राष्ट्रीय जलवायु‑भौतिकीय भविष्यवाणी केंद्र का परिचय

जब हम राष्ट्रीय जलवायु‑भौतिकीय भविष्यवाणी केंद्र, भारत सरकार द्वारा स्थापित एक संस्थान जो वायुमंडलीय डेटा, जलवायु मॉडल और भौतिकीय प्रक्रियाओं को एक साथ जोड़कर सटीक मौसम एवं जलवायु पूर्वानुमान तैयार करता है, जलवायु भविष्यवाणी केंद्र का ज़िक्र करते हैं, तो सबसे पहले दिमाग में ‘क्यों इतना महत्त्वपूर्ण है?’ सवाल आता है। वास्तविकता यह है कि यह केंद्र तीन मुख्य घटकों को जोड़ता है: (1) विस्तृत मौसम विज्ञान, वायुमंडलीय घटनाओं का अध्ययन और उनका पूर्वानुमान, (2) जलवायु परिवर्तन, दीर्घकालिक जलवायु पैटर्न में बदलाव और उसके सामाजिक‑आर्थिक असर, और (3) भौतिकीय मॉडलिंग, गणितीय सिद्धांतों पर आधारित कंप्यूटेशनल मॉडल जो हवा, जल, भूमि‑सतह के बीच की जटिल अंतःक्रिया को सिमुलेट करते हैं। ये तीनों एक‑दूसरे को पूरक करते हुए केंद्र को ‘सूचना‑संकलन‑विश्लेषण‑भविष्यवाणी’ के चक्र में काम करने में मदद करते हैं। यही कारण है कि अक्टूबर‑2025 के भारी बारिश और बवण्डर जैसे आपदाओं के पूर्व चेतावनी संकेत अक्सर इस केंद्र के मॉडल से निकलते हैं, जिससे प्रशासनिक प्रतिक्रियाएँ तेज़ हो पाती हैं।

केंद्र के प्रमुख कार्य और उनका दैनिक जीवन से जुड़ाव

पहला कार्य है डेटा संग्रहण—सैटेलाइट, मौसम स्टेशन और समुद्र स्तर के सेंसर से निरंतर डेटा खींचना। इससे वायुमंडलीय निगरानी, वायु‑दाब, तापमान, नमी, वायु‑प्रवाह आदि की रीयल‑टाइम जानकारी संभव होती है। दूसरा कार्य है पूर्वानुमान मॉडल विकास, भौतिकीय समीकरणों को कंप्यूटर पर चलाकर अगले 10‑30 दिनों की मौसम स्थितियों का अनुमान लगाना। इन मॉडलों में ‘एनएसएफ‑सीआरए’ (NSF‑CRA) जैसे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी शामिल होते हैं, जिससे भारत की भौगोलिक विविधता को ध्यान में रखकर लोकल‑स्केल परिणाम मिलते हैं। तीसरा काम है जोखिम मूल्यांकन और सूचना प्रसारण, आगमन‑वर्षा‑बाढ़‑तूफ़ान जैसी खतरनाक घटनाओं की संभावना को गणितीय रूप से व्यक्त करके सरकारी एजेंसियों, कृषि क्षेत्रों और सामान्य जनता को समय पर चेतावनी देना। इस प्रक्रिया में ‘स्मार्ट‑एग्रीकल्चर’ ऐप्स, सोशल मीडिया बॉट्स और राज्य‑स्तर के मौसम पोर्टल का प्रयोग होता है, जिससे किसान जल‑सिंचाई, फसल सिचाई‑समय या बचाव‑क्रियाओं को बेहतर ढंग से योजना बना सकें।

इन सेवाओं के फलस्वरूप मिलने वाले लाभ रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कई रूपों में दिखते हैं। उदाहरण के तौर पर, उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर, ऊर्जा‑खपत को रीयल‑टाइम मॉनिटर करने वाली तकनीक, जलवायु‑मॉडल द्वारा भविष्यवाणी किए गए तापमान के अनुसार स्वचालित रूप से ऊर्जा‑बचत मोड में बदल जाती है। इसी तरह, दार्जिलिंग‑नेपाली सीमा क्षेत्र में बवण्डर‑बारिश की भविष्यवाणी से पहले ही राहत दलों ने आवश्यक सामग्री तैयार कर रखी, जिससे मृत्यू दर घट गई। इन कहानियों से स्पष्ट है कि राष्ट्रीय जलवायु‑भौतिकीय भविष्यवाणी केंद्र न सिर्फ वैज्ञानिक अनुसंधान का केन्द्र है, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा, कृषि उत्पादन और ऊर्जा बचत में प्रत्यक्ष योगदान देता है। अब आप नीचे दर्शाए गए लेखों में इस केंद्र के विभिन्न पहलुओं—डेटा संग्रह, मॉडलिंग, नीति‑निर्धारण और सामाजिक‑आधारित उपयोग—को विस्तृत रूप से पढ़ सकते हैं। इस संग्रह को पढ़कर आप समझ पाएँगे कि कैसे विज्ञान, तकनीक और प्रशासन एक साथ मिलकर हमारे देश की जलवायु चुनौतियों का समाधान तैयार कर रहे हैं।

तूफ़ान मातमो ने चीन के ग्वांग्शी में लैंडफॉल किया, उत्तरी वियतनाम में भारी बारिश

7.10.2025

तूफ़ान मातमो ने 6 अक्टूबर को चीन के ग्वांग्शी में लैंडफॉल किया, उत्तरी वियतनाम में भारी बारिश और समुद्री प्रतिबंध लगे, राष्ट्रीय जलवायु‑भौतिकीय भविष्यवाणी केंद्र ने लेवल 3 की आपदा चेतावनी जारी की।