भीमसेनी एकादशी – शिवभक्तों का खास दिन
अगर आप हिंदू कैलेंडर देख रहे हैं तो एकादशी के कई नाम मिलेंगे। उनमे से एक है भीमसेनी एकादशी। यह दिन शिवार्तियों में खास माना जाता है क्योंकि यह भीमसेन, काली के बड़े साये, की कहानी से जुड़ा है। लोग इस दिन भजन, कथा और उपवास के साथ भगवान शिव को याद करते हैं।
भीमसेनी एकादशी का इतिहास
पुराणों में कहा गया है कि महाकाल के पाँचवें रूप में से एक ‘भीमसेन’ है। उनका नाम सुनते ही शक्ति, धैर्य और रक्षा की भावना आती है। एकादशी के दिन, जब चंद्रमा अमावस के करीब होता है, तो शिवजी का अंधकार से प्रकाश की ओर परिवर्तन दर्शाया जाता है। भीमसेन की कथा इस परिवर्तन को और भी रोचक बनाती है। कहा जाता है कि भीमसेन ने महाकाल की परीक्षा में अपना साहस दिखाया और अंत में उसे अमरता मिल गई। इस कहानी को सुनकर भक्त अपने अंदर की अड़चनें दूर करने की प्रेरणा लेते हैं।
व्रत और पूजा के तरीके
व्रत रखने के लिए सबसे आसान तरीका है रात का उपवास। शाम को स्नान करके साफ कपड़े पहनें, सोने से पहले हल्का हलवा या फल खाएँ और फिर पूरी रात पानी या फल रस के अलावा कुछ न खाएँ। सुबह में उठते ही भगवान शिव को जल, चन्दन और फूल अर्पित करें। अगर आपके पास बेलपत्र या बेल के पत्ते हों तो उन्हें भी जल में डाल दें, ऐसा माना जाता है कि इससे व्रत के फल जल्दी मिलते हैं।
पूजा के दौरान अगर आप सभा में जा सकते हैं तो नज़रें जुटा कर ‘भीमसेनी कथा’ सुनें। कई मंदिरों में इस दिन विशेष ‘भीमसेन शनि’ या ‘भीमसेन पाठ’ का आयोजन किया जाता है। यदि नहीं जा सकते, तो घर पर भी कोई छोटा कार्यक्रम रख सकते हैं – एक घंटे में शिवलिंग को जल छिड़कें, अग्नि में दो या तीन पंक्तियों में ‘ॐ नमः शिवाय’ जपें और अंत में दानों में फल या मिठाई दे दें।
भक्तों का मानना है कि इस एकादशी पर रखे गए व्रत का फल जल्दी मिलता है। कुछ लोग कहते हैं कि उनका व्यापार बढ़ जाता है, कुछ को स्वास्थ्य में सुधार दिखता है, और कई को मानसिक शांति मिलती है। व्यक्तिगत अनुभव अलग‑अलग होते हैं, लेकिन एक चीज़ स्पष्ट है – अगर मन से किया जाए तो व्रत का असर ज़रूर महसूस होता है।
सामाजिक पहलू भी कभी‑कभी छूट नहीं जाता। गांव‑शहर के कई समूह एक साथ मिलकर ‘भीमसेनी धूप’ तैयार करते हैं और लोग एक-दूसरे के घरों में जाकर बाँटते हैं। इससे न सिर्फ भक्ति में बढ़ोतरी होती है, बल्कि सामाजिक एकता भी मजबूत होती है।
अगर आप पहली बार रख रहे हैं तो यह याद रखें: रूटीन बनाना आसान नहीं, पर लगातार कोशिश करने से ही फर्क पड़ता है। अगर गलती हो, तो अगले साल फिर से कोशिश करें। महाकाल हमेशा आपके साथ है, और भीमसेन की शक्ति हमेशा आपका समर्थन करती है।
तो इस भीमसेनी एकादशी को एक नई शुरुआत के रूप में देखें। आसान से शुरू करें, छोटे‑छोटे कदम उठाएँ और देखें कैसे आपका जीवन धीरे‑धीरे बेहतर होता है। शुभ व्रत और शुभकामनाएँ!