एकादशी पर्व: महत्व, रीत‑रिवाज़ और स्वास्थ्य टिप्स

एकादशी हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष में आती है, यानी हर दो‑सो हफ़्ते में एक बार। इसे उपवास, प्रार्थना और आध्यात्मिकता से मनाया जाता है। भारतीय घरों में यह दिन खास माना जाता है क्योंकि यह मन और शरीर दोनों को साफ़ रखने में मदद करता है।

एकादशी के मुख्य प्रकार

हर एकादशी का अपना नाम और कथा है। कुछ सबसे लोकप्रिय हैं:

  • शयनी एकादशी – गर्मियों में आती है, शरीर को ठंडक देती है।
  • प्रभात एकादशी – शरद ऋतु में मन को शांति देती है।
  • निजा एकादशी – वसंत में आती है, दमन और कष्ट दूर करती है।

इनका महत्व अलग-अलग कथाओं से जुड़ा है, पर सभी का एक ही उद्देश्य है – आत्मा को शुद्ध करना और ऊर्जा को पुनः भरना।

एकादशी व्रत के सही नियम

व्रत रखने वाले अक्सर पूछते हैं कि क्या खा‑पीना चाहिए। सबसे आसान नियम है – दिन भर पानी, फल, दूध, दही और नट्स ही रखें। घी, तेल, शक्कर और नमक वाले खाने से बचें। अगर आप कामकाज में व्यस्त हैं, तो सुबह जल्दी उठकर हल्का उपवास करें, फिर दोपहर तक फल या सूखे मेवे खा सकते हैं।

पूजा के लिए एक छोटा सा ग्‍रुत्रोत्र अथवा गणेश जी की कृपा लेते हुए कथा सुनना फायदेमंद है। घर में साफ‑सुथरा वातावरण रखें, दीपक जलाएँ और कुछ समय ध्यान या प्राणायाम करें। यह मन को शांत करता है और व्रत का असर बढ़ाता है।

यदि आप पहली बार एकादशी रख रहे हैं, तो हल्का फलों का रस या नारियल पानी पी सकते हैं। धीरे‑धीरे आपका शरीर इस बदलाव को एडजस्ट कर लेगा और आपको ऊर्जा में अलग बदलाव महसूस होगा।

एकादशी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह शरीर में जमा टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है। कई लोग कहते हैं कि एकादशी के बाद पाचन बेहतर हो जाता है, वजन में हल्की कमी आती है और त्वचा चमकती है। वैज्ञानिक भी यह मानते हैं कि उपवास से इंसुलिन लेवल स्थिर रहता है और मोटापा कम होता है।

तो फिर, इस महीने की एकादशी को कैसे खास बनायें? सबसे पहले, अपने घर की साफ‑सफाई कर लें, फिर डाली हुई मूर्ति या चित्र के सामने एक छोटा पजामा रख कर पूजा करें। कुछ लोग भजन या कीर्तन के साथ अपना मनोबल बढ़ा लेते हैं – आप भी कोशिश कर सकते हैं।

एकादशी को सिर्फ उपवास नहीं, बल्कि एक नई ऊर्जा के साथ शुरुआत मानें। अगर आप रोज़मर्रा की रूटीन में थकान या तनाव महसूस करते हैं, तो एकादशी व्रत आपके लिए रीसेट बटन जैसा काम कर सकता है। बस सही समय पर उठें, हल्का उपवास रखें और मन को शांति दें।

अंत में याद रखें, एकादशी हर महीने दो बार आती है, इसलिए आप कभी भी इस पवित्र दिन को मिस नहीं कर सकते। अपने परिवार के साथ मिलकर इस पर्व को मनाएँ, इसे अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक अवसर बनाएं।

निर्जला एकादशी 2024: महत्व, तिथि और शुभ मुहूर्त

17.06.2024

निर्जला एकादशी, जिसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को मनाई जाती है। 2024 में, निर्जला एकादशी 17 जून को पड़ेगी। यह एकादशी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यह सभी पापों का नाश करती है और मोक्ष का मार्ग प्रदान करती है। इस दिन भक्तगण आहार और जल का त्याग करते हैं और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं।