कुबेर का अहंकार तोड़ा गणेश जी ने: त्रेता युग की महाभोज कथा
11.10.2025त्रेता युग की महाभोज कहानी में कुबेर के अहंकार को गणेश जी ने तोड़ा। यह कथा धन‑धर्मिता और विनम्रता का संदेश देती है।
नमस्ते! अगर आप धार्मिक कार्यक्रमों, त्यौहारों और स्थानीय परम्पराओं में रुचि रखते हैं तो आप सही जगह पर आए हैं। यहाँ हम कानपुर और भारत भर के प्रमुख धार्मिक आयोजन की आसान, समझदार जानकारी देंगे। आप बिना झंझट के तिथि, महत्व और खास रिवाज़ जान पाएँगे।
सबसे पहले बात करते हैं इस साल के बड़े‑बड़े त्यौहारों की। जून में निर्जला एकादशी 17 जून को पड़ती है। यह दिन वीसाणु की उपासना, जल व भोजन त्याग और शुद्धि का माना जाता है। कई लोग इस दिन उपवास रखकर पापों का नाश करने की कोशिश करते हैं।
इसी दिन बकरीद (ईद उल‑अजहा) भी मनाई जाती है। इस्लामिक कैलेंडर के ज़िलहिज्जा महीने में यह त्यौहार पैग़ंबर इब्राहिम की अल्लाह के प्रति समर्पण की याद दिलाता है। लोग जानवरों का बलिदान करके अपने मन की शुद्धि करते हैं और साथ में दान‑परोपकार भी करते हैं।
दूसरे तरफ़ पुणे जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 का उत्सव भी धूमधाम से मनाया जाता है। सैकड़ों झांकियों, ध्वज‑झंडों और संगीत के साथ इस यात्रा में श्रद्धालु बड़े प्यार से भाग लेते हैं। पर्यावरण‑सुरक्षा और सामाजिक एकता का संदेश भी इस रथ यात्रा में छिपा है।
धर्म सिर्फ आध्यात्मिक नहीं, यह सामाजिक जुड़ाव का भी जरिया है। जब आप किसी त्यौहार में भाग लेते हैं तो वह आपके रिश्तों को मजबूत बनाता है। जैसे बकरीद में दान‑परोपकार से जरूरतमंदों की मदद होती है, वैसे ही एकादशी में लोग अपने अंदर आत्म‑निरीक्षण करते हैं।
इन त्योहारों की परम्पराएँ अक्सर स्थानीय व्यापारियों को भी बढ़ावा देती हैं। रथ यात्रा में बंदे वाद्य यंत्र बेचते हैं, खाद्य स्टॉल लगते हैं और पर्यटन बढ़ता है। यही कारण है कि हर साल इन आयोजनों की तैयारियाँ शुरू ही हो जाती हैं।
आपके लिए सबसे उपयोगी बात यह है कि आप इन महत्वपूर्ण तिथियों को पहले से नोट कर लें। अपने कैलेंडर में जोड़ें, परिवार के साथ कार्यक्रम की योजना बनाएं और अगर आप दूर रहते हैं तो ऑनलाइन प्रसारण या लाइव स्ट्रीम देख सकते हैं। इससे आप न तो कोई नज़रें और न ही भावनात्मक जुड़ाव खोएँगे।
अगर आप और अधिक जानकारी चाहते हैं तो हमारे अन्य लेख भी देखें। यहाँ आपको हर त्योहार की तिथि, इतिहास, रिवाज़ और तैयारी के टिप्स मिलेंगे। इस तरह आप हर वर्ष बिना झंझट के सभी प्रमुख धार्मिक कार्यक्रमों में भाग ले सकेंगे।
तो तैयार हो जाएँ, इस साल के धार्मिक कैलेंडर को समझें और अपने परिवार‑दोस्तों के साथ इन पावन दिनों का भरपूर आनंद लें। आपका भरोसेमंद साथी – कानपुर समाचारवाला, हमेशा आपके साथ है।
त्रेता युग की महाभोज कहानी में कुबेर के अहंकार को गणेश जी ने तोड़ा। यह कथा धन‑धर्मिता और विनम्रता का संदेश देती है।
नवरात्रि के पाँचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा में विशेष विधि, रंग और प्रसाद होते हैं। इस दिन के मंत्र, फास्टिंग नियम और तैयारियों को जानिए। माँ स्कंदमाता का विष्णु‑सिद्धी, बालजोतिष और वैर‑निवारण पर प्रभाव भी समझें। पूजा में पहना जाने वाला पीला‑सफ़ेद वस्त्र और घर की सजावट का महत्व बताया गया है।
21-22 सितंबर 2025 का सूर्य ग्रहण सर्व पितृ अमावस्या के साथ पड़ेगा। भारत में ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक लागू नहीं होगा। पितृ तर्पण-श्राद्ध सामान्य मुहूर्त में किए जा सकते हैं, जबकि जप-दान के लिए ग्रहण काल को विशेष माना गया है। क्या करें, क्या न करें और विधि क्या हो—यहां आसान भाषा में पूरी जानकारी।
पुणे की जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 को लेकर आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई, लेकिन शहर में हर साल बड़ी धूमधाम से यह उत्सव मनाया जाता है। इस आयोजन में सैकड़ों श्रद्धालु, झांकियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम भाग लेते हैं। आयोजन में पर्यावरण के साथ सामाजिक सद्भावना का भी संदेश दिया जाता है।
निर्जला एकादशी, जिसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को मनाई जाती है। 2024 में, निर्जला एकादशी 17 जून को पड़ेगी। यह एकादशी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यह सभी पापों का नाश करती है और मोक्ष का मार्ग प्रदान करती है। इस दिन भक्तगण आहार और जल का त्याग करते हैं और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं।
ईद उल अजहा, जिसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है, मुस्लिम समुदाय द्वारा मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे इस्लामी चंद्र कैलेंडर के बारहवें महीने ज़िलहिज्जा में मनाया जाता है। 2024 में, बकरीद 17 जून को मनाई जाएगी। यह त्योहार पैगंबर इब्राहिम की अल्लाह के प्रति समर्पण की भावना को याद करता है।