नेटफ्लिक्स की 'महाराज' मूवी रिव्यू
नेटफ्लिक्स ने हाल ही में अपनी नई सामाजिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म 'महाराज' रिलीज की है, जो दर्शकों को पुराने समय की कहानियों में ले जाती है। सिद्धार्थ पी मल्होत्रा द्वारा निर्देशित इस फिल्म ने रिलीज होते ही चर्चाओं का बाज़ार गर्म कर दिया है। 'महाराज' फिल्म की कहानी 1850-1900 के बीच की है, जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था और समाज में कई रूढ़िवादी प्रथाएं प्रचलित थीं।
कहानी और मुख्य पात्र
'महाराज' की कहानी गुजरात के वैश्णव समुदाय से जुड़ी है, और इसका मुख्य पात्र है कर्संदास, जो कि एक प्रगतिशील विचारधारा का व्यक्ति है। कर्संदास का किरदार जुनैद खान ने निभाया है। फिल्म में ये दिखाने की कोशिश की गई है कि किस प्रकार कर्संदास समाज में व्याप्त विधवा पुनर्विवाह जैसी रूढ़िवादिता को चुनौती देता है।
दूसरी ओर, फिल्म का एक और महत्वपूर्ण किरदार है जे जे महाराज, जिनका किरदार जदीप अहलावत ने निभाया है। जे जे महाराज खुद को भगवान कृष्ण का वंशज बताते हैं और 'चरन सेवा' नामक प्रथा का लाभ उठाकर अपनी वासना को पूरा करते हैं।
कर्संदास और किशोरी की कहानी
फिल्म में एक दिलचस्प मोड़ तब आता है, जब होली के त्योहार पर कर्संदास की मंगेतर किशोरी को जे जे महाराज द्वारा 'चरन सेवा' के लिए चुना जाता है। किशोरी यह मानती है कि यह एक प्राचीन परंपरा है और अपने आप को इस निष्ठुरी प्रथा के हवाले कर देती है। कर्संदास उसे बचाने की कोशिश करता है, लेकिन किशोरी उसकी बात मानने को तैयार नहीं होती।
किसी तरह, किशोरी को जब सच्चाई का अहसास होता है, तो वह अपनी जिंदगी खत्म कर लेती है। लेकिन मरने से पहले वह कर्संदास को एक अंतिम पत्र लिखती है, जिसमें वह उसे जय महाराज और उनके पापों को उजागर करने की गुजारिश करती है।
फिल्म की दिशा निर्देशन
सिद्धार्थ पी मल्होत्रा ने इस संवेदनशील विषय को बड़े ही प्रभावी और संजीदा तरीके से प्रस्तुत किया है। उनका निर्देशन दर्शकों को प्राचीन काल में खींच ले जाता है और उस समय की रूढ़िवादी प्रथाओं को बारीकि से चित्रित करता है।
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग भी तारीफ के काबिल है। कैमरा वर्क और संपादन ने उस समय के परिवेश को जीवंत बना दिया है और दर्शकों को उस दौर में जाने जैसा अहसास होता है।
अभिनय और प्रदर्शन
फिल्म में सबसे ज्यादा चर्चा का केंद्र जदीप अहलावत का किरदार रहा है। उन्होंने जे जे महाराज के रूप में अपने शानदार अभिनय से सभी का दिल जीत लिया है। जुनैद खान ने भी अपने डेब्यू में एक प्रगतिशील युवा के किरदार को बखूबी निभाया है।
कुल मिलाकर, 'महाराज' एक ऐसी फिल्म है जो न सिर्फ आपको मनोरंजन प्रदान करती है बल्कि आपको सोचने पर मजबूर भी कर देती है। फिल्म की कहानी, अभिनय और निर्देशन सभी ने मिलकर इसे एक बेहतरीन देखने लायक अनुभव बनाया है। यह फिल्म उन दर्शकों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो इतिहास और समाज से जुड़े विषयों में रूचि रखते हैं।
Akul Saini
जून 24, 2024 AT 17:33फिल्म में जे जे महाराज का किरदार एक ऐसा सामाजिक प्रतीक है जिसने धार्मिक आड़ में शक्ति का दुरुपयोग किया। ये व्यवस्था बिल्कुल फीडबैक लूप की तरह काम करती थी - भक्ति का इस्तेमाल नियंत्रण के लिए, और निर्भरता को बनाए रखने के लिए। इसकी व्याख्या फ्रॉइड के 'पितृत्व का अधिकार' के सिद्धांत से भी मेल खाती है।
Arvind Singh Chauhan
जून 25, 2024 AT 00:21किशोरी की आत्महत्या ने मुझे टूट गया।
AAMITESH BANERJEE
जून 25, 2024 AT 10:29मैंने इस फिल्म को दो बार देखा है, और हर बार कुछ नया मिलता है। जदीप अहलावत के चेहरे के अभिव्यक्ति के बारे में तो बस अद्भुत है - उनकी आँखों में एक ऐसा अंधेरा है जो बिना किसी बात के डरा देता है। और जुनैद खान का शांत विरोध भी बहुत सुंदर था। ये फिल्म बस एक कहानी नहीं, एक इतिहास की आवाज़ है।
Akshat Umrao
जून 26, 2024 AT 20:01मैंने फिल्म देखी और रो पड़ा 😢 जे जे महाराज जैसे लोग अभी भी हैं, बस अब वो टीवी पर आते हैं 😡
Sonu Kumar
जून 28, 2024 AT 11:36फिल्म की सिनेमैटोग्राफी - बेहतरीन। लेकिन निर्देशन में एक गंभीर त्रुटि है: वैश्णव समुदाय के संदर्भ में चरन सेवा को इतना विकृत तरीके से प्रस्तुत किया गया है कि यह एक अतिशयोक्ति बन गई है। वास्तविक इतिहास में, इस प्रथा का अस्तित्व भी अत्यंत सीमित था। ये फिल्म अपने अभिनय और विजुअल डिजाइन के बजाय, इतिहास के नाम पर एक नया मिथक बना रही है।
sunil kumar
जून 28, 2024 AT 20:48किशोरी के पत्र का अंतिम भाग फिल्म में दिखाया नहीं गया - लेकिन उसका सार बहुत स्पष्ट था। वह जानती थी कि उसकी मृत्यु से जागृति होगी। यह एक शहीद का संदेश था। और यही वह बिंदु है जहाँ फिल्म एक ड्रामा से बढ़कर एक इतिहासकारी दस्तावेज बन जाती है।
Mahesh Goud
जून 30, 2024 AT 02:29ये सब बकवास है। जे जे महाराज को असली इतिहास में कभी नहीं मिला। ये सब नेटफ्लिक्स का एक बड़ा नाटक है - जिसे बनाया गया है ताकि हिंदू धर्म को बदनाम किया जा सके। और देखो ना, अभी तक कोई वैश्णव अधिकारी ने इसका जवाब नहीं दिया... क्यों? क्योंकि वो खुद जानते हैं कि ये सच है! और अब ये फिल्म दुनिया भर में फैल रही है - ये एक जानबूझकर गड़बड़ है, एक धार्मिक युद्ध का हिस्सा!
Ravi Roopchandsingh
जून 30, 2024 AT 10:20मैंने इस फिल्म को देखा और समझ गया - ये बस एक और बड़ी धोखेबाज़ी है। जे जे महाराज जैसे लोग अभी भी हैं, बस अब वो टीवी पर नहीं, राजनीति में हैं 🙏🔥 और इन्हीं लोगों ने इस फिल्म को बनवाया है ताकि आम आदमी को भ्रमित किया जा सके। जागो भाई, ये सब एक बड़ा राजनीतिक अभियान है।