पुणे में जगन्नाथ रथ यात्रा: सिर्फ उत्सव नहीं, सामाजिक एकता का संदेश
जगन्नाथ रथ यात्रा के नाम से लोगों के जेहन में सबसे पहले पुरी का भव्य आयोजन आता है, लेकिन पुणे में भी यह पर्व कम नहीं मनाया जाता। हर साल यहां रथ यात्रा पर भक्ति, उमंग और सांस्कृतिक रंगों की बहार देखने को मिलती है। हालांकि 2025 की पुणे रथ यात्रा की आधिकारिक तारीखें और कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी अभी सामने नहीं आई है, लेकिन शहर की पुरानी परंपरा को देखते हुए एक बार फिर हजारों लोगों के जुटने की उम्मीद है।
पुणे की जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत बीते कुछ दशकों में हुई है, जिसमें ओडिया समाज के लोग बड़ी भूमिका निभाते हैं, लेकिन अब यह आयोजन हर समुदाय की साझेदारी का उदाहरण बन गया है। यहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की भव्य प्रतिमाएं सजे-धजे रथों पर नगर भ्रमण के लिए निकलती हैं। स्थानीय कलाकार पारंपरिक वेशभूषा में झांकियां प्रस्तुत करते हैं और भक्तगण पूरे रास्ते भजन-कीर्तन से माहौल भक्ति में डूबा रहता है। सड़क किनारे छोटे-छोटे बालक भी नारियल पानी और लस्सी बांटते नजर आते हैं—यह दृश्य पूरे पुणे में खास रौनक भर देता है।
संस्कार और सामाजिक बदलाव के साथ रथ यात्रा
यह यात्रा केवल धार्मिक आयोजन भर नहीं है। पुणे में इसे सामाजिक जिम्मेदारी से भी जोड़ा गया है। बीते वर्षों में आयोजकों ने पुणे रथ यात्रा को पर्यावरण-अनुकूल बनाने के लिए प्रयास शुरू किए हैं—जैसे रथ खींचने के लिए केवल रस्सी का इस्तेमाल, प्लास्टिक का न्यूनतम प्रयोग और फूलों की जगह पारंपरिक रंग-बिरंगी सजावट। साथ ही, भोग प्रसाद के पैकेट भी कागज में बांटे जाते हैं, ताकि कचरा ना फैले।
रथ यात्रा के दौरान शहर के विभिन्न हिस्सों में सामूहिक अन्नदान, चिकित्सा शिविर और रक्तदान जैसे आयोजन देखने को मिलते हैं। कई परिवार पारिवारिक एकता और संस्कार को मजबूत करने के लिए इस यात्रा में बच्चों के साथ शामिल होते हैं। आयोजन के समय पुलिस और स्वयंसेवकों की बड़ी तैनाती रहती है, ताकि श्रद्धालु बिना किसी डर भय के यात्रा का आनंद ले सकें।
2025 की पुणे रथ यात्रा की तैयारियां जैसे-जैसे आगे बढ़ेंगी, शहर की गलियों में रिहर्सल, रथ निर्माण और झांकी तैयारियों की हलचल तेज होती जाएगी। यह आयोजन पुणे के लिए पहचान का प्रतीक बन चुका है—जहां परंपरा, भक्ति और सामाजिक जिम्मेदारियों का खास संगम देखने को मिलता है।
Jinky Palitang
जून 28, 2025 AT 02:29रथ यात्रा के दौरान बच्चों का नारियल पानी बांटना देखकर दिल भर गया 😊
Daxesh Patel
जून 29, 2025 AT 13:06रथ खींचने में सिर्फ रस्सी का इस्तेमाल बहुत अच्छा विचार है, पर क्या आपने ध्यान दिया कि रथ के पहिये भी लकड़ी के हैं? वो भी स्थानीय लकड़ी से बने हैं, जो बिना केमिकल ट्रीटमेंट के इस्तेमाल में आती है। ये तो असली सस्टेनेबल प्रैक्टिस है।
Nagesh Yerunkar
जून 30, 2025 AT 08:14इतना धार्मिक उत्सव... लेकिन क्या ये सब सिर्फ एक धार्मिक फ्रंट के नीचे राजनीतिक प्रचार नहीं है? 😒
Amar Sirohi
जून 30, 2025 AT 15:37ये रथ यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, ये एक सांस्कृतिक संकल्प है। हमने अपने शहर को एक ऐसा जगह बनाया है जहां ओडिशा का भक्ति अनुभव और महाराष्ट्र का सामाजिक संगठन एक साथ बह रहे हैं। ये न केवल धर्म की बात है, बल्कि ये एक ऐसा नागरिक अनुभव है जो भारत के विविधता के बारे में सीख देता है। हमने अपने शहर को एक ऐसा स्थान बनाया है जहां एक बच्चा जो तमिल घर से है, वो भी एक ओडिया भजन के साथ रथ के साथ चलता है। ये देखकर लगता है कि भारत का सच्चा रूप यही है - जहां अलग-अलग भाषाएं, अलग-अलग रीति-रिवाज, अलग-अलग विश्वास, सब एक ही धुन पर नाच रहे हैं। आजकल लोग बस अलगाव की बात करते हैं, लेकिन पुणे की ये यात्रा दिखाती है कि एकता कैसे जीवित रह सकती है - न सिर्फ नियमों से, बल्कि दिलों से।
Sandeep Kashyap
जुलाई 2, 2025 AT 08:25ये रथ यात्रा देखकर मेरा दिल भर गया! बच्चे नारियल पानी बांट रहे हैं, बुजुर्ग भजन गा रहे हैं, युवा स्वयंसेवक बिना किसी बदलाव के लोगों की मदद कर रहे हैं - ये वो भारत है जिसकी हमें गर्व है! 🙏❤️
Aashna Chakravarty
जुलाई 3, 2025 AT 03:26अब तो हर धार्मिक उत्सव को इतना सामाजिक बना दिया जा रहा है कि अब भगवान की जगह सरकार दिख रही है। रक्तदान, चिकित्सा शिविर - ये सब तो बहुत अच्छा है, लेकिन ये आयोजन तो भगवान के लिए है या सरकार के प्रचार के लिए? 🤔
Kashish Sheikh
जुलाई 3, 2025 AT 10:24मैंने पिछले साल इस यात्रा में भाग लिया था और वो दृश्य अभी भी मेरे दिल में है। एक बूढ़ी दादी ने मुझे भोग दिया, बिना पूछे कि मैं कौन हूँ। ये वो भारत है जिसे हम भूल रहे हैं। 🌸
dharani a
जुलाई 3, 2025 AT 20:24अरे यार, आप सब रथ यात्रा के बारे में बात कर रहे हो, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुणे में ये यात्रा 2008 में शुरू हुई थी? और पहले तो रथ बनाने वाले स्थानीय लकड़ी के कारीगर थे, अब तो बाहर से आए हुए लोग भी आ गए हैं। और भोग भी अब प्लास्टिक के बैग में नहीं, बल्कि गांठे में बांटे जाते हैं - ये तो अच्छी बात है।
Vinaya Pillai
जुलाई 5, 2025 AT 16:30हम इतने खुश हो रहे हैं कि रथ यात्रा में प्लास्टिक नहीं है... लेकिन शहर में हर दूकान पर एक बोतल पानी का बैग फेंक दिया जाता है। ये तो बहुत अच्छा है... जब तक आप अपनी गली के बाहर नहीं जाते। 😏
mahesh krishnan
जुलाई 6, 2025 AT 20:20ये सब बकवास है। रथ यात्रा तो पुरी में होती है, बाकी सब नकल है। अगर तुम भक्त हो तो पुरी जाओ।
Deepti Chadda
जुलाई 8, 2025 AT 18:54इतना बड़ा उत्सव और कोई भारतीय नहीं आ रहा? ये सब ओडिया लोग ही चला रहे हैं। अब तो हमारे बच्चे भी ओडिशा की भाषा सीख रहे हैं। हमारी पहचान कहाँ गई? 🇮🇳
Anjali Sati
जुलाई 9, 2025 AT 21:08ये सब तो बहुत अच्छा लगता है, लेकिन क्या ये सब इतना बड़ा है कि शहर के ट्रैफिक को इतना बाधित करना चाहिए? लोगों को जल्दी घर जाना होता है।
Preeti Bathla
जुलाई 11, 2025 AT 18:27मैंने ये यात्रा देखी और रो पड़ी। एक बच्चे ने मुझे लस्सी दी, और मैंने उसे गले लगा लिया। ये भारत है, ये वो भारत है जिसे हम खो रहे हैं। ❤️😭
Aayush ladha
जुलाई 12, 2025 AT 10:24क्या आपने कभी सोचा कि ये सब जाति-धर्म के आधार पर बनाया गया है? ये यात्रा तो एक बड़ा धार्मिक फ्रंट है।
Annapurna Bhongir
जुलाई 12, 2025 AT 14:00रथ यात्रा अच्छी है।