छठ पूजा के बाद बिहार में चक्रवात 'मोंठा' की बारिश, 6 जिलों में लालचेतावनी

छठ पूजा के बाद बिहार में चक्रवात 'मोंठा' की बारिश, 6 जिलों में लालचेतावनी

Anmol Shrestha अक्तूबर 28 2025 12

छठ पूजा के तीन दिनों में बिहार के लाखों भक्त नदियों के किनारे अर्घ्य देने के लिए जुटे, लेकिन जब उनकी आँखें सूरज की पहली किरणों की ओर घूमीं, तो उन्हें पता चला कि खुशहाली के बाद एक भारी मौसमी तूफान आ रहा है। छठ पूजा 2025 26 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक चली, जिसके दौरान बिहार के अधिकांश हिस्सों में सूखा मौसम रहा। पटना में 24 अक्टूबर को अधिकतम तापमान 33.8 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि मोतीहरी में यह आंकड़ा 34.5 डिग्री तक पहुँचा। लेकिन जैसे ही उषा अर्घ्य का समय आया — 28 अक्टूबर की सुबह 6:30 बजे — वहीं से शुरू हुआ एक अन्य अध्याय।

छठ के बाद मौसम का अचानक बदलाव

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (भारतीय मौसम विज्ञान विभाग) ने छठ के तीन दिनों के बाद एक भयानक बदलाव की चेतावनी जारी की। चक्रवात 'मोंठा' बंगाल की खाड़ी में बन रहा है, और इसका प्रभाव 28 अक्टूबर के बाद से बिहार और झारखंड पर पड़ने लगा। विभाग के अनुसार, 29 अक्टूबर को बैंका, जामुई, कैमूर, भागलपुर, नालंदा और मुंगेर जिलों में भारी बारिश की संभावना है। इन जिलों के लिए पीली चेतावनी जारी की गई है।

ये जिले गंगा के तट पर स्थित हैं — जहाँ छठ के दौरान लाखों भक्त अर्घ्य देते हैं। अब यही जगहें बाढ़ के खतरे के केंद्र बन सकती हैं। विभाग ने बताया कि 29 अक्टूबर को बारिश की मात्रा 70-100 मिमी तक पहुँच सकती है, जो एक दिन में औसत मासिक बारिश के आधे से ज्यादा है। उत्तरी बिहार में बिजली की चमक की भी चेतावनी जारी की गई है।

छठ के दौरान मौसम कैसा रहा?

छठ के तीन दिनों में मौसम लगभग आदर्श रहा। पटना में अधिकतम तापमान 33.8 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम 19.5 डिग्री सेल्सियस रहा। सुबह को धुंध और शाम को हल्का बादल रहा, लेकिन कोई बारिश नहीं। दिल्ली-एनसीआर में भी तापमान 30-31 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा, रात को 17-18 डिग्री। वहाँ बारिश का कोई अनुमान नहीं था — जब तक 28 अक्टूबर नहीं हो गया।

इस दौरान एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) दिल्ली के द्वारका और लोढ़ी रोड में 217-280 के बीच रहा। चंदनी चौक और अनंद विहार में यह आंकड़ा 400 तक पहुँचा — जो बहुत खराब है। लेकिन एक अच्छी बात यह रही कि पिछले 24 घंटों में हल्की हवाएँ आईं, जिससे थोड़ा सुधार हुआ।

क्या होगा अगले कुछ दिनों में?

क्या होगा अगले कुछ दिनों में?

28 अक्टूबर के बाद, जब लोग अपने तीन दिनों का उपवास तोड़ रहे होंगे, तब बारिश की शुरुआत होगी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों का कहना है कि चक्रवात 'मोंठा' अपने अधिकतम तीव्रता के साथ 29-30 अक्टूबर को ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तट पर टकराएगा। लेकिन बिहार और झारखंड भी इसके बाहरी चक्र में फंस जाएंगे।

बारिश के अलावा, तापमान में भी तेजी से गिरावट आएगी। अगले दो दिनों में 2-4 डिग्री सेल्सियस का गिरावट देखा जा सकता है। यह ठंड ‘गुलाबी ठंड’ के नाम से जानी जाती है — जब तापमान कम होता है, लेकिन हवा नम रहती है, जिससे ठंड और भी बर्बर लगती है। ये ठंड बिहार के गाँवों में बुजुर्गों और बच्चों के लिए खतरनाक हो सकती है।

मॉरीशस में छठ: एक अंतरराष्ट्रीय त्योहार

बिहार के बाहर भी छठ का जश्न मनाया जा रहा है। मॉरीशस के पोर्ट लुइस में, जहाँ आबादी का लगभग दो-तिहाई उत्तरी भारत से आबाद है, 27 अक्टूबर को संध्या अर्घ्य के लिए हजारों लोग औद्योगिक बंदरगाह के किनारे जुटे। उन्होंने बिना किसी आधिकारिक सुविधा के, सिर्फ दीये और गन्ने की छींटों से अस्थायी घाट बना लिए। यहाँ छठ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पहचान है।

क्या अगले सप्ताह तक ठंड आएगी?

क्या अगले सप्ताह तक ठंड आएगी?

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, असली सर्दी का आगमन नवंबर के पहले या दूसरे सप्ताह में होगा। लेकिन अभी तक जो ठंड आ रही है, वह बारिश और चक्रवात के कारण आ रही है — न कि शीतकालीन दबाव के कारण। इसलिए यह ठंड अस्थायी है, लेकिन इसका असर ज्यादा है। खेतों में अभी भी खरीफ की फसलें हैं, और अचानक बारिश उन्हें नुकसान पहुँचा सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

छठ पूजा के दौरान बिहार में मौसम कैसा रहा?

छठ पूजा के तीन दिनों (26-28 अक्टूबर) में बिहार में आमतौर पर सूखा मौसम रहा। पटना में अधिकतम तापमान 33.8°C और मोतीहरी में 34.5°C दर्ज किया गया। सुबह धुंध और शाम को हल्का बादल रहा, लेकिन कोई बारिश नहीं हुई। दिल्ली-एनसीआर में भी तापमान 30-31°C के बीच रहा और बारिश की कोई संभावना नहीं थी।

चक्रवात 'मोंठा' किन जिलों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा?

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने 29 अक्टूबर को बैंका, जामुई, कैमूर, भागलपुर, नालंदा और मुंगेर जिलों के लिए पीली चेतावनी जारी की है। ये सभी जिले गंगा के तट पर स्थित हैं और छठ के दौरान अर्घ्य देने के लिए लोकप्रिय हैं। यहाँ 70-100 मिमी तक भारी बारिश की संभावना है, जिससे बाढ़ और बिजली की चमक का खतरा है।

छठ के बाद तापमान में क्या बदलाव आएगा?

28 अक्टूबर के बाद, अगले दो दिनों में तापमान 2-4 डिग्री सेल्सियस गिरने की उम्मीद है। इसे 'गुलाबी ठंड' कहा जाता है — जब नमी अधिक होती है और ठंड त्वचा पर ज्यादा बर्बर लगती है। यह विशेष रूप से बुजुर्गों, बच्चों और बाहरी काम करने वालों के लिए जोखिम भरा है।

दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता कैसी है?

24 अक्टूबर को दिल्ली के द्वारका और लोढ़ी रोड में एक्यूआई 217-280 के बीच रहा, जो 'अनुमेय' से ऊपर है। चंदनी चौक और अनंद विहार में यह 280-400 तक पहुँचा — जो 'खराब' श्रेणी में आता है। हल्की हवाओं के कारण थोड़ा सुधार हुआ, लेकिन अभी भी वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है।

मॉरीशस में छठ क्यों इतना महत्वपूर्ण है?

मॉरीशस की आबादी का लगभग दो-तिहाई हिस्सा उत्तरी भारत के उत्तर प्रदेश और बिहार से आबाद है। वहाँ छठ केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान और परिवारों का एकीकरण का तरीका है। लोग बंदरगाहों पर अस्थायी घाट बनाकर दीये जलाते हैं — यह एक अनौपचारिक, लेकिन गहरा सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है।

असली सर्दी कब आएगी?

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, असली शीतकालीन ठंड नवंबर के पहले या दूसरे सप्ताह में आएगी, जब उत्तरी भारत में उच्च दबाव का प्रभाव बढ़ेगा। अभी की ठंड चक्रवात 'मोंठा' के कारण आ रही है, जो अस्थायी है। लेकिन इसके कारण खेतों में फसलों को नुकसान हो सकता है, और बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

12 टिप्पणि

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    Kashish Sheikh

    अक्तूबर 28, 2025 AT 22:05

    छठ के बाद ये मौसम का बदलाव तो दिल को छू गया 😢
    लाखों भक्त नदी किनारे अर्घ्य दे चुके थे, अब बारिश और बाढ़ का डर... भगवान इन सबकी रक्षा करें।
    मॉरीशस में भी छठ मनाई जा रही है - ये तो भारत की सांस्कृतिक शक्ति का प्रमाण है 🙏

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    dharani a

    अक्तूबर 30, 2025 AT 11:21

    ये चक्रवात 'मोंठा' का नाम तो बिल्कुल अजीब है - मोंठा? जैसे कोई मोंगोलियन राजा हो 😅
    पर सच बताऊं तो भारतीय मौसम विभाग ने बिल्कुल सही चेतावनी दी है। 70-100mm बारिश एक दिन में? ये तो नालंदा और भागलपुर में तो बस जाएगा।
    और हाँ, गुलाबी ठंड वाली बात सच है - नमी के साथ ठंड तो जिंदगी भर याद रह जाती है।

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    Vinaya Pillai

    अक्तूबर 31, 2025 AT 15:36

    अरे भाई, ये सब तो पहले से जाना जा रहा था।
    किसने कहा कि छठ के बाद मौसम अच्छा रहेगा? हमारे गाँव में तो दादी कहती हैं - 'छठ के बाद बादल आए, तो भगवान ने अर्घ्य ले लिया'।
    पर आजकल के वैज्ञानिक तो बस डेटा देखकर चेतावनी देते हैं - बिना दिल के।
    हमारे पूर्वजों के अनुभव भी क्या नहीं गिने जाते? 😒

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    mahesh krishnan

    अक्तूबर 31, 2025 AT 22:08

    ये बारिश तो बहुत बुरी बात है।
    छठ के दिन तो सूरज निकला, अब बारिश।
    किसी ने बताया था ना कि छठ के बाद बारिश होती है? लोग भूल गए।
    अब बाढ़ होगी, बिजली जाएगी, बच्चे बीमार होंगे।
    सब तो तैयार नहीं हैं।

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    Deepti Chadda

    नवंबर 2, 2025 AT 07:41

    इस चक्रवात को नाम देकर दुश्मन बना दिया गया है 🤬
    मोंठा? ये तो बंगाल की खाड़ी का अपना बच्चा है।
    हमारे भक्तों ने छठ के अर्घ्य से बादल भी भगा दिए - अब ये आ गया? ये तो अपमान है।
    हमें अपने देश की शक्ति पर भरोसा करना चाहिए। 🇮🇳🔥

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    Anjali Sati

    नवंबर 4, 2025 AT 06:33

    मौसम विभाग की चेतावनी से पहले भी तो लोग नदी किनारे जमा हो गए।
    बारिश होगी तो होगी।
    कोई बात नहीं।
    सब तो जानते हैं।
    बस फिर से एक रिपोर्ट बन गई।

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    Preeti Bathla

    नवंबर 5, 2025 AT 21:04

    अरे यार, ये तो बस एक अच्छा अवसर है कि हम अपने देश की असुरक्षा दिखाएं।
    क्या हुआ जब लाखों लोग नदी किनारे खड़े हुए? कोई तैयारी नहीं।
    कोई अस्थायी शिविर नहीं।
    कोई बचाव योजना नहीं।
    अब बारिश आ गई - तो अब विभाग को बताना पड़ रहा है।
    ये तो सिस्टम की बर्बादी है।
    और फिर भी लोग छठ के लिए बहुत खुश हैं।
    क्या आप जानते हैं ये खुशी का भुगतान कितना महंगा है? 😔

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    Aayush ladha

    नवंबर 5, 2025 AT 22:36

    छठ के बाद बारिश? तो क्या गलत है?
    क्या बारिश होनी ही चाहिए? क्यों?
    अगर बारिश न होती तो तुम भी कहते - 'मौसम बदल गया, अब गर्मी बरकरार है'।
    तो फिर अब बारिश हो गई तो फिर भी शिकायत?
    ये तो बस एक चक्र है।
    तुम लोग तो हमेशा कुछ न कुछ ढूंढते रहते हो।

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    Rahul Rock

    नवंबर 6, 2025 AT 02:01

    छठ और चक्रवात दोनों ही भारत के अनूठे अनुभव हैं।
    एक तो आध्यात्मिक अर्घ्य, दूसरा प्रकृति का अनुग्रह।
    हम इन दोनों को अलग नहीं देख सकते।
    क्या भगवान की पूजा के बाद प्रकृति का बदलाव अचानक होना असंभव है?
    शायद ये एक संकेत है - धर्म और प्रकृति का सामंजस्य।
    हमें बस इसे समझना है, न कि डरना।
    और न ही इसे राजनीति बनाना।
    ये तो एक अद्भुत बात है - जब लाखों लोग एक साथ शांति से प्रार्थना करते हैं, तो प्रकृति भी उनके साथ आ जाती है।
    ये तो विज्ञान नहीं, अनुभव है।

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    Annapurna Bhongir

    नवंबर 7, 2025 AT 03:53

    बारिश आ गई।
    अब क्या होगा।
    कोई बात नहीं।

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    PRATIKHYA SWAIN

    नवंबर 8, 2025 AT 07:40

    सब ठीक होगा।
    बारिश आएगी, फिर ठंड आएगी।
    लोग संभाल लेंगे।
    धैर्य रखो।

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    MAYANK PRAKASH

    नवंबर 9, 2025 AT 20:29

    मॉरीशस में छठ का जश्न देखकर लगा जैसे हमारी जड़ें दुनिया भर में फैली हैं।
    वहाँ लोगों ने बिना सरकारी सहायता के दीये जलाए।
    ये तो वास्तविक सांस्कृतिक शक्ति है।
    हमारे यहाँ तो बारिश की चेतावनी पर भी घबरा जाते हैं।
    वहाँ तो दुनिया के दूसरे कोने में भी छठ का आत्मसात्करण हो रहा है।
    ये देखकर गर्व होता है।
    हम बस इसे बरकरार रखने की कोशिश करें।

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