त्रिपुरा में HIV संक्रमण संकट: 828 छात्रों में संक्रमण, 47 की मौत

त्रिपुरा में HIV संक्रमण संकट: 828 छात्रों में संक्रमण, 47 की मौत

Anmol Shrestha जुलाई 9 2024 13

त्रिपुरा में HIV संक्रमण संकट: छात्रों पर बढ़ता खतरा

त्रिपुरा में छात्रों के बीच HIV संक्रमण की खतरनाक स्थिति लगातार बढ़ती जा रही है। त्रिपुरा स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी (TSACS) द्वारा की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, 828 छात्रों का HIV परीक्षण पॉजिटिव पाया गया है, और इसमें से 47 छात्रों की मौत हो चुकी है। इस गंभीर स्थिति ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग और समाज में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।

संक्रमण के मुख्य कारण

इस संक्रमण के पीछे जो सबसे बड़ा कारण सामने आया है, वह है छात्रों का नशीली दवाओं के प्रति बढ़ता झुकाव। रिपोर्ट में यह पाया गया कि अधिकतर मामले उन परिवारों से हैं जो आर्थिक रूप से समृद्ध हैं। यहां के बच्चे इंजेक्शन के माध्यम से नशीली दवाएं लेते हैं, जिससे HIV संक्रमण का खतरा बहुत बढ़ जाता है।

शैक्षणिक संस्थानों में संक्रमण का प्रसार

TSACS ने 220 स्कूलों और 24 कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रों के बीच नशीली दवाओं के उपयोग की पहचान की है। इस समस्या का असर न केवल व्यक्तिगत स्तर पर हो रहा है बल्कि शिक्षण संस्थानों के माहौल पर भी पड़ता है। शिक्षण संस्थान अब न केवल शिक्षा केंद्र हैं, बल्कि स्वास्थ्य उपचार और निवारण के मुख्य केंद्र बन गए हैं।

स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति पर नजर डालें तो पता चलता है कि 164 स्वास्थ्य सुविधाओं से डेटा इकट्ठा किया गया है। इन सुविधाओं ने राज्य के लगभग सभी ब्लॉकों और उपखंडों को कवर किया है, जिससे यह स्थिति स्पष्ट हो जाती है कि HIV संक्रमण राज्य के हर कोने में फैला हुआ है।

ART सेंटर्स में पंजीकरण

मई 2024 तक, 8,729 लोग एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) केंद्रों में पंजीकृत हैं, जिनमें से 5,674 अभी भी जीवित हैं। इन संक्रमित लोगों में 4,570 पुरुष, 1,103 महिलाएं, और एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति शामिल है। इस बात को समझना महत्वपूर्ण है कि ART उपचार का महत्व और उपयोग कितना व्यापक और महत्वपूर्ण है।

राज्य सरकार और समाज की भूमिका

राज्य सरकार और समाज को मिलकर इस संकट को समझना और इससे निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाना आवश्यक है। स्कूलों और कॉलेजों में HIV और नशीली दवाओं के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाना आवश्यक है। इसके साथ ही, नशा मुक्ति और चिकित्सा सुविधाओं की स्थिति को मजबूत करने की जरूरत है ताकि अधिक से अधिक लोग समय रहते इसका लाभ उठा सकें।

इस गंभीर HIV संकट ने त्रिपुरा को गंभीर चुनौती दी है। यह समय है कि राज्य सरकार और समाज मिलकर इसका मुकाबला करें और छात्रों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए ठोस कदम उठाएं।

13 टिप्पणि

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    nidhi heda

    जुलाई 10, 2024 AT 04:40
    ये सब क्या हो रहा है भाई... 😭 बच्चे इंजेक्शन लगवा रहे हैं और फिर मर रहे हैं... मेरी बहन का बेटा भी उसी स्कूल में पढ़ता है, अब मैं रात को सो नहीं पाती... 🥺
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    DINESH BAJAJ

    जुलाई 10, 2024 AT 12:21
    ये सब बस नशे का बहाना है। असली समस्या ये है कि लोग अब स्कूलों में बच्चों को शिक्षा नहीं, बल्कि सेक्स एजुकेशन दे रहे हैं। इससे पहले घर में माता-पिता का रोल क्यों नहीं सुधारा जाता?
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    Rohit Raina

    जुलाई 11, 2024 AT 05:36
    अगर नशा और HIV का संबंध है, तो फिर देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसा होना चाहिए। लेकिन त्रिपुरा में ये इतना तेज़ क्यों? क्या ये सिर्फ नशे की बात है या कुछ और भी है?
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    Prasad Dhumane

    जुलाई 12, 2024 AT 05:36
    मुझे लगता है कि ये समस्या बहुआयामी है। नशा तो लक्षण है, असली बीमारी तो असमानता है। अमीर परिवारों के बच्चे जिन्हें कुछ नहीं करने को कहा जाता है, वो इंजेक्शन से अपनी बोरियत मिटाते हैं। और फिर स्वास्थ्य सिस्टम उन्हें बचाने की जगह डराता है। ये तो एक बंद चक्र है।
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    rajesh gorai

    जुलाई 12, 2024 AT 14:41
    लोकेशनल डायनामिक्स के अनुसार, ये एक डिसर्प्शन इन नॉर्म्स का परिणाम है। जब सोशल कैपिटल का वितरण असमान होता है, तो युवाओं में एक्सिस्टेंशियल वैक्यूम पैदा हो जाता है। इंजेक्शन उनका एक डिस्टोर्टेड फॉर्म ऑफ सेल्फ-एक्सप्रेशन है। और फिर... वायरस उस वैक्यूम को पूरा कर देता है। 🤯
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    Rampravesh Singh

    जुलाई 14, 2024 AT 01:46
    हमें इस आपातकाल को आपातकाल के रूप में घोषित करना चाहिए। तुरंत एक राष्ट्रीय अभियान शुरू किया जाना चाहिए। छात्रों के लिए नशा मुक्ति केंद्र, मनोवैज्ञानिक सहायता, और स्वास्थ्य शिक्षा के साथ एक जागरूकता अभियान चलाया जाए। ये नहीं तो भविष्य खो जाएगा।
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    Akul Saini

    जुलाई 14, 2024 AT 05:48
    डेटा देखने पर ये बात साफ है कि ART सेंटर्स की कवरेज अच्छी है, लेकिन डिटेक्शन रेट कम है। यानी ज्यादा लोग जानते भी नहीं कि वो संक्रमित हैं। इसका मतलब है कि प्रीवेंशन और स्क्रीनिंग की सिस्टमैटिक फेलियर हुई है। इसे फिक्स करना होगा, न कि भावनाओं से बातें करना।
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    Arvind Singh Chauhan

    जुलाई 15, 2024 AT 06:05
    क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब किसके लिए है? नशा नहीं, न तो HIV... ये सब उन लोगों के लिए है जो इस बात को बड़ा बनाना चाहते हैं। फंडिंग, प्रोजेक्ट्स, टीवी डॉक्यूमेंट्रीज... बच्चों की मौतें बस एक नंबर हैं। और जब नंबर बढ़ जाते हैं, तो वो खुश हो जाते हैं।
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    AAMITESH BANERJEE

    जुलाई 15, 2024 AT 15:06
    मैंने त्रिपुरा के एक टीचर से बात की थी। उन्होंने कहा कि स्कूल में बच्चे अब एक दूसरे के साथ इंजेक्टेबल्स शेयर करते हैं, और कोई नहीं बोलता। इसकी वजह ये है कि बच्चे डरते हैं कि अगर वो बोलेंगे तो उन्हें निकाल दिया जाएगा। ये सिस्टम बच्चों को अकेला छोड़ देता है। हमें उन्हें सुनना होगा, न कि डांटना।
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    Akshat Umrao

    जुलाई 16, 2024 AT 05:19
    बहुत दुखद है... 😔 अगर हम बच्चों को बस एक बार अपनी ज़िंदगी के बारे में सोचने का मौका दें, तो शायद ये सब न होता। नशा तो बस एक भाग भागने का तरीका है।
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    Sonu Kumar

    जुलाई 16, 2024 AT 22:33
    क्या आपने कभी ये जांचा है कि इन सभी रिपोर्ट्स के पीछे कौन है? कौन संगठन है जो इसे प्रकाशित कर रहा है? क्या ये सब एक ग्लोबल फार्मास्यूटिकल कंपनी की गतिविधि नहीं है? एक बार जब आप नशा के जरिए HIV फैलाते हैं, तो फिर ART दवाएं बेचना आसान हो जाता है... और फिर ये चक्र चलता रहता है।
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    sunil kumar

    जुलाई 17, 2024 AT 08:26
    इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिन बच्चों को ये संक्रमण हुआ है, उनके लिए जीवन अब एक अनुमति के बराबर है। उन्हें न सिर्फ दवाएं चाहिए, बल्कि समाज की स्वीकृति भी। डिस्क्रिमिनेशन के बिना, इलाज अधूरा है।
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    Mahesh Goud

    जुलाई 18, 2024 AT 09:02
    मैंने एक रिपोर्ट पढ़ी थी जिसमें कहा गया था कि ये सब चीन के लोगों ने शुरू किया है ताकि भारत के युवा नष्ट हो जाएं। वो नशे के लिए खास इंजेक्शन भेज रहे हैं जिनमें HIV का वायरस छिपा होता है... और फिर वो इलाज की दवाएं बेच रहे हैं। ये एक जानलेवा योजना है। किसी ने इसकी जांच तो की है? क्या सरकार सिर्फ बैठी है? 🤔

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