निर्जला एकादशी का महत्व और कैसे रखें व्रत

निर्जला एकादशी हर वर्ष फाल्गुण महीने में आती है, जब लोग जल‑विहीन व्रत रखते हैं। पानी नहीं पीते, लेकिन फल‑सब्जी, दूध‑दही जैसे हल्के भोजन से दिन गुजारते हैं। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और आध्यात्मिक शुद्धि का समय माना जाता है। अगर आप पहले कभी नहीं रखे तो डरने की जरूरत नहीं, बस कुछ आसान नियम याद रखिए।

निर्जला एकादशी का इतिहास

कहानी कहती है कि द्रौपदी ने इस एकादशी को अपनी पांडव बहन के लिये जल‑विहीन रखी थी। तभी से इसे "निर्जला" यानी ‘बिना जल के’ कहा गया। पुराणों में बताया गया है कि इस दिन विष्णु भगवान अपने भक्तों को शुद्धि प्रदान करते हैं, इसलिए उपवास करने से मन‑शरीर दोनों में ऊर्जा बढ़ती है। कई लोग इसे अपने जीवन में नई शुरुआत की तरह देखते हैं – वजन घटाना चाहें या मन की शांति, यह दिन मदद कर सकता है।

व्रत रखने का सही तरीका

1. **उठते ही पानी न पीएँ** – सुबह उठते ही नहाएँ, लेकिन पिचकारी या टब में थोड़ा पानी रखें, फिर तुरंत न पीकर स्नान कर लें। 2. **संकल्प लें** – मन में ठान लें कि आप पूरे दिन जल‑विहीन रहेंगे। यह मानसिक तैयारी आपके व्रत को सफल बनाती है। 3. **भोजन के समय** – दोपहर और शाम को फल, फलियों का सूप, दही, घी‑की‑रोटी आदि खाएँ। हल्का और पोषक रखें, ताकि शरीर को ऊर्जा मिले। 4. **ध्यान और पूजा** – दिन में दो बार भगवान विष्णु की पूजा करें, गीता पढ़ें या मंत्र ‘ॐ नमो विष्णवे’ जपें। यह मन को स्थिर रखता है और व्रत को आध्यात्मिक बनाता है। 5. **रात में हल्का नाश्ता** – सोने से पहले हल्का खजूर या सूखा मेवा खा सकते हैं, लेकिन फिर भी पानी न पिएँ।

अगर आप पानी नहीं पी सकते तो डॉक्टर से परामर्श लें, खासकर बुजुर्ग या बीमार लोग। कुछ लोग एकाग्रता बढ़ाने के लिए इमली का रस हल्का लेकर पीते हैं, लेकिन यह भी सीमित मात्रा में रखें।

व्रत के बाद शाम को जब पानी पीना हो, तो पहले थोड़ा मिठा पानी, फिर धीरे‑धीरे सामान्य पानी पिएँ। इससे पेट पर हल्का असर नहीं पड़ेगा।

कानपुर में कई मंदिर इस दिन विशेष कार्यक्रम रखते हैं। अगर आप स्थानीय हों तो इन कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं – समूह में पूजा करने से ऊर्जा दो गुना होती है। अक्सर मंदिर में पंडित भाग्य‑व्रत का हर ढंग से वर्णन करते हैं, जिससे आप घर पर भी वही कर सकें।

निर्जला एकादशी के बाद आप खुद को हल्का‑फुल्का महसूस करेंगे, शरीर की डिटॉक्स प्रक्रिया तेज़ होगी और मन में शांति का अनुभव होगा। इसे एक बार जरूर आज़माइए, फिर देखिए कैसे आपका जीवन थोड़ा बदल जाता है।

निर्जला एकादशी 2024: महत्व, तिथि और शुभ मुहूर्त

17.06.2024

निर्जला एकादशी, जिसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को मनाई जाती है। 2024 में, निर्जला एकादशी 17 जून को पड़ेगी। यह एकादशी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यह सभी पापों का नाश करती है और मोक्ष का मार्ग प्रदान करती है। इस दिन भक्तगण आहार और जल का त्याग करते हैं और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं।