HIV संक्रमण क्या है और कैसे बचें?

HIV, यानी मानव इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस, एक ऐसा वायरस है जो हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है। अगर समय पर इलाज नहीं किया गया तो एचडी (एड्स) तक पहुँच सकता है। लेकिन अब सही जानकारी और इलाज से लोग पूरी तरह सामान्य जीवन जी सकते हैं।

एचआईवी के लक्षण और टेस्ट

शुरुआती हफ्तों में अक्सर कोई खास लक्षण नहीं दिखते। कभी‑कभी बुखार, थका हुआ महसूस होना, गले में दर्द या फीलिंगस जैसे हलके‑फूलके लक्षण होते हैं, लेकिन ये आम सर्दी‑जुकाम जैसे भी लग सकते हैं। इसलिए अगर आप जोखिम वाली स्थिति में रहे हैं, तो तुरंत टेस्ट कराना बेहतर है।

एचआईवी टेस्ट करना आसान है। सेरेमिक रक्त, लहू या द्रवण (स्लाइड) से नॉट किया जाता है। कई बार टेस्ट के बाद दो हफ्ते में परिणाम मिलते हैं, लेकिन अब तेज़ टेस्ट से 20‑30 मिनट में पता चल जाता है। याद रखिए, टेस्टिंग गोपनीयता के साथ होती है, आपकी पहचान नहीं बताई जाती।

एचआईवी का इलाज और जीवन

यदि टेस्ट पॉज़िटिव आया, तो डरने की जरूरत नहीं। एंटीरेट्रोवायरल थैरेपी (ART) नाम की दवाएँ वायरस को नियंत्रित कर देती हैं। दवा लेनी होती है दिन में एक बार, और डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए। नियमित चेक‑अप और दवा की पटी पर चलना ज़रूरी है, तभी वायरस को दबाया जा सकेगा।

आहार, व्यायाम और मानसिक स्वास्थ्य भी महत्वपूर्ण हैं। ताज़ा फल‑सब्जी, पर्याप्त नींद और तनाव कम करने के तरीके अपनाएं। परिवार और दोस्तों का समर्थन भी बहुत मददगार होता है।

रोकथाम के लिए सबसे असरदार तरीका है कंडोम का सही इस्तेमाल, सुरक्षित सुईयों का उपयोग और वैक्सीन (अगर उपलब्ध हो) लेना। अगर किसी को एचआईवी है, तो भी वह सुरक्षित सेक्स कर सकता है, बस दवा ठीक से ले और वायरस लोड कम रख।

समाज में एचआईवी को लेकर अक्सर गलतफहमी रहती है। याद रखिए, एचआईवी कोई кримिनल या सामाजिक बुरा नहीं है, यह सिर्फ एक बीमारी है जिसे हम समझदारी से मैनेज कर सकते हैं। अगर आप या आपका कोई परिचित एचआईवी से प्रभावित है, तो डॉक्टर से मिलें, सही जानकारी लें और खुद को या दूसरों को बचाने के लिए सचेत रहें।

त्रिपुरा में HIV संक्रमण संकट: 828 छात्रों में संक्रमण, 47 की मौत

9.07.2024

त्रिपुरा में छात्रों के बीच एक गंभीर HIV संकट की रिपोर्ट आई है। त्रिपुरा स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी (TSACS) के अनुसार, 828 छात्रों का HIV परीक्षण पॉजिटिव निकला है, जिसमें 47 की मौत हो चुकी है। इनमें से अधिकांश मामलों में छात्रों का नशीली दवाओं के इंजेक्शन के माध्यम से संक्रमित होना पाया गया है।