ईद उल अजहा 2025: तैआरियों से लेकर दावत तक पूरी गाइड
ईद उल अजहा हर साल मुसलमानों के लिए बड़ा त्योहारी दिन रहता है। इस बार की तिथि 10 जुलाई 2025 है, लेकिन उत्सव से पहले कई चीज़ें करनी होती हैं। अगर आप कानपुर में रहते हैं या यहाँ के शरीफ़ लोग हैं, तो इस लेख में आपको शुरुआती तैयारी, खाने‑पीने की रेसिपी और शहर के खास ऑफ़र मिलेंगे।
ईद का महत्व और रोज़मर्रा की बातें
ईद उल अजहा अब्राहिम (इब्राहिम) की अदा के बाद आता है, जब वह अपने बेटे को बलि देने के बजाय एक मेमें को बलि दिया गया। इस दिन लोग नज़र-ए‑क़ुबला (ईद की नमाज़) पढ़ते हैं, फिर घर-घर से बकरियों या भेड़ियों की क़ुरबानी करके माँस बांटते हैं। सबसे अहम बात है कि ज़रूरतमंदों में बाँटना, इसलिए दान (इख़ी) को प्राथमिकता दें।
नज़र-ए‑क़ुबला के बाद दो‑तीन घंटे के भीतर दावत शुरू होती है। दावत में माँस के साथ साथ हलवा, समोसा, कबाब, सलाद और मिठाई जैसे शीरिंफ़ मिलते हैं। घर में या पिकनिक में भी लोग इसे मनाते हैं।
कानपुर में ईद के खास ऑफ़र और कार्यक्रम
कानपुर में ईद के चक्रव्यूह में कई जगहें अपना शॉपिंग मेला लगाती हैं। बाजारों में बकरी और भेड़ की कीमतें आमतौर पर 10‑15 % कम रहती हैं, इसलिए अभी से बुकिंग करा लें। बड़े सुपर‑मार्केट और मॉल में ईद‑स्पेशल पैक वाले कुरकुरे नौडल, कच्ची पनीर और ताहिनी के साथ किफ़ायती दावत का सेट मिलता है।
अगर आप खाने के शौकीन हैं, तो शहर के प्रसिद्ध रेस्टोरेंट ‘आवर स्टेशन’ और ‘शकुंतला’ में ईद‑स्पेशल बकरियों के कबाब और हरे धनिये की राइस देरी के साथ बुफे मिलते हैं। इनके पास अग्रिम बुकिंग पर 20 % तक डिस्काउंट भी है।
धार्मिक कार्यक्रम भी खूब होते हैं। वार्षिक ईद-उल-अजहा जामा मस्जिद में बड़ी प्रार्थना होती है, जहाँ से बाद में इंसाफ़ी दौड़ और बच्चों के लिए लॉटरी का आयोजन भी होता है। इन इवेंट्स में भाग लेकर आप नई दोस्ती बना सकते हैं और त्योहारी माहौल को और भी मज़ेदार बना सकते हैं।
भोजन की तैयारी में समय बचाने के लिए कुछ आसान रेसिपी याद रख लें। बकरियों का स्टू बनाते समय बारीक कटा हुआ लहसुन, जीरा पाउडर और दही मिलाएँ, फिर धीमी आँच पर 45 मिनट पकाएँ। हर्बल मारिनेड में नींबू और काली मिर्च डालें और 2‑3 घंटे फ्रिज में रख दें – इससे माँस नरम और स्वादिष्ट बनता है।
अगर आप शाकाहारी या वेजिटेरियन हैं, तो दाल‑मटरी, पालक‑पनीर या चने की टिक्की को मीट‑डिश के साथ परोस सकते हैं। साइड डिश में हरी चटनी और पुदीने का रायत्ता हमेशा हिट रहता है।
ईद के बाद बचे हुए माँस को फ्रीज में रखकर आप अगले दो‑तीन दिन तक विभिन्न व्यंजनों में प्रयोग कर सकते हैं – जैसे बकरी का बर्गर, कबाब रोल या सूप। इससे खाना बर्बाद नहीं होता और बजट भी बचता है।
अंत में, अगर आप यात्रा करने की सोच रहे हैं, तो कानपुर के आस‑पास के धार्मिक स्थल – बताबा, काकरी मीठा और कापिल टॉप पर भी ईद‑स्पेशल मेन्यू मिलते हैं। इन जगहों पर छोटी‑छोटी पिकनिक करके आप परिवार के साथ खास यादें बना सकते हैं।
तो तैयार हो जाइए, बकरी चुनिए, मेन्यू प्लान कीजिए और कानपुर में ईद उल अजहा को पूरी दिल‑से मनाइए। शुभ ईद!