C-295 विमान: सब कुछ जो आपको जानना चाहिए

अगर आप विमान प्रेमी हैं या एयरलिफ्ट के बारे में सोचना पसंद करते हैं, तो C-295 नाम सुनते ही दिमाग में छोटा टर्बो‑प्रॉप ट्रांसपोर्टर झलकता है। ये विमान एयरबस द्वारा बनवाया गया है, दो‑इंजन वाला, और खासकर मध्यम दूरी की लॉजिस्टिक्स के लिए तैयार किया गया है। बिना ज्यादा इकोनॉमी का नुकसान किए, ये काफी लोड दे सकता है और रनवे की लंबाई भी कम चाहिए।

तकनीकी स्पेसिफिकेशन – क्या है C-295 की ताकत?

C-295 में दो PW127‑E टर्बो‑प्रॉप इंजन लगे होते हैं, जो 2,500 किलोमीटर तक की रेंज देता है। पेलोड क्षमता 9 टन तक है, यानी सोने‑चाँदी की कार्गो या सैनिक वन्यजीव भी आराम से ले जा सकते हैं। क्रू ऑकेपन्सी सिर्फ 3 या 4 लोग रखते हैं, जिससे कॉकपिट कम भीड़भाड़ वाला रहता है। टेक्निकल तौर पर यह 23 °C तक के तापमान में भी बिना समस्या काम करता है, इसलिए गर्मी वाले देशों में भी भरोसेमंद है।

भारतीय सेना में C-295 – क्यों चुना गया?

भारतीय वायु सेना ने C-295 को कई कारणों से अपनाया। सबसे पहला, इसमें रिवर्स थ्रस्ट सिस्टम है, जिससे लैंडिंग में ब्रेकिंग आसान हो जाती है, खासकर छोटे एयरफ़ील्ड में। दूसरा, यह हाई‑एंड ट्रांसपोर्ट मिशन जैसे मेडिकल इवैक्यूएशन, एम्बुलेंस और टैक्टिकल रिफ्यूल में मदद करता है। भारत ने इस मॉडल की 10 युनिट पहले ही खरीदी थी, और आगे कई और ऑर्डर की योजना है।

वास्तव में, C-295 ने स्नैप-इंस्टॉल्ड डिलीवरी सिस्टम से हेलीकॉप्टर रूट को कम किया, क्योंकि अब सामान सीधे छोटे हवाई अड्डे तक पहुंचता है। इससे बचत सिर्फ समय ही नहीं, बल्कि फ्यूल और ऑपरेशनल खर्च में भी आती है।

सेवा में रख‑रखाव की बात करें तो, एयरबस ने भारत में स्थानीय पार्ट्स सप्लाई चेन सेट कर दी है। इससे स्पेयर पार्ट्स की डिलीवरी में दिन नहीं बल्कि घंटे लगते हैं। इन्जीनियरिंग टीम को भी ट्रेनिंग मिलती है, इसलिए डाउनटाइम बहुत कम रहता है।

अगर आप निजी या कमर्शियल ऑपरेटर हैं और C-295 खरीदने का सोच रहे हैं, तो फाइनेंसिंग विकल्प भी आसान हैं। अधिकतर लेसिंग कंपनियां इस मॉडल को किफायती टर्म पर देती हैं। साथ में एरोनॉटिकल सर्विस पैकेज भी मिल जाता है – जैसा कि एयरबस के ग्रुप में आम है।

जिन्हें इस विमान के अंदरूनी लेआउट का अंदाज़ा चाहिए, वो जान लें कि फ्यूज़लेटेड सेक्शन है, जिसे तुरंत कन्फ़िगर किया जा सकता है – कार्गो, ट्रैवेलर या मेडिकली इक्विप्ड वैन में। सीटिंग सिस्टम फोल्ड‑एंड‑फ़्लैट करता है, इसलिए बड़े पैकेज भी आसानी से लोड हो जाते हैं।

सुरक्षा की दलील पर, C-295 में फ़्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम (FMS) और एंटी‑कोलिशन रडार है। यह पायलट को नजदीकी ट्रैफ़िक और मौसम की स्थिति से अपडेट रखता है। इस कारण दुर्घटना का जोखिम बहुत घट जाता है।

संक्षेप में, अगर आपको एक भरोसेमंद, लचीला और कम लागत वाला ट्रांसपोर्ट विमान चाहिए, तो C-295 एक बढ़िया विकल्प है। चाहे आप सेना हों, लॉजिस्टिक कंपनी या निजी कॉर्पोरेट, इस मॉडल की कई खूबियां आपके काम को आसान बनाती हैं। आगे की जानकारी, डेमो फ्लाइट या प्राइस क्वोट के लिए एयरबस के स्थानीय डीलर से संपर्क करें।

भारत के निजी रक्षा विनिर्माण में मील का पत्थर: टाटा-एयरबस C-295 परियोजना का व्यापक अवलोकन

29.10.2024

टाटा और एयरबस की C-295 परियोजना भारत के निजी रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस परियोजना में भारतीय वायु सेना के लिए 40 C-295 विमानों का निर्माण शामिल है, जिसमें से 24 विमान भारत में बनाए जाएंगे। यह पहल 'मेक इन इंडिया' पहल को बढ़ावा देती है और 10,000 नौकरियों का निर्माण करेगी, साथ ही भारत में आपूर्तिकर्ता पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को समर्थन देगी।