नवरात्रि पूजा कैसे करें – स्टेप बाय स्टेप गाइड

नवरात्रि हर साल शरद ऋतु में आती है और माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का समय होता है। अगर आप पहली बार नवरात्रि पूजा करने वाले हैं या सही तरीके से नहीं कर पाए तो यह लेख आपके लिए है। हम इसे आसान भाषा में तोड़‑तोड़े के समझेंगे, ताकि आप बिना किसी उलझन के पावन जलसा कर सकें।

नवरात्रि की तिथियां और महत्व

नवरात्रि आम तौर पर अष्टमी से नवमी तक चलता है, जो शरद महीने के शुक्ल पक्ष में आती है। 2025 में नवरात्रि 1 अक्टूबर (शरद अष्टमी) से 9 अक्टूबर (शरद नवमी) तक रहेगी। इस दौरान माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, खराता, कूष्मांडा, स्कंद मातरम् आदि की पूजा की जाती है। हर दिन का अपना रंग, कंगन और कथा‑सत्र होता है।

घर में नवरात्रि पूजा की तैयारी

1. पूजन की जगह साफ‑सुथरी रखें। एक छोटी सी थाली या पजाम (पूजन थाली) में मिट्टी या धूप की थाली रखें। 2. माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र को प्रमुख स्थान पर रखें, और उसके सामने लाल, पीले और हरे रंग के कपड़े बिछाएँ। 3. पंचधातु के बर्तन, धूप, अगरबत्ती, फूल, फल, मीठा (जैसे शकरा), और नारियल रखें। 4. सात दिन के लिए रोज़ एक नया पिचकार (रुचि) बनाते रहें – चावल, मूंग दाल, आलू के पकोड़े आदि। 5. एक छोटा जलाशय या कलश रखें, जिसमें पानी को साफ़ रखकर टिंबुर (कुंड) में रखें। यह माँ को शुद्ध जल अर्पित करने में मदद करेगा।

पूजन के दौरान ध्यान रखें कि आप शुद्ध मन और शरीर से ही आगे बढ़ें। सुबह स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र पहनें और बीच‑बीच में प्रार्थना में फोकस रखें।

नवरात्रि के प्रत्येक दिन की पूजा विधि

पहला दिन (शैलपुत्री): माँ को लाल वस्त्र धुल्ला देकर, लाल फूल अर्पित करें। सात फेरों में धूप जलाकर प्रसाद वितरित करें। दूसरा दिन (ब्रह्मचारिणी): माँ को सफ़ेद वस्त्र और शंख अर्पित करें। हल्दी और मोती की माला पहना कर मंत्र पढ़ें। तीसरा दिन (खरात्): काली वस्त्र और काली लिची के फूल। अँधेरे को दूर करने के लिए दीप जलाएँ। चौथा दिन (कुश्मांडा): पीले वस्त्र और पीले फूल। मीठी कचोरी या लड्डू अर्पित करें। पाँचवा दिन (स्कंद): हरे वस्त्र और हरे पत्ते। हरी चटनी या दही के साथ प्रसाद दो। छठा दिन (सत्त्व): सफ़ेद वस्त्र, कमल के फूल, शुद्ध शहद। शब्बत एवं शांति के मंत्र पढ़ें। सातवाँ दिन (अनुष्ठान): बहु‑वर्णीय वस्त्र, विविध फूल। सारे सात रूपों को एक साथ समर्पित करें, और अंत में 'ओं जयराम' का जप करें। अष्टमी (दुर्गा अष्टमी): विशेष रूप से माँ दुर्गा को अष्टमी पर जलते हुए दीपक अर्पित करें। ‘दुर्गा स्तुति’ पढ़ें, फिर प्रसाद वितरित करें। नवमी (विजया तिथी): इस दिन माँ को ‘विजया’ का ताज पहनाकर, विजय मंत्र का जप करें। सभी संकल्प समाप्त करके दान‑विचार रखें।

पूजा के बाद हमेशा प्रसाद को अपने परिवार में बाँटें। यह सामुदायिक भावना को बढ़ाता है और माँ की कृपा को घर में लाता है।

आरामदायक नवरात्रि टिप्स

• रोज़ सुबह 6 बजे उठें, यह समय शरीर और मन को ताज़ा रखता है। • जल का सेवन बढ़ाएँ – कम से कम 2 लीटर पानी पिएँ। यह पाचन और शक्ति को बढ़ाता है। • यदि काम‑काज में व्यस्त हैं, तो 15‑20 मिनट की छोटी‑छोटी पूजा को भी जीवन में शामिल करें। • बच्चों को साथ ले जाकर कथा सुनाएँ, इससे उनका मन भी जुड़ा रहेगा। • अंत में, नवरात्रि समाप्ति पर एक छोटा समापन समारोह रखें – जैसे घर में साफ‑सफ़ाई और दान‑धर्म।

नवरात्रि पूजन केवल अनुष्ठान नहीं, बल्कि माँ दुर्गा के साथ एक अंतरंग जुड़ाव है। सही तैयारी, सरल विधि और सतत् उत्साह से आप इस पावन अवसर को दिल से मान सकते हैं।祝नवऋतुराजत्वम्!

नवरात्रि का पाँचवाँ दिन: माँ स्कंदमाता की पूजा विधि, मंत्र और प्रसाद

23.09.2025

नवरात्रि के पाँचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा में विशेष विधि, रंग और प्रसाद होते हैं। इस दिन के मंत्र, फास्टिंग नियम और तैयारियों को जानिए। माँ स्कंदमाता का विष्णु‑सिद्धी, बालजोतिष और वैर‑निवारण पर प्रभाव भी समझें। पूजा में पहना जाने वाला पीला‑सफ़ेद वस्त्र और घर की सजावट का महत्व बताया गया है।