019 में दिए गए एक अन्य अहम फैसले में, सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि भारत के प्रधान न्यायाधीश का कार्यालय भी सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकरण है। इस फैसले ने सरकारी पारदर्शिता और उत्तरदायित्व में बढ़ोतरी की, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण विकसन था।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को 18 संवैधानिक पीठ के फैसलों का हिस्सा बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जिनमें से कई फैसले भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में मील के पत्थर साबित हुए हैं। उन्होंने सात बहुमत निर्णय और दो सहमति निर्णय लिखे हैं, जो उनकी न्यायिक व्याख्या और संवैधानिक सिद्धांतो की गंभीर समझ दर्शाते हैं।

भारतीय लोकतंत्र और न्यायिक प्रणाली पर प्रभाव

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल ने भारतीय न्यायपालिका को नए दृष्टिकोण और विचारधाराओं से समृद्ध किया है। उनके निर्णय भारतीय नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देशक साबित हुए हैं। उनके द्वारा लिए गए निर्णयों ने न केवल संवैधानिक प्रावधानों की गहन व्याख्या की, बल्कि कानूनी सुधार की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के कार्यकाल में जिस प्रकार की विचारशीलता और न्यायिक स्वतंत्रता देखने को मिली, वह आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक है। उनके नेतृत्व में सर्वोच्च न्यायालय ने लोकतांत्रिक मूल्यों को पुनःस्थापित किया और संवैधानिक सिद्धांतों को नए संदर्भ में परिभाषित किया।