घरेलू हिंसा: क्या है, कैसे पहचानें और मदद कैसे पाएं

घर ऐसा होना चाहिए जहाँ आप सुरक्षित महसूस करें, लेकिन कई बार दुविधा तभी आती है जब वही दीवार आपको दर्द देती है। घरेलू हिंसा सिर्फ शारीरिक हमला नहीं, यह मौखिक, आर्थिक या डिजिटल रूप में भी हो सकता है। अगर आप या आपके जानकार इस तरह की स्थिति में हैं, तो जानना ज़रूरी है कि कहाँ से मदद मिल सकती है और कौन‑से कानूनी अधिकार आपके हैं।

घरेलू हिंसा के मुख्य रूप

सबसे आम है शारीरिक हिंसा – मार‑पीट, धक्का, या किसी चीज़ से चोट पहुँचाना। लेकिन अक्सर इसका डरावना रूप मौखिक दुरुपयोग होता है, जैसे लगातार गाली‑गलौज, अपमान और धमकी देना। आर्थिक हिंसा में वित्तीय स्वतंत्रता छीन ली जाती है, जैसे पैसा नहीं देना या बैंक अकाउंट तक पहुंच बंद कर देना। डिजिटल हिंसा भी बढ़ रही है, जैसे सोशल मीडिया पर नकारात्मक संदेश, निजी वीडियो फ़ैलाना या ऑनलाइन ट्रैकिंग। इन सबके पीछे एक ही मकसद होता है – आपका आत्मविश्वास तोड़ना और आपको नियंत्रण में रखना।

कानूनी अधिकार और तुरंत मदद

भारत में घरेलू वायलेंस एक्ट 2005 के तहत महिला को तुरंत सुरक्षा मिलती है। आप पुलिस में FIR दर्ज करवा सकते हैं, जो बिना किसी देरी के आपके खिलाफ जेनरेटिंग रिस्ट्रेनिंग ऑर्डर (आरोपी को घर से बाहर निकलने से रोक) जारी कर सकता है। अगर आप पति या परिवार के सदस्य नहीं हैं, तो बहन, माँ, दादा‑दादी आदि भी शिकायत कर सकते हैं।

तुरंत मदद के लिए 24 घंटे खुली हेल्पलाइन 181 (महिला हेल्पलाइन) और 1098 (राष्ट्रीय आपातकालीन संख्या) पर कॉल कर सकते हैं। कई NGOs जैसे ‘सेक्स सैफ़े’, ‘शिक्षा के साथी’ भी मुफ्त काउंसलिंग और शरणस्थल की सुविधा देती हैं। कॉल करने से पहले अपना नाम, पता और घटना का संक्षिप्त विवरण तैयार रखें, इससे अधिकारी जल्दी कार्रवाई कर पाएँगे।

अगर आप पहले से ही प्रभावित हैं, तो इन कदमों को फॉलो करें:

  • तुरंत पुलिस को सूचित करें या निकटतम व Women’s Commission में रिपोर्ट करें।
  • इसे लिखित में दर्ज करें – तारीख, समय, क्या कहा या किया, गवाहों के नाम।
  • सुरक्षित जगह पर जाएँ – रिश्तेदार, दोस्त या महिला शेल्टर।
  • महिला हेल्पलाइन से संपर्क कर कानूनी सलाह लें और कोर्ट में केस फ़ाइल करने की प्रक्रिया समझें।

परिवार और समाज की मदद भी महत्वपूर्ण है। अगर आप किसी भरोसेमंद दोस्त या रिश्तेदार से बात कर सकते हैं, तो वो अक्सर तुरंत राहत दिला सकते हैं। कई शहरों में मुफ्त कानूनी काउंसलिंग क्लीनिक और महिला फ़ोरम हैं, जहाँ आप अपने अधिकारों के बारे में विस्तार से जान सकते हैं।

घरेलू हिंसा से जूझ रहे लोगों को यह याद रखना चाहिए कि उनका दर्द अनदेखा नहीं होना चाहिए। आप अकेले नहीं हैं, और कानून आपका साथ देता है। सही कदम उठाकर आप अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं और आगे की पीढ़ी के लिए एक सुरक्षित माहौल बना सकते हैं। अगर अभी भी संकोच महसूस हो रहा है, तो बस एक कॉल करें – मदद एक ही कदम दूर है।

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