त्रेता युग – पौराणिक इतिहास और सामाजिक अर्थ

जब हम त्रेता युग, हिंदू धर्म की तीन युगों में मध्यकाल, जहाँ दो प्रमुख अवतार प्रकट हुए, also known as धर्मकाल की बात करते हैं, तो यह समझना जरूरी है कि यह काल सिर्फ कहानियों का संग्रह नहीं, बल्कि नैतिक सिद्धान्तों, सामाजिक व्यवस्था और धार्मिक आदर्शों का आत्मा है।

इस युग में दो सबसे प्रसिद्ध अवतार—राम और कृष्ण—की कहानियाँ “रामायण, राम की जीवन यात्रा और आदर्शों का ग्रंथ” तथा “महाभारत, कुशल व कुंती वंश की महा कथा” में विस्तृत हैं। ये ग्रंथ न सिर्फ साहित्यिक खजाना हैं, बल्कि सामाजिक नियम, राजनीति और धर्मशास्त्र के बारे में गहरी अंतर्दृष्टि देते हैं।

त्रेता युग के सामाजिक ढाँचे को समझने के लिए हमें यह देखना चाहिए कि कैसे “विष्णु, तीनों युगों के पालक देवता” ने विभिन्न रूप लेकर मानवीय संघर्षों को समाधान दिया। राम ने न्याय और सत्य की स्थिरता स्थापित की, जबकि कृष्ण ने राजनैतिक कुशलता और भक्ति का संदेश दिया। यह द्वैत—न्याय व कूटनीति—त्रेता युग की मुख्य विशेषता है।

इन दो अवतारों ने जो नैतिक ढाँचा तैयार किया, वह आज भी भारतीय राजनीति, शिक्षा और व्यक्तिगत व्यवहार में दिखता है। किसान आंदोलन, सामाजिक न्याय के कानून, यहाँ तक कि विभिन्न धर्म‑संस्थाएँ अपने सिद्धांतों को इन पुरानी कथाओं से जोड़ती हैं। इसलिए इस पृष्ठ पर हम त्रेता युग के प्रमुख पहलुओं, मुख्य अवतारों और उनके आज के सामाजिक प्रभाव की विस्तृत जानकारी देंगे। नीचे आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न समाचार, विश्लेषण और राय इस प्राचीन काल की जीवंत धारा से जुड़ी हुई हैं।

त्रेता युग के प्रमुख पहलू

1️⃣ **अवतारों की भूमिका** – राम का आदर्श राज शासन, कृष्ण का कूटनीतिक रणनीति और भक्ति आंदोलन, दोनों ही आज के नेतृत्व मॉडल के पूर्वज हैं।
2️⃣ **धार्मिक ग्रंथ** – रामायण और महाभारत केवल कथा नहीं, बल्कि वह सामाजिक अनुबंध, किरायेदारी, युद्ध नीति व धर्म के कोड को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करते हैं।
3️⃣ **विष्णु का बहु‑अवतार सिद्धांत** – त्रेता युग में विष्णु ने दो रूप लिए, जिससे यह सिद्ध हुआ कि दिव्य शक्ति विविध परिस्थितियों में विभिन्न रूपों में प्रकट हो सकती है।

उपरोक्त बिंदु आगे आने वाले लेखों में गहराई से देखेंगे। आप पाएँगे कि कैसे इस युग की नैतिकता आज के मीडिया में परिलक्षित होती है, जैसे चुनावी वादे, सामाजिक अभियानों और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में।

आगे नीचे सूचीबद्ध लेखों में आप देखेंगे कि त्रेता युग की कहानियाँ वर्तमान राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समाचारों में कैसे प्रतिबिंबित होती हैं, और क्यों इन प्राचीन शिक्षाओं को समझना आज उतना ही जरूरी है जितना कभी था।

कुबेर का अहंकार तोड़ा गणेश जी ने: त्रेता युग की महाभोज कथा

11.10.2025

त्रेता युग की महाभोज कहानी में कुबेर के अहंकार को गणेश जी ने तोड़ा। यह कथा धन‑धर्मिता और विनम्रता का संदेश देती है।