वित्त विधेयक 2025 – क्या बदल रहा है?
हर साल संसद में वित्त विधेयक पारित होता है और वो देश की आर्थिक दिशा तय करता है। 2025 का बजट विशेष रूप से कई बदलावों पर फोकस करता है – कर में छूट, बड़ी सरकारी परियोजनाओं की फंडिंग और कई नई पॉलिसी इम्प्लीमेंटेशन। अगर आप जानना चाहते हैं कि ये बदलाव आपके रोज़मर्रा के खर्च, टैक्स या निवेश को कैसे असर करेंगे, तो पढ़ते रहिए।
मुख्य प्रावधान और कर में बदलाव
वित्त विधेयक में सबसे बड़ी बात कर सुधार है। इस साल व्यक्तिगत आयकर स्लैब को थोड़ा ऊपर ले जाया गया है, जिससे 7 लाख तक की कमाई पर टैक्स नहीं लगेगा। सार्थक निवेश पर 25% टैक्स छूट दी गई है, जैसे कि पेंशन फ़ंड, स्टॉक्स और म्यूचुअल फंड। छोटे व्यवसायों के लिए एक नया रेज़िडेंशियल टैक्स रिव्यू भी पेश किया गया है, जिससे छोटे उद्यमियों को रिविन्यू जनरेट करने में मदद मिलेगी।
साथ ही, कस्टम ड्यूटी में कुछ बदलाव हुए हैं। इलेक्ट्रॉनिक सामान पर 10% की कटौती की गई है, जबकि लक्ज़री कारों पर 5% अतिरिक्त ड्यूटी लगाई गई है। ये कदम आयात को प्रोत्साहित करने और साथ ही देशी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हैं।
आम जनता पर प्रभाव और तैयारियां
इन बदलावों का असर आम आदमी की जेब पर भी पड़ेगा। टैक्स छूट से मिडल क्लास परिवारों की बचत बढ़ेगी, और आरटीओ (रिच ट्रीटमेंट ऑफ़ ऑर्टर्स) के तहत सस्ती स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लॉन्च की गई है। इससे स्वास्थ्य खर्च में हल्का महसूस होगा।
सरकार ने डिजिटल भुगतान को और आसान बनाने के लिए नई ऐप्स और पेमेंट गेटवे की घोषणा की है। अब छोटे व्यापारियों को बैंक खाता खोलने की जरूरत नहीं, सीधे QR कोड से लेन‑देन हो सकेगा। इस कदम से कर्ज़े में कमी और लेन‑देन की पारदर्शिता दोनों बढ़ेंगी।
अगर आप निवेश करने की सोच रहे हैं, तो मंदी के दौरान स्टॉक्स में एंट्री करने से पहले इस बजट की रुख़ को समझें। नई टैक्स छूट का फायदा उठाने के लिए पेंशन प्लान या एलएलपी में फंड डालें – रिटर्न बेहतर मिलने की संभावनाएँ हैं।
सामाजिक सुरक्षा भी इस बजट में शामिल है। वृद्धावस्था पेंशन में 10% की बढ़ोतरी की गई है, और ग्रामीण क्षेत्रों में सॉलर पैनल के लिए सब्सिडी भी बढ़ाई गई है। ये पहलें ऊर्जा संरक्षण और डायरेक्ट बेनीफ़िट्स को मिलाकर लोगों की जीवनशैली को सुधारने के लिए हैं।
अंत में, यह कहना सही रहेगा कि वित्त विधेयक सिर्फ काग़ज़ पर नहीं रह जाता। इसकी हर एक धारा आपके कर रिटर्न, निवेश, या सरकारी सेवाओं से जुड़ी होती है। इसलिए, इसे समझना और उसके अनुसार योजना बनाना जरूरी है।
यदि आप अभी भी उलझन में हैं, तो टेक्स्ट‑फाइनेंशियल काउंसलर से मिलें या ऑनलाइन टूल्स का उपयोग करके अपना टैक्स कैलकुलेटर चलाएँ। थोड़ी सी तैयारी से आप बजट के फायदों को ज्यादा से ज्यादा हासिल कर सकते हैं।