पुणे जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: भक्ति, परंपरा और उत्सव का संगम

पुणे जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: भक्ति, परंपरा और उत्सव का संगम

सौरभ शर्मा जून 27 2025 0

पुणे में जगन्नाथ रथ यात्रा: सिर्फ उत्सव नहीं, सामाजिक एकता का संदेश

जगन्नाथ रथ यात्रा के नाम से लोगों के जेहन में सबसे पहले पुरी का भव्य आयोजन आता है, लेकिन पुणे में भी यह पर्व कम नहीं मनाया जाता। हर साल यहां रथ यात्रा पर भक्ति, उमंग और सांस्कृतिक रंगों की बहार देखने को मिलती है। हालांकि 2025 की पुणे रथ यात्रा की आधिकारिक तारीखें और कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी अभी सामने नहीं आई है, लेकिन शहर की पुरानी परंपरा को देखते हुए एक बार फिर हजारों लोगों के जुटने की उम्मीद है।

पुणे की जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत बीते कुछ दशकों में हुई है, जिसमें ओडिया समाज के लोग बड़ी भूमिका निभाते हैं, लेकिन अब यह आयोजन हर समुदाय की साझेदारी का उदाहरण बन गया है। यहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की भव्य प्रतिमाएं सजे-धजे रथों पर नगर भ्रमण के लिए निकलती हैं। स्थानीय कलाकार पारंपरिक वेशभूषा में झांकियां प्रस्तुत करते हैं और भक्तगण पूरे रास्ते भजन-कीर्तन से माहौल भक्ति में डूबा रहता है। सड़क किनारे छोटे-छोटे बालक भी नारियल पानी और लस्सी बांटते नजर आते हैं—यह दृश्य पूरे पुणे में खास रौनक भर देता है।

संस्कार और सामाजिक बदलाव के साथ रथ यात्रा

यह यात्रा केवल धार्मिक आयोजन भर नहीं है। पुणे में इसे सामाजिक जिम्मेदारी से भी जोड़ा गया है। बीते वर्षों में आयोजकों ने पुणे रथ यात्रा को पर्यावरण-अनुकूल बनाने के लिए प्रयास शुरू किए हैं—जैसे रथ खींचने के लिए केवल रस्सी का इस्तेमाल, प्लास्टिक का न्यूनतम प्रयोग और फूलों की जगह पारंपरिक रंग-बिरंगी सजावट। साथ ही, भोग प्रसाद के पैकेट भी कागज में बांटे जाते हैं, ताकि कचरा ना फैले।

रथ यात्रा के दौरान शहर के विभिन्न हिस्सों में सामूहिक अन्नदान, चिकित्सा शिविर और रक्तदान जैसे आयोजन देखने को मिलते हैं। कई परिवार पारिवारिक एकता और संस्कार को मजबूत करने के लिए इस यात्रा में बच्चों के साथ शामिल होते हैं। आयोजन के समय पुलिस और स्वयंसेवकों की बड़ी तैनाती रहती है, ताकि श्रद्धालु बिना किसी डर भय के यात्रा का आनंद ले सकें।

2025 की पुणे रथ यात्रा की तैयारियां जैसे-जैसे आगे बढ़ेंगी, शहर की गलियों में रिहर्सल, रथ निर्माण और झांकी तैयारियों की हलचल तेज होती जाएगी। यह आयोजन पुणे के लिए पहचान का प्रतीक बन चुका है—जहां परंपरा, भक्ति और सामाजिक जिम्मेदारियों का खास संगम देखने को मिलता है।