कॉर्पोरेट गवर्नेंस: समझें कंपनी प्रशासन के मूल सिद्धांत
कॉर्पोरेट गवर्नेंस का मतलब है कंपनी कैसे चलती है, कौन निर्णय लेता है और उन निर्णयों की जवाबदेही कैसे तय होती है। अगर आप शेयरधारक हैं या किसी बड़ी कंपनी में काम करते हैं, तो इस बात को समझना ज़रूरी है कि बोर्ड, प्रबंधन और निवेशकों के बीच सही संतुलन कैसे बनता है।
बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की भूमिका
बोर्ड कंपनी की रणनीति तय करता है, बड़ी ख़रीद‑फ़रोख्त को मंज़ूरी देता है और जोखिम को नियंत्रित करता है। बोर्ड में स्वतंत्र डायरेक्टर्स का होना ज़रूरी है, क्योंकि वे बाहरी नजरिये से कंपनी को देखते हैं और प्रबंधन की निगरानी करते हैं। अगर बोर्ड में विविधता नहीं है—जैसे उम्र, अनुभव या लिंग में अंतर—तो निर्णय एकसमान हो सकते हैं और गलतियां बढ़ सकती हैं।
शेयरधारक अधिकार और पारदर्शिता
शेयरधारकों को कंपनी की आर्थिक स्थिति, बोर्ड की बैठकों के मिनट और बड़े निर्णयों की जानकारी समय‑पर मिलनी चाहिए। यह पारदर्शिता निवेशकों का भरोसा बनाती है। भारत में SEBI ने कई नियम बनाकर कंपनियों को बताया है कि वे सालाना रिपोर्ट, ऑडिट रिपोर्ट और ESG (पर्यावरण, सामाजिक और गवर्नेंस) जानकारी सार्वजनिक करें। Hexaware Technologies के IPO में निवेशकों को अलॉटमेंट स्टेटस चेक करने की सुविधा देनी एक पारदर्शी कदम था।
गवर्नेंस की अच्छी प्रैक्टिसेज सिर्फ बड़ी कंपनियों तक सीमित नहीं हैं। छोटे या मिड‑कैप कंपनी भी अपने बोर्ड में प्रोफेशनल इंडिपेंडेंट का शामिल करके जोखिम कम कर सकती है। इसके अलावा, शेयरधारकों को AGMs में सवाल पूछने का अधिकार है और कंपनी को उनका जवाब देना अनिवार्य है।
एक और अहम बात है एथिकल कोड। कंपनी के अंदर धोखाधड़ी, रिश्वत या insider trading जैसी बुरी प्रैक्टिसेज को रोकने के लिए स्पष्ट नियम और सख्त दंड जरूरी हैं। अगर कोई उल्लंघन होता है, तो तुरंत जांच और सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए।
अंत में, गवर्नेंस सिर्फ नियमों का संग्रह नहीं, बल्कि कंपनी की संस्कृति भी है। जब शीर्ष प्रबंधन निष्पक्षता और जवाबदेही को अपनाता है, तो पूरे संगठन में वही भावनाओं का प्रभाव पड़ता है। इससे कर्मचारियों की मोटिवेशन बढ़ती है, ग्राहक भरोसा रखते हैं और निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिलता है।
तो संक्षेप में, कॉर्पोरेट गवर्नेंस का मतलब है सही बोर्ड, स्पष्ट शेयरधारक अधिकार, पारदर्शी रिपोर्टिंग और मजबूत एथिकल मानदंड। इन सारे पहलुओं को संतुलित रखने से ही कंपनी स्थायी रूप से बढ़ सकती है और निवेशकों का भरोसा कायम रहता है।