झारखंड के प्रशासन ने रांची बंद के समर्थकों को सख्त चेतावनी दी है। प्रशासन ने कहा है कि जो लोग सार्वजनिक व्यवस्था में खलल डालेंगे या कानून का उल्लंघन करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। रांची के आदिवासी समूहों ने 22 मार्च 2025 को सरना स्थल के पास एक फ्लाइओवर निर्माण का विरोध करते हुए 18 घंटे का बंद आयोजित किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सड़कों को अवरुद्ध कर दिया, जिससे सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ।
यह विवादित फ्लाइओवर परियोजना अगस्त 2022 में शुरू की गई थी, जिसकी लागत ₹340 करोड़ है। इसका उद्देश्य सिरम टोली से मेकन को 2.34 किलोमीटर लंबे रोड के माध्यम से जोड़ना है। परंतु, ट्राइबल समूहों का आरोप है कि यह परियोजना उनके धार्मिक स्थल के पास अवरोध उत्पन्न करती है, जिससे धर्मस्थल की पवित्रता को खतरा है, खासकर सरहुल उत्सव के दौरान।
प्रदर्शनकारियों ने तितला चौक और कांके चौक जैसी मुख्य सड़कों पर यातायात अवरुद्ध कर दिया और टायर जलाए। उन्होंने मांग की है कि सिरम टोली में बनाए जा रहे रैम्प को हटाया जाए, क्योंकि उनसे मानते हैं कि इससे सरना स्थल की ओर जाने वाले रास्ते में अवरोध उत्पन्न होता है।
स्थिति के मद्देनजर, अधिकारियों ने सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया है और लोगों से अनुरोध किया है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करें। प्रशासन ने सभी सार्वजनिक सेवाओं और गणमान्य व्यक्तियों की आवाजाही बाधित न होने देने पर जोर दिया है। आदिवासी संगठनों ने इसके पूर्व दिन 21 मार्च को मशाल जलूस भी निकाला था, जिसे उन्होंने सरकार द्वारा उनकी चिंताओं की अनदेखी के रूप में देखा।
Aayush ladha
मार्च 24, 2025 AT 03:25ये आदिवासी लोग हमेशा धर्म का नाम लेकर बंद करते हैं पर असल में बिजनेस और भूमि के लिए लड़ रहे होते हैं। जब तक सरकार नहीं टालेगी, तब तक ये चलता रहेगा। कानून तोड़ने वालों को गिरफ्तार करो, बात बनाने की जरूरत नहीं।
Rahul Rock
मार्च 24, 2025 AT 22:34मैं इस बात से सहमत हूँ कि विकास जरूरी है, लेकिन जब एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्थल को खतरा हो रहा हो, तो उसकी सुनवाई न करना अहंकार है। ये फ्लाइओवर नहीं, ये विश्वास है जिसे तोड़ा जा रहा है। हम इतिहास को भूल रहे हैं और बस बेहतर सड़कों की तलाश में हैं।
हमारे पास तकनीक है, हमारे पास विकल्प हैं। रास्ता बदल सकते हैं, लेकिन जो लोग इस जमीन के साथ जुड़े हुए हैं, उनकी आत्मा को नहीं बदल सकते।
ये बंद नहीं, ये एक आवाज है जो बहुत दिनों से दबी हुई है। अगर हम इसे नहीं सुनेंगे, तो अगली बार ये आग में बदल जाएगी।
सरकार को बातचीत का रास्ता चुनना चाहिए, न कि डर का।
मैं नहीं मानता कि विकास और संस्कृति आपस में लड़ते हैं। वो दोनों साथ चल सकते हैं, बस इच्छा होनी चाहिए।
क्या हम सच में इतने अहंकारी हो गए हैं कि एक छोटे से रैम्प को बदलकर भी अपनी जमीन नहीं छोड़ सकते?
हमारे पूर्वजों ने ये जमीन नहीं, ये विश्वास छोड़ा है। उसे तोड़ना आज का अपराध है।
हम सब इस देश के हिस्से हैं, लेकिन क्या हम सबके लिए बराबर जगह बना सकते हैं?
मैं ये नहीं कह रहा कि फ्लाइओवर नहीं बनेगा। मैं कह रहा हूँ कि उसे बनाने का तरीका बदल दिया जाए।
हम इतने तेज़ दौड़ रहे हैं कि अपने रास्ते के बीच बैठे इंसानों को भूल गए।
क्या हमारा भविष्य इतना अकेला होना चाहिए?
एक रास्ता बदलो, एक विश्वास नहीं।
ये सिर्फ एक फ्लाइओवर नहीं, ये हमारी आत्मा का परीक्षण है।
Annapurna Bhongir
मार्च 26, 2025 AT 20:01PRATIKHYA SWAIN
मार्च 26, 2025 AT 23:52MAYANK PRAKASH
मार्च 28, 2025 AT 22:21अन्नपूर्णा भॉंगिर की बात सही है। लेकिन अय्यूष की तरह बस कानून लागू करने से कोई समस्या नहीं हल होगी।
ये बंद एक चेतावनी है। एक चिंता का बहाना नहीं।
हम तो सोचते हैं कि आदिवासी लोग पिछड़े हैं, लेकिन वो जानते हैं कि उनकी जमीन क्या है।
हमने उनके लिए क्या किया? क्या हमने उनकी भाषा बचाने की कोशिश की? क्या हमने उनके उत्सवों को सम्मान दिया?
नहीं। हमने उनकी जमीन ले ली, उनके वन काट दिए, अब फ्लाइओवर बना रहे हैं।
हम उन्हें बेवकूफ समझते हैं।
लेकिन जब वो आवाज उठाते हैं, तो हम उन्हें अपराधी बना देते हैं।
सरकार को एक समिति बनानी चाहिए - आदिवासी लीडर्स, इंजीनियर्स, धार्मिक नेता, और नागरिक।
एक साथ बैठकर एक ऐसा रूट निकालना चाहिए जो न तो विकास को रोके और न ही विश्वास को।
हम अपने आप को आधुनिक समझते हैं। लेकिन आधुनिकता वो नहीं जो सड़क बनाती है। आधुनिकता वो है जो समझती है कि किसी का विश्वास भी एक रास्ता है।
इस बार बातचीत करो। नहीं तो अगली बार ये बंद आग बन जाएगा।